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सोनभद्र के भैंसवार व नेवारी की कोख में जमा हैं हाइड्रोकार्बन!

सोनभद्र में सैटेलाइट से सिग्नल मिलने के बाद जनपद की जमीन में तेल ढूंढ़ने पहुंची सर्वे टीम ने अब कुछ सार्थक परिणाम देने शुरु किए हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 May 2018 02:59 PM (IST)Updated: Mon, 14 May 2018 05:50 PM (IST)
सोनभद्र के भैंसवार व नेवारी की कोख में जमा हैं हाइड्रोकार्बन!
सोनभद्र के भैंसवार व नेवारी की कोख में जमा हैं हाइड्रोकार्बन!

सोनभद्र : सैटेलाइट से सिग्नल मिलने के बाद जनपद की जमीन में तेल ढूंढ़ने पहुंची सर्वे टीम ने अब अपना काम करना शुरू कर दिया है। इसमें जमीन के अंदर ड्रिल करके अंदर की हकीकत जानने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही अन्य अत्याधुनिक यंत्रों से भी जमीन के अंदर की तस्वीर लेकर मुम्बई स्थित लैब में भेजा जा रहा है। इस पूरी प्रक्रिया के बाद स्पष्ट हो जाएगा कि भैंसवार व नेवारी में से कहां पर हाइड्रोकार्बन मौजूद है। मिली जानकारी के मुताबिक यहां की जांच पूर्ण होने के बाद सर्वे टीम राब‌र्ट्सगंज विकास खंड के अंतर्गत काम शुरू करेगी।

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लगभग एक पखवारें पहले केंद्र सरकार के हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रस्ताव पर यहां एक सर्वे टीम पहुंची। यह टीम इससे पहले मध्यप्रदेश के अविभाजित सरगुजा के गर्भ में हाइड्रोकार्बन की पड़ताल पूरी की। मिली जानकारी के मुताबिक सर्वे टीम लगभग एक सप्ताह तक यहां सेटेलाइट सिग्लन के इंतजार में बैठी रही। इस दौरान टीम से जुड़े वैज्ञानिक भी अपनी निगाहें गड़ाए हुए थे। इसी बीच जब सिग्नल मिला तो सर्वे टीम ने घोरावल विकास खंड के भैंसवाल व नेवारी में ड्रिल मशीन से जमीन के अंदर की तहकीकात शुरू कर दी। इसके साथ दूसरे अत्याधुनिक यंत्रों का प्रयोग कर जमीन में हाइड्रोकार्बन होने की संभावना की पड़ताल में जुटी। टीम से जुड़े कुछ लोगों ने बताया कि सर्वे के दौरान जमीन के अंदर विस्फोट कराया जाता है। इससे जमीन के अंदर किसी भी पदार्थ के होने की एक रिपोर्ट तैयार होती है। उसे ही मुम्बई स्थित लैब में भेजा जाएगा, जहां वैज्ञानिकों की टीम यह निश्चय करेगी कि किस स्थान पर क्या-क्या पदार्थ मौजूद हैं। दूसरी ओर जनपद के दूसरे हिस्सों में जहां सर्वे करने के लिए जगह चिह्नित किये गए हैं, अभी उसका खुलासा नहीं किया जा रहा है। ----------

ग्रामीणों के लिए बनी अबूझ पहेली

भैंसवार व नेवारी में सर्वे टीम की मौजूदगी आसपास के ग्रामीणों के लिए अबूझ पहेली बनी हुई है। उन्हें यह पता नहीं है कि टीम पेट्रोलियम पदार्थों की खोज में यहां काम कर रही है। आते-जाते रास्ते में ड्रिल मशीन से होती खोदाई या दूसरे अत्याधुनिक मशीनें ग्रामीणों के लिए चर्चा का विषय बनी हुई हैं। स्पष्ट होते ही बड़े स्तर पर काम होगा शुरू

मुम्बई भेजे जानी रिपोर्ट में हाइड्रोकार्बन होने की पुष्टि हुई तो यहां खाड़ी देशों जैसे हालात होंगे। बड़ी-बड़ी मशीनों से काम शुरू होगा। टीम से जुड़े एक सदस्य ने बताया कि अभी तो सिर्फ शरीर के अंदर के अंगों की जानकारी ली जा रही है। जिसकी तलाश है, जब उसकी पुष्टि हो जाएगी तो यहां व्यापक स्तर पर काम शुरू कराया जाएगा। यहां की पूरी तस्वीर ही बदल जाएगी।


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