#हॉस्पिटल लाइव : देर रात पड़ताल में कहीं डाक्टर रहे नदारद तो कहीं बिखरा रहा कचरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर हाल ही में बीएचयू अस्पताल को एम्स के बराबर का दर्जा दिया गया। बावजूद इसके मरीजों के लिए मुफ्त व बेहतर इलाज मिलना अभी भी ख्वाब बना हुआ है।
वाराणसी, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर हाल ही में बीएचयू अस्पताल को एम्स के बराबर का दर्जा दिया गया। बावजूद इसके मरीजों के लिए मुफ्त व बेहतर इलाज मिलना अभी भी ख्वाब बना हुआ है। इसकी वजह भी है, आए दिन अस्पताल में डाक्टरों पर लापरवाही और मरीजों संग खराब व्यवहार के आरोप लगते रहते हैं। वहीं बुधवार देर रात दैनिक जागरण की टीम ने बीएचयू अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। इसमें न्यूरोलॉजी, मेडिसिन व यूरोलॉजी वार्ड में डॉक्टर ड्यूटी रूम या तो खाली रहे या फिर दरवाजों पर ताले लटकते मिले। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि जब डाक्टर साहेबान ही गायब रहेंगे, तो भला इलाज करेगा कौन?
टाइम लाइन :
रात 1.23 बजे : आइसीयू वार्ड के ठीक पहले रखी डस्टबिन के पास कचरे का अंबार, जबकि यहां साफ-सफाई होती है निहायत जरूरत।
रात 1.44 बजे : न्यूरोलॉजी वार्ड में गिनती के नर्सिंग स्टाफ, जेआर व एसआर नदारद।
रात 1.45 बजे : मेडिसिन वार्ड में भी नर्सिंग स्टाफ व डाक्टर रहे गायब। डाक्टर्स ड्यूटी रूम में लटका रहा ताला।
रात 1.49 बजे : यूरोलॉजी वार्ड में डाक्टर्स ड्यूटी रूम खुला रहा मगर जेआर व एसआर रहे गायब।
रात 1.49 बजे : यूरोलॉजी वार्ड में ही नर्सेज ड्यूटी रूम भी रहा खाली।
वेंटिलेटर के लिए तड़पता रहा मरीज
ब्रेन हैमरेज का एक मरीज बीएचयू अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में बुधवार की शाम पहुंचा। तमाम जांच के बाद हालत गंभीर बताते हुए संबंधित डाक्टर ने तत्काल उसे वेंटीलेटर पर रखने का सुझाव दिया। इमरजेंसी वार्ड में वेंटीलेटर होने के बावजूद रात आठ बजे से लेकर रात के एक बजे तक आइसीयू वार्ड की बाट जोही जाती रही। इस बीच मरीज की हालत और भी बिगड़ती रही और एमओ साहब नियमों की दुहाई देते रहे। देर रात आइसीयू वार्ड में बेड खाली हुआ। मरीज को आइसीयू वार्ड में शिफ्ट करने के लिए न्यूरोलाजी वार्ड के किसी डाक्टर के अंडर में भर्ती किए जाने की जरूरत थी। उक्त दिन ओपीडी वाले डाक्टर साहब छुट्टी पर थे, लिहाजा उन्होंने जेआर या एसआर पर मामला डालकर पल्ला छाड़ लिया। वहीं परिजन जब चौथी मंजिल पर न्यूरोलाजी वार्ड में पहुंचे, तो पता चला कि नर्सिंग स्टाफ को छोड़कर वार्ड में मरीजों की देखभाल के लिए न तो सीनियर रेजीडेंट थे और न ही जूनियर। वहीं एमओ द्वारा उन्हें लगातार फोन करने का भी कोई लाभ नहीं मिला। इस बीच एमओ ने पूर्व एमएस प्रो. वीएन मिश्र से बात की और हालात बताए। प्रो. मिश्र ने बिना देर किए मरीज को तत्काल अपने अंडर आइसीयू में भर्ती कराया।
बीएचयू अस्पताल की वर्तमान स्थिति
400 : बेड हैं निर्माणाधीन सुपर स्पेशलियेलिटी हॉस्पिटल में
100 : बेड निर्माणाधीन हैं एमसीएच में
16 : बेड हैं आइसीयू के
46 : ओपीडी का संचालन
15 : ऑपरेशन थियेटर
15 : लाख प्रति वर्ष ओपीडी में आने वाले मरीज
30 : हजार प्रति वर्ष ऑपरेशन
55 : हजार सालाना एडमिट होते हैं मरीज
--------------
1565 : बेड का है एसएस हॉस्पिटल
334 : बेड हैं ट्रामा सेंटर
02 : लाख रुपये है प्रति बेड फंड
198 : करोड़ रुपये है पूरा फंड
----------------
मैन पावर की वर्तमान स्थिति
327 : टीचिंग डाक्टर हैं
2200 : नॉन टीचिंग स्टाफ हैं
1100 : पद हैं नर्सों के