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जल संरक्षण : बगीचा नष्ट हुआ तो मिली जल संरक्षण की प्रेरणा, गांव में पोखरा खोदवाकर संत ने किया पौधरोपण

संत कुमार सिंह घर पर रहकर खेती बारी करते हैं। पूर्वजों द्वारा लगाए गए बगीचे से उनका लगाव बचपन से ही रहा है। जलस्तर नीचे जाने और पानी की कोई व्यवस्था न होने से पेड़ धीरे-धीरे नष्ट होने लगे। यह देख संत कुमार सिंह चिंतित रहने लगे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 01:04 PM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 02:23 PM (IST)
जल संरक्षण : बगीचा नष्ट हुआ तो मिली जल संरक्षण की प्रेरणा, गांव में पोखरा खोदवाकर संत ने किया पौधरोपण
संत कुमार सिंह ने जल संरक्षण के लिए पहल की और पोखरा खोदवाया

गाजीपुर देवेंद्र जायसवाल। नष्ट हो रहे बगीचे और गिरते जलस्तर की समस्या को दूर करने के लिए क्षेत्र के गजाधरपुर गांव निवासी संत कुमार सिंह ने जल संरक्षण के लिए पहल की और पोखरा खोदवाया। साथ ही पोखरे के चारों तरफ पौधरोपण किया। संत कुमार सिंह की पहल से एक बार फिर पेड़ नष्ट होने से सुनसान हो चुके बगीचे में फिर हरियाली छा गई है। लोग टहलने के लिए पुन: यहां पहुंचने लगे हैं। वह लोगों को जल संरक्षण के लिए खुद के प्रयास के साथ औरों को प्रेरित भी करते हैं।

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गजाधरपुर गांव निवासी संत कुमार सिंह घर पर रहकर खेती बारी करते हैं। पूर्वजों द्वारा लगाए गए बगीचे से उनका लगाव बचपन से ही रहा है। जलस्तर नीचे जाने और पानी की कोई व्यवस्था न होने से पेड़ धीरे-धीरे नष्ट होने लगे। यह देख संत कुमार सिंह चिंतित रहने लगे। घरवालों व गांव के संभ्रांत नागरिकों से इस समस्या के निराकरण की चर्चा करने पर लोगों ने सुझाया कि पोखरा खोदवाकर व पौधरोपण कर इस समस्या का निराकरण किया जा सकता है। पोखरा खोदवाने से जल संरक्षण होगा। बारिश का पानी हमेशा पोखरा में एकत्र रहेगा। इस पर अमल करते हुए दो वर्ष पूर्व संत कुमार सिंह ने पोखरा खोदवाया। इस पोखरे में हमेशा पानी उपलब्ध रहता है।

पोखरे के चारों तरफ लगाए गए पेड़े भी अब बड़े हो रहे हैं। पौधरोपण व पोखरा जल संरक्षण का प्रमुख साधन बन गया। अब बारिश का पानी इस पोखरे में एकत्र होता है। जलस्तर की वजह से पानी छोड़ चुके हैंडपंप में पानी उपलब्ध रहने लगा। बकौल संत जल संरक्षण हम सभी की जिम्मेदारी है। जल के बिना जीवन की परिकल्पना नहीं की जा सकती है। जल को बर्बाद नहीं करना चाहिए। साथ ही जल संरक्षण पर हर किसी को ध्यान देना चाहिए। उनका कहना है कि अभी तो पोखरा कच्चा है, लेकिन भविष्य में पोखरे का सुंदरीकरण भी कराएंगे। जानकारी दी कि पोखरा खोदाई के बाद से आसपास के पेड़ हरे-भरे हो गए और वर्षा का जल भी बर्बाद नहीं होता है।


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