Ganga Saptmi 2019 : वाराणसी में केसर जल से अभिषेक, गंगा घाट पर उमड़े श्रद्धालु
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार गंगा सप्तमी आज है। शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा का अवतरण हुआ था।
वाराणसी, जेएनएन। भगवान शिव की नगरी वाराणसी में आज गंगा सप्तमी की छटा निराली है। मां गंगा के अवतरण के इस पर्व पर आज वाराणसी के घाटों पर श्रद्धालु उमड़ पड़े हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार गंगा सप्तमी आज है। शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा का अवतरण हुआ था। वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन ब्रह्मा के कमंडल से मां गंगा की उत्पत्ति हुई थी। इसे गंगा जन्मोत्सव भी कहा जाता है। इसी दिन भागीरथ के तप से प्रसन्न होकर गंगा स्वर्ग से उतर शिव की जटाओं में समाई थी। तभी से गंगा सप्तमी का पर्व चला रहा है।
सुबह दशाश्वमेध घाट पर गंगा सप्तमी के पावन पर्व पर सर्वोदय सेवा समिति के तत्वावधान में मां गंगा का अभिषेक किया गया। प्रारंभ में गायक अमलेश शुक्ला एवं ममता शर्मा ने मां गंगा पर सुमधुर भजनों की प्रस्तुति की। इसके बाद संस्था के अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने उपस्थित अतिथियों को अंगवस्त्र एवं रुद्राक्ष की माला प्रदान कर उनका स्वागत किया। कार्यक्रम संयोजक श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक पंडित श्रीकांत मिश्र ने बताया कि आज के ही दिन ब्रह्म कमंडलु से गंगा जी की उत्पत्ति मानी जाती है। गंगा की अविरलता और निर्मलता एवं राष्ट्र कल्याण का संकल्प लेते हुए कार्यक्रम प्रतिवर्ष आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान पंडित श्रीकांत मिश्र के आचार्यत्व में 51 वैदिक ब्राह्मणों ने सविधि पूजन व केसर से अभिषेक कराया। 31 विशिष्ट अतिथियों ने अभिषेक किया।
जिनमें प्रो.राजाराम शुक्ल (कुलपति, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय) प्रो. टीएन सिंह (कुलपति, काशी विद्यापीठ), वीके मीणा (आईजी रेंज,वाराणसी), नीलू मिश्रा(एथलीट), संतोष यादव (पर्वतारोही), के.एन चौबे (डीएफएम भारतीय रेलवे), एन. पी. सिंह (कमांडेंट,सीआरपीएफ), पद्मश्री राजेश्वर आचार्य, भावना मिश्रा, सुमन सिंधी, पवन शुक्ला, प्रधानमंत्री के सहयोगी काकू भाई, संजय राय,धर्मेंद्र सिंह, रामगोपाल मोहले, शशिकांत मिश्रा चल्ला शास्त्री, लूसी गेस्ट, बृजेश चंद्र पाठक सहित कई समाज सेवी एवं सांस्कृतिक क्षेत्र के प्रमुख लोग भी शामिल थे। कार्यक्रम संयोजन में पवन शुक्ला, उदित नारायण मिश्रा, सतीश शास्त्री,विभू मिश्रा एवं मुनेश शास्त्री आदि लगे रहे। धन्यवाद ज्ञापन एवं प्रसाद वितरण संस्था के सचिव शशिकांत उपाध्याय ने दिया।
मान्यता है कि ऋषि भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा धरती पर आईं थीं। इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से भक्तों के पाप कर्मों का नाश होता है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व माना जाता है।वाराणसी के सभी प्रख्यात घाट पर सुबह से ही लोग गंगा नदी में स्नान कर रहे हैं। गंगा नदी के तटों पर गंगा नदी की पूजा के साथ आरती भी हो रही है। हर घाट का दृश्य काफी मनोरम है। यहां पर सिर्फ वाराणसी से ही नहीं बल्कि दूर-दराज से भी लोग गंगा नदी में पुण्य की डुबकी लगाने आ रहे हैं।
गुणकारी है आज के दिन गंगा स्नान
हमारे शास्त्रों में मान्यता है कि इस तिथि पर गंगा स्नान, तप ध्यान तथा दान-पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन अपने स्नान के जल में एक चम्मच गंगा जल मिलाकर स्नान करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। गंगाजल में तमाम औषधियां और वनस्पतियों के गुण मौजूद होने के कारण यह अमृतकारी माना जाता है। रोगों से मुक्ति पाने के लिए एक तांबे का लोटा लेकर उसमें गंगाजल भर लें। अब एक कुशा के आसन पर बैठकर गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें। जाप के बाद घर का हर सदस्य एक चम्मच (खासतौर पर बच्चे ) गंगाजल ग्रहण करें। बाकी गंगाजल से अपने घर में छिड़काव कर दें।
धन धान्य पाने के उपाय
गंगा सप्तमी पर चांदी या स्टील के लोटे में गंगाजल भरकर उसमें पांच बेलपत्र डाल लें। कोशिश करें कि इस दिन सुबह या शाम घर से नंगे पैर निकलें। भगवान शिवलिंग पर एक धारा से यह गंगाजल नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए अर्पण करें। ऐसा करते हुए भोलेबाबा को बेलपत्र भी अर्पण करें। इन उपायों को करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होने के साथ व्यक्ति को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे।
बच्चों और बड़ों के हर काम को सफल
घर के ईशान कोण अर्थात उत्तर पूर्व दिशा में पीतल के बर्तन में गंगाजल भरकर रखें। ऐसा करने से व्यक्ति को हर कार्य में सफलता मिलती है। यदि घर में छोटे बच्चे रात में डरते हैं तो उनके सोने के कमरे में सोने से पहले गंगाजल का छिड़काव करें। इसके साथ ही ऐसा करते समय गायत्री मंत्र का भी जाप करें। अगर आपके घर या ऑफिस में वास्तु दोष है तो हर पूर्णिमा व अमावस्या पर गंगाजल का छिड़काव करने से वास्तुदोष खत्म होता है। गंगा सप्तमी का हमारे शास्त्र तथा पुराणों में काफी महत्व है।
दान का विशेष महत्व
गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि गंगा सप्तमी के दिन किए गए गंगा स्नान और दानपुण्य से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पिंडदान और तर्पण का भी महत्व
ज्योतिषाचार्य के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है और पित्र दोष होता है। इस दिन वह पिंडदान करते हैं और तिल से अपने पितरों के प्रति तर्पण करते हैं। इसे तिलांजलि श्रद्धांजलि पुष्पांजलि कहा जाता है। ऐसा करने से उनके समस्त पितरों को मुक्ति मिलती है और उनके घर में सुख समृद्धि उन्नति रिद्धि और सिद्धि समस्त प्राप्त होती है।
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