Industries में कम कामगार होने से कैसे बढ़ेगी कारखानों की रफ्तार, उत्पाद बिक्री भी हो रही कम
उद्योग एवं सेवा क्षेत्र में आने वाले सभी छोटे-बड़े कारखानों को भले ही खोलने की अनुमति मिल गई है लेकिन उनके सामने अब भी कामगारों की कमी एक समस्या बनी हुई है।
वाराणसी, जेएनएन। उद्योग एवं सेवा क्षेत्र में आने वाले सभी छोटे-बड़े कारखानों को भले ही खोलने की अनुमति मिल गई है, लेकिन उनके सामने अब भी कामगारों की कमी एक समस्या बनी हुई है। यही कारण है कि उद्योग पूरी गति से रफ्तार भरने की जगह रेंग रहे हैं। उद्यमियों का कहना है कि अगर वह कारखाने में माल तैयार कर लेते हैं तो जब बिक्री नहीं होगी तो भंडारण बढ़ जाएगा। इसलिए जरूरी है कि उद्योगों से जुड़ी सभी दुकानें व प्रतिष्ठान खुलने की अनुमति मिलनी चाहिए। अगर कारखाने में खराबी आती है तो इसके कल-पूर्जे और मैकेनिक की भी जरूरत होगी।
छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां खोलने की अनुमति मिलने लगी है। इसके पूर्व आवश्यक सेवा की फैक्ट्रियां निरंतर चलती आ रहीं। उद्योग विभाग ने एक काम आसान यह कर दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित कारखानों को खोलने की अनुमति सिर्फ विभाग से मिल जाएगी। पहले अनुमति विभाग के बाद जिला प्रशासन से मिलती थी। वहां से स्वीकृति के बाद ही हरी झंडी मिलती थी। इसके कारण समय अधिक लग जाता था। हालांकि, शहरी क्षेत्र के उद्योगों के लिए यह नियम अब भी जारी है। कारण कि शहर में ही सबसे अधिक कोरोना के मामले हैं।
दी स्माल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश भाटिया ने बताया कि कारखाना खोलने में अब सरकार की ओर से कोई परेशानी नहीं है। हम उत्पाद तैयार करते हैं बाजार के लिए, जो खुल ही नहीं रहे हैं। इसलिए कारखानों में 20 फीसद ही कार्य हो रहा। चांदपुर औद्योगिक आस्थान संघ के महामंत्री पीयूष अग्रवाल का कहना है कि उत्पादन तो शुरू हो गया है, लेकिन लोगों तक माल पहुंचना भी चाहिए। मार्केट अभी पूरी तरह नहीं खुल पा रहे हैं, जिसके कारण यह समस्या आ रही है। बताया कि जिन मजदूरों को दूसरे जिले से आना है अभी उनके समक्ष समस्या बनी हुई है। यह भी नियम है कि उनके आने के बाद जांच होने पर ही उनसे काम लिया जा सकता है।
यह है प्रमुख समस्याएं
- दूसरे राज्य या जिलों से लेबर लाना।
- स्टेट से लेबर हैं, लाने का जुगाड़ नहीं।
- उत्पाद तैयार, बाजार खुलने का इंतजार।
जिले में 8840 कारखाने संचालित
जिले में 8840 कारखाने संचालित होने लगे हैं। छोटी-बड़ी फैक्ट्री के साथ ही ईंट भट्ठे, आटा चक्की, इलेक्ट्रानिक रिपेयरिंग व आरा मशीन आदि प्रतिष्ठान शामिल हैं। संयुक्त आयुक्त, उद्योग उमेश सिंह ने बताया कि वाराणसी एवं मीरजापुर मंडल में सभी तरह की इकाइयां शुरू हो गईं हैं। वाराणसी की 28 हजार 854 इकाइयों में से 8840 चालू हो गई हैं। जहां 28 हजार 456 श्रमिक कार्य कर रहे। रेड जोन में अनुमति की जरूरत पड़ रही है। जबकि ग्रीन जोन की इकाइयां पहले से चल रही हैं।
वाराणसी मंडल में इकाइयों की स्थिति
जनपद इकाइयां चालू कार्यरत श्रमिक
वाराणसी 28854 8840 28456
गाजीपुर 18900 3090 16625
जौनपुर 42255 6361 23276
चंदौली 7013 3350 14890