कबीर की कर्मस्थली में गूंजे गुरु गोविंद सिंह के आदर्श, हिंदू धर्म से निकले मतों और पंथों के बीच समन्वय पर जोर
विश्व हिंदू परिषद के समन्वय मंच की ओर से मंगलवार को कबीरचौरा मठ मूलगादी में गुरु गोविंद सिंह की 353 जयंती मनाई गई।
वाराणसी, जेएनएन। विश्व हिंदू परिषद के समन्वय मंच की ओर से मंगलवार को कबीरचौरा मठ मूलगादी में गुरु गोविंद सिंह की 353 जयंती मनाई गई। इसमें वक्ताओं ने राष्ट्रीय एकता के लिए ङ्क्षहदू धर्म के विभिन्न मतों-पंथों के बीच समन्वय पर जोर दिया।
अध्यक्षता करते हुए कबीरचौरा मठ मूलगादी के महंत आचार्य विवेक दास ने कहा कि संत कबीरदास ने ही गुरुनानक देव को सरदार की उपाधि दी। कबीरपंथ व गुरुनानक साहब और गुरु गोविंद साहब का धर्म रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान रहा। गुरु गोविंद सिंह ने औरंगजेब के साथ युद्ध के लिए सात संगठन बनाए। संविवि वेदांत विभाग के प्रो. सुधाकर मिश्र ने कहा कि राष्ट्र एवं धर्म के लिए जीवन का समर्पण ही कल्याणकारी है। गुरुद्वारा कमेटी के सचिव डा. हरविंदर सिंह दुआ, नीचीबाग गुरुद्वारा के मुख्य ग्रंथी धर्मवीर जी, प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी, सह समन्वय प्रमुख संजय कुमार जैन आदि ने भी विचार व्यक्त किए। संयोजन महानगर नीतेश अग्रसेन, स्वागत काशी प्रांत समन्वय प्रमुख प्रबोध मिश्रा व आभार प्रकाश डा. हरि प्रसाद अधिकारी ने किया।
एक दिन पहले खत्म हो गए मंगला आरती के टिकट
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में नए साल की पहली मंगला आरती के लिए टिकट सोमवार को ही खत्म हो गए। ऐसे में लोग आनलाइन के लिए कंप्यूटर-मोबाइल पर जुगत लगाते रहे तो काउंटरों का खूब फेरा लगाया। इसके बावजूद बात नहीं बनी।