जौनपुर कारागार में बंदियों के तेवर हुए बागी तो भागे आए डीआइजी जेल Jaunpur news
जिला जेल के बंदी अपने उत्पीड़न के खिलाफ अब भूख हड़ताल पर आ गए हैं। मामले की जानकारी मिलने पर डीआईजी जेल सोमवार को जांच के लिए पहुंचे और कैदियों से बात की।
By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 04:25 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2019 04:25 PM (IST)
जौनपुर, जेएनएन। जिला कारागार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। रविवार की शाम से कुछ बंदियों के बगावती तेवर अपनाते हुए भूख हड़ताल शुरू कर देने की खबर लगते ही महकमे के आला अफसरों की पेशानी पर बल पड़ गए। सोमवार को वाराणसी से डीआइजी (जेल) वीएस यादव केंद्रीय कारागार वाराणसी के अधीक्षक अंबरीश गौड़ को लेकर धमक पड़े।
दिन में 11.45 बजे जिला कारागार में पहुंचे डीआइजी वीएस यादव ने जेल के अनाज भंडारण गृह, पाकशाला का गहन निरीक्षण कर खाद्य पदार्थों व बंदियों को दिए जाने के लिए बनाए जा रहे भोजन की गुणवत्ता परखी। पूरे कारागार परिसर के पैनी नजरों से भ्रमण करने के साथ ही बंदियों की समस्याएं सुनीं। अधिकतर बंदियों की शिकायत थी कि उन्हें जेल मैन्युअल के मुताबिक खाने-सोने नहीं दिया जाता। वाजिब सुविधाओं के लिए भी बंदी रक्षकों द्वारा पैसे की मांग की जाती है। अक्सर आधी रात के बाद चेङ्क्षकग के नाम पर जगाकर परेशान किया जाता है। इससे उनकी नींद भी पूरी नहीं हो पाती। मिलने के लिए आने वाले परिजनों से भी सुविधा शुल्क की मांग की जाती है। डीआइजी ने बंदियों के साथ पूरी सहानुभूति दिखाते हुए उन्हें घंटों समझाया। इस पर अधिकतर बैरकों के बंदी भोजन ग्रहण किए लेकिन बैरक नंबर-तीन के बंदी अब भी अड़े हुए हैं। उनकी भी मान-मनौव्वल की जा रही है।
जेलर संजय सिंह ने बताया कि छापेमारी के दौरान मोबाइल फोन व सिम कार्ड मिलने पर सख्ती किए जाने से बैरक नंबर दो व तीन के बंदी भोजन लेने से इन्कार कर रहे थे। डीआइजी के समझाने पर दो नंबर बैरक के बंदियों ने दोपहर में भोजन लिया। बैरक नंबर तीन के बंदियों को भी समझाया-बुझाया जा रहा है।
दिन में 11.45 बजे जिला कारागार में पहुंचे डीआइजी वीएस यादव ने जेल के अनाज भंडारण गृह, पाकशाला का गहन निरीक्षण कर खाद्य पदार्थों व बंदियों को दिए जाने के लिए बनाए जा रहे भोजन की गुणवत्ता परखी। पूरे कारागार परिसर के पैनी नजरों से भ्रमण करने के साथ ही बंदियों की समस्याएं सुनीं। अधिकतर बंदियों की शिकायत थी कि उन्हें जेल मैन्युअल के मुताबिक खाने-सोने नहीं दिया जाता। वाजिब सुविधाओं के लिए भी बंदी रक्षकों द्वारा पैसे की मांग की जाती है। अक्सर आधी रात के बाद चेङ्क्षकग के नाम पर जगाकर परेशान किया जाता है। इससे उनकी नींद भी पूरी नहीं हो पाती। मिलने के लिए आने वाले परिजनों से भी सुविधा शुल्क की मांग की जाती है। डीआइजी ने बंदियों के साथ पूरी सहानुभूति दिखाते हुए उन्हें घंटों समझाया। इस पर अधिकतर बैरकों के बंदी भोजन ग्रहण किए लेकिन बैरक नंबर-तीन के बंदी अब भी अड़े हुए हैं। उनकी भी मान-मनौव्वल की जा रही है।
जेलर संजय सिंह ने बताया कि छापेमारी के दौरान मोबाइल फोन व सिम कार्ड मिलने पर सख्ती किए जाने से बैरक नंबर दो व तीन के बंदी भोजन लेने से इन्कार कर रहे थे। डीआइजी के समझाने पर दो नंबर बैरक के बंदियों ने दोपहर में भोजन लिया। बैरक नंबर तीन के बंदियों को भी समझाया-बुझाया जा रहा है।
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