नगर निगम अब 'एप' से पाटेंगे गृहकर का 'गैप', वसूली की पुरानी व्यवस्था फेल
वाराणसी जैसे प्राचीन शहर में अपने कर निरीक्षकों के भारी भरकम अमले से अभी तक गृहकर वसूली कराने वाला नगर निगम अब इसके लिए जल्द ही हाइटेक राह पर उतरने वाला है।
वाराणसी, जेएनएन। अपने कर निरीक्षकों के भारी भरकम अमले से अभी तक गृहकर वसूली कराने वाला नगर निगम अब इसके लिए जल्द ही हाइटेक राह पर उतरने वाला है। जिससे सालों पुराने बकाए गृहकर की वसूली होने के साथ आगे लोग खुद आकलन कर समय से टैक्स जमा कर दें। गृहकर वसूली के लिए नगर निगम एप विकसित कराने की तैयारी में जुटा है। इसे डाउनलोड कर लोग मकान के क्षेत्रफल के अनुसार खुद गृहकर का निर्धारण कर टैक्स जमा कर सकेंगे। आनलाइन एप विकसित करने में नगर निगम की तकनीकी टीम जुटी हुई है। शुरुआती चरण में 50 हजार रुपये वार्षिक टैक्स जमा करने वाले व्यावसायिक टैक्सधारकों को लाभ मिलेगा। बाद में हर उपभोक्ता तक पहुंचाने की कोशिश होगी।
पकड़ में आएगी गड़बड़ी भी : आप नगर निगम की बताई वर्षों पुरानी दर पर गृहकर जमा कर रहे। आपको लगता है कि बिल कहीं ज्यादा तो नहीं भेजा जा रहा है। मनमाना बिल वसूली तो नहीं हो रही? यदि ऐसा है तो एप से पता चल जाएगा। कनेक्शनधारक मोबाइल पर एप इंस्टाल करते हिसाब लगा सकेंगे कि उनके मकान का वास्तव में कितना गृहकर होना चाहिए और नगर निगम में जमा कितना कर रहे। यदि बिलिंग में गड़बड़ी सामने आई तो आपत्ति जताते हुए वे राहत पा सकते हैं।
वसूल होगा 100 करोड़ बकाया भी : नगर निगम के हाइटेक होने के पीछे 100 करोड़ के पुराने गृहकर की बकाएदारी भी वसूल करना है। बकायेदार विकसित कराए जा रहे एप से मकान का वास्तविक टैक्स देख सकेंगे। शुरुआती चरण में 50 हजार वार्षिक कर जमा करने वाले व्यावसायिक टैक्सधारकों को इसका लाभ मिलेगा। बाद में इसे प्रत्येक उपभोक्ता तक पहुंचाने की कोशिश होगी। एप से टैक्स देने वालों को छूट भी दी जाएगी, वहीं आपत्ति भी दर्ज हो सकेगी। क्षेत्रफल निर्धारण के लिए नक्शा अपलोड करने का प्रावधान होगा।
क्षेत्रफल इंट्री करते ही कर निर्धारण : एप में मकान का क्षेत्रफल इंट्री करते ही वास्तविक कर निर्धारण पता चलेगा, इसी हिसाब से लोग टैक्स भी जमा कर सकेंगे। वर्तमान में राजस्व निरीक्षकों के भरोसे कर निर्धारण करने के साथ जमा किया जा रहा। बीते दिनों व्यापक तौर पर गड़बड़ी सामने आ चुकी है। कई निलंबित हो चुके हैं, जबकि कई के खिलाफ जांच चल रही है।
कई महानगरों में चल रही व्यवस्था : एप से कर निर्धारण व बिलिंग की सुविधा मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, इंदौर, बेंगलुरू व पुणे आदि शहरों में प्रगति पर है। यहां 70 फीसद से अधिक लोग इसके माध्यम से टैक्स अदायगी करते हैं। इससे समय तो बचत होती है, पारदर्शिता भी रहती है।
बोले अधिकारी : एप से करदाताओं को राहत तो मिलेगी ही भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी। इसके लिए जायका को जिम्मेदारी दी है। मार्च तक इसे लागू करेंगे। उससे पहले इसकी व्यापारियों के साथ समीक्षा की जाएगी। प्रचार-प्रसार किया जाएगा। - गौरव सोंगरवाल, संयुक्त नगर आयुक्त।