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एलिफेंट कारिडोर बने तो तीन राज्यों के किसान लें राहत की सांस, सीमावर्ती क्षेत्र में हाथी मचाते है तबाही

उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे झारखंड छत्तीसगढ़ के इलाकों में सितंबर से लेकर जनवरी तक हाथियों का कहीं न कहीं उत्पात मचा रहता है। जानकारों की मानें तो यह इलाका सदियों से उनके आने जाने का मार्ग हुआ करता था।

By saurabh chakravartiEdited By: Published: Sun, 15 Nov 2020 06:10 AM (IST)Updated: Sun, 15 Nov 2020 09:50 AM (IST)
एलिफेंट कारिडोर बने तो तीन राज्यों के किसान लें राहत की सांस, सीमावर्ती क्षेत्र में हाथी मचाते है तबाही
सितंबर से लेकर जनवरी तक हाथियों का कहीं न कहीं उत्पात मचा रहता है।

सोनभद्र, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे झारखंड, छत्तीसगढ़ के इलाकों में सितंबर से लेकर जनवरी तक हाथियों का कहीं न कहीं उत्पात मचा रहता है। जानकारों की मानें तो यह इलाका सदियों से उनके आने जाने का मार्ग हुआ करता था। वे इसी रास्ते बंगाल एवं उडि़सा के जंगलों तक आवाजाही करते रहे है। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह ऐसी प्रजाति है, जो सैकड़ों वर्ष पूर्व पूर्वजों द्वारा बनाए मार्ग को सूंघ कर पता लगा लेते है। यहीं कारण है कि वे जब पूर्वजों द्वारा बाए लीक पकड़ कर समूह में आगे बढ़ते है, तो उस रास्ते में आने वाला हर चीज उनके लिए अवरोधक होता है। वे उसे नष्ट करते हुए आगे बढ़ते रहते है।

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हाथियों  से कई की गई है जान, लाखों का नुकसान

गत एक दशक का आंकड़ा देखा जाए तो अकेले दुद्धी तहसील क्षेत्र के बभनी, म्योरपुर, ङ्क्षवढमगंज, बीजपुर एवं दुद्धी क्षेत्र के करीब तीन दर्जन से अधिक गांवों में हाथियों का ङ्क्षहसक उत्पात देखने को मिला है। जिसमे भारी जनहानि के साथ ही दर्जनों घर बर्बाद हुए है। गत पांच वर्षों में दुद्धी तहसील क्षेत्र के अलग-अलग गांवों में तीन लोगों की मौत हो चुकी है।

हर स्तर पर बरती गई लापरवाही   

हाथियों के संरक्षण के लिए कार्य करने वाली राष्ट्र व्यापी एक निजी संस्था द्वारा कराए गए हालिया सर्वेक्षण रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि देश के 12 राज्यों में हाथियों के लिये मौजूदा 101 गलियारों में से 96 गलियारों को एक साथ सुरक्षित किये जाने का प्रावधान किया गया है, लेकिन  इसपर जमीनी तौर पर अमली जामा नहीं पहनाया गया। सर्वे में पाया गया कि देश के उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड समेत सात राज्यों में हाथी गलियारों की स्थिति बेहद खराब है। देश में अक्सर ट्रेन से कटकर हाथियों के मौत के मामले को संज्ञान में लेते हुए बीते वर्षों में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का जमीनी तौर पर अनुपालन तक नहीं किया जा रहा है।

क्या है एलिफेंट कॉरिडोर 

एलिफेंट कॉरिडोर यानी एक ऐसा गलियारा या रास्ता जहां बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के हाथी एक जगह से दूसरी जगह स्वच्छंद रूप से विचरण कर सकें। बढ़ता शहरीकरण, फैलता सड़कों का जाल और सिकुड़ते जंगलों के कारण वर्तमान में सबसे बड़ा संकट वन्य जीवों के स्वच्छंद विचरण पर आ खड़ा हुआ है। इसीलिए ऐलिफ़ेंट कॉरिडोर बनाने की योजना करीब एक दशक पूर्व उठी थी।


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