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BHU में बोले गृह मंत्री अमित शाह - अंग्रेज इतिहासकारों और वामपंथियों को दोष देना बंद करें, सत्य पर आधारित इतिहास लिखें

अमित शाह ने गुरुवार को बीएचयू आयोजित में एक गोष्ठी में कहा कि चंद्रगुप्त विक्रमादित्य को इतिहास में बहुत प्रसिद्धि मिली लेकिन उनके साथ इतिहास में बहुत अन्याय भी हुआ।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 09:45 AM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 08:59 AM (IST)
BHU में बोले गृह मंत्री अमित शाह - अंग्रेज इतिहासकारों और वामपंथियों को दोष देना बंद करें, सत्य पर आधारित इतिहास लिखें
BHU में बोले गृह मंत्री अमित शाह - अंग्रेज इतिहासकारों और वामपंथियों को दोष देना बंद करें, सत्य पर आधारित इतिहास लिखें

राकेश पांडेय [वाराणसी]भाजपा के खेमे से वीर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान की मुक्तकंठ से प्रशंसा की है। कहा, यदि सावरकर न होते तो 1857 की क्रांति को भी देश ठीक से न जान पाता और वह ब्रिटिश दृष्टिकोण से एक विद्रोह भर रह जाता। अब वक्त आ गया है कि अंग्रेज इतिहासकारों और वामपंथियों को दोष देना बंद करें और भारतीय दृष्टिकोण से भारतीय इतिहास का लेखन किया जाए। इतिहास का यह पुनर्लेखन सत्य पर आधारित हो। पहले का इतिहास क्या लिखा गया, उस विवाद में पड़े बिना भारत की गौरवगाथा लिखें।

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काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित भारत अध्ययन केंद्र की ओर से गुरुवार को स्वतंत्रता भवन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 'गुप्तवंशैक वीर: स्कंदगुप्त विक्रमादित्य का ऐतिहासिक पुन: स्मरण एवं भारत राष्ट्र का राजनीतिक भविष्य' को गृहमंत्री ने बतौर मुख्य अतिथि संबोधित किया। उन्होंने देश के इतिहासकारों से अपील की कि अतीत के 200 व्यक्तित्व-महापुरुषों और 25 साम्राज्यों का गौरवशाली इतिहास लिखें। नए सिरे से सत्य पर आधारित इतिहास लिखने से अब कौन रोक रहा है। कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि पहले क्या लिखा गया, अब जो इतिहास का सच आप लिखेंगे वह लंबा चलेगा और चिरंजीवी होगा। 

पराक्रमी थे सम्राट स्कंदगुप्त विक्रमादित्य

अमित शाह ने महाभारत काल के 2000 वर्ष बाद के 800 वर्ष के गौरवशाली कालखंड की चर्चा करते हुए कहा कि इसे दो प्रमुख शासन व्यवस्थाओं 'मौर्य वंश' और 'गुप्त वंश' के चलते जाना जाता है। दोनों वंशों ने भारतीय संस्कृति को तब के वैश्विक परिदृश्य में सर्वोच्च स्थान पर प्रतिस्थापित किया। चंद्रगुप्त विक्रमादित्य को इतिहास में प्रसिद्धि मिली लेकिन स्कंदगुप्त विक्रमादित्य के साथ इतिहास में अन्याय हुआ। आज उनके व्यक्तित्व-कृतित्व को जानने के लिए 200 पेज का भी लेखन नहीं मिलता है। स्कंदगुप्त ने उन बर्बर हूणों को शिकस्त दी जिनके विध्वंस के आगे रोम जैसा साम्राज्य भी परास्त हो गया। स्कंदगुप्त ने कश्मीर से कंधार तक के हूणों के आतंक से देश को मुक्त कराया। दुनिया में पहली बार हूणों को पराजय मिली और स्कंदगुप्त ने बर्बर आक्रमण को खत्म करने के साथ सुखी और समृद्ध भारत का निर्माण किया। इस वीरगाथा का यशोगान दुनिया के कई विद्वानों ने किया। जिन हूणों के हमले से बचने के लिए चीन ने ऐतिहासिक दीवार का निर्माण कराया वहां के तत्कालीन सम्राट ने स्कंदगुप्त के पराक्रम से प्रभावित होकर उनके लिए प्रशस्ति पत्र जारी किया था। ऐसे स्कंदगुप्त के गौरवशाली पराक्रम को इतिहास में विस्तार से दर्ज करने की जरूरत है। स्कंदगुप्त विक्रमादित्य को उत्कृष्ट शासन व्यवस्था, दुर्ग स्थापत्य, नगर संरचना, राजस्व संग्रह के आदर्श नियमों और सामरिक सशक्ततता के लिए जाना जाता है। मौर्य और गुप्त वंश में साहित्य, कला और संस्कृति को भी खूब संरक्षण और विस्तार मिला। विदित हो कि स्कंदगुप्त गुप्तवंश की आठवीं पीढ़ी के शासक थे।

दुनिया में भारत का मान बढ़ाया मोदी ने

गृहमंत्री ने स्कंदगुप्त की तत्कालीन वैश्विक लोकप्रियता को संदर्भित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली से जोड़ा। कहा, मोदी के नेतृत्व में देश फिर गरिमा पथ पर अग्रसर है। दुनिया भारत के विचारों को महत्व देती है। किसी मुद्दे पर भारत के प्रधानमंत्री क्या बोलते हैं, यह दुनिया देखती और सुनती है।

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में विषय स्थापना प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी ने और अध्यक्षता कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने की। संचालन और संयोजन डा. राकेश उपाध्याय ने और धन्यवाद ज्ञापन मालिनी अवस्थी ने किया। इस मौके पर आइआइटी बीएचयू के निदेशक प्रो. आरके जैन, इतिहास संकलन समिति के अध्यक्ष डा. बालमुकुंद पांडेय और समन्वयक प्रो. सदाशिव कुमार द्विवेदी भी मंचासीन रहे। दो दिवसीय संगोष्ठी में भारत सहित आठ देशों के 200 से अधिक विद्वान शामिल होंगे।

गाजीपुर और जूनागढ़ होंगे नए इतिहास के केंद्र

स्कंदगुप्त से जुड़े शिलालेख उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में सैदपुर भितरी गांव और गुजरात के जूनागढ़ में मौजूद हैं। स्कंदगुप्त विक्रमादित्य को लेकर लिखे जाने वाले विस्तृत इतिहास के केंद्र में यह दोनों स्थान होंगे। दोनों जगहों के शिलालेख में हूणों को परास्त करने संबंधी स्कंदगुप्त के यशोगान उल्लिखित हैं।

'भारत के विस्मृत और अनछुए इतिहास को सामने लाने का वक्त आ गया है। इसकी शुरुआत बीएचयू के भारत अध्ययन केंद्र से हो रही है जिसकी संकल्पना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने की थी। काशी की शास्त्रार्थ परंपरा से निकलकर पूरी दुनिया में विद्वान पहुंचे हैं। अब यहां से इतिहास का पुनर्लेखन भी शुरू होगाÓ

-डा. महेंद्र नाथ पांडेय, केंद्रीय मंत्री

भारत की पराक्रम परंपरा को आगे बढ़ा रहे मोदी-शाह : योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्तमान भारत अंग्रेजों की देन नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही भारत सांस्कृतिक रूप से जुड़ा हुआ है। देश में मौजूद तीर्थ महज उपासना के केंद्र नहीं बल्कि एकात्मता के भी केंद्र हैं। जो समाज अपने गौरवशाली अतीत को भूल जाता है उसके सामने त्रिशंकु सी स्थिति होती है। वह विदेशी आक्रांताओं और विदेशी वस्तुओं में अपने भविष्य को तलाशने लगता है। भारत के बीते 2000 वर्ष के इतिहास को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया गया। यह साजिश इसलिए की गई कि यह देश अपने गौरवशाली इतिहास को न जान पाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह चंद्रगुप्त और स्कंदगुप्त की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उसी दृढ़ इच्छा का परिणाम है कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया जाना।

 

कार्यक्रम में विशेषज्ञों की मौजूदगी

कार्यक्रम की अध्‍यक्षता बीएचयू के कुलपति प्रो. राकेश भटनागर, विशिष्‍ट वक्‍ता भारत अध्‍ययन केंद्र के शताब्‍दी पीठ आचार्य प्रो. कमलेश दत्‍त त्रिपाठी हैं। वहीं कार्यक्र में जापान से प्रो. ओइबा ताकाकी, प्रो. ईयामा मातो, मंगोलिया से डा. उल्जित लुबराजाव, थाइलैंड से डा. नरसिंह चरण पंडा, डा. सोम्‍बत, श्रीलंका से डा. वादिंगला पन्‍नलोका, वियतनाम से प्रो. दोथूहा, अमेरिका से डा. सर्वज्ञ के द्विवेदी, नेपाल से डा. काशीनाथ न्‍यौपने शामिल हैं। वहीं आयोजन में आइसीएसएसआर की ओर से प्रो. दीनबंधु पांडेय, राष्‍ट्रीय संग्राहालय महानिदेशक प्रो. बुद्ध रश्मि पांडेय, भारतीय इतिहास संकलन योजना के पूर्व अध्‍यक्ष डा. बाल मुकुंद पांडेय के अलावा अन्‍य विषय विशेषज्ञ भी आयोजन में शामिल हुए। इस मौके पर गृह मंत्री अमित शाह ने युवा वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञानेश्‍वर चौबे को सम्‍मानित किया।

स्कंदगुप्त विक्रमादित्य की स्‍मृतियां जीवंत

बीएचयू स्थित स्वतंत्रता भवन सभागार में आयोजित हो रहे संगोष्ठी का उद्घाटन करने के साथ ही गृहमंत्री अमितशाह बतौर मुख्य वक्ता 'गुप्तवंशैक-वीर : स्कंदगुप्त विक्रमादित्य का ऐतिहासिक पुन:स्मरण एवं भारत राष्ट्र का राजनीतिक भविष्य' विषय पर विचार भी व्‍य‍क्‍त करेंगे। बीएचयू में स्‍कंदगुप्‍त विक्रमादित्‍य पर संगोष्ठी का आयोजन भारत अध्ययन केंद्र की ओर से किया गया है। जिसमें शामिल होने के लिए देश-विदेश से नामचीन विद्वान भी पहुंचे हैं।

गृहमंत्री अमित शाह सुबह 9.35 बजे लाल बहादुर शास्‍त्री अंतरराष्‍ट्रीय एयरपोर्ट बाबतपुर पहुंच गए। एयरपोर्ट पर उनका स्‍वागत करने मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ सहित विभिन्‍न भाजपा नेता भी मौके पर पहुंचे। एयरपोर्ट पर प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय, मछलीशहर सांसद बीपी सरोज व विद्यासागर राय भी मौजूद रहे। एयरपोर्ट पर अगवानी के बाद हेलीकॉप्टर से सीएम के साथ गृहमंत्री ने बीएचयू के लिए प्रस्थान किया। बाबतपुर एयरपोर्ट से गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी आदित्‍यनाथ हेलीकाप्‍टर से सीधे बीएचयू ग्राउंड पर पहुंचे जहां हेलिपैड पर ही बिगुल बजाकर सलामी दी गई और उनका स्‍वागत किया गया। इसके बाद हेलीपैड से फ्लीट आयोजन स्‍थल स्‍वतंत्रता भवन सभागार की ओर रवाना हो गई जहां पर 'गुप्‍तवंशैक वीर' स्‍कंदगुप्‍त विक्रमादित्‍य पर मुख्‍य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। वहीं आयोजन स्‍थल पर गृहमंत्री और मुख्‍यमंत्री के पहुंचते ही पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कार्यक्रम की शुरुआत में गृहमंत्री को तलवार भेंट की गई तो पूरा सभागार हर-हर महादेव के नारे से गूंजने लगा। 

सुरक्षा एजेंसियों ने डाला डेरा

गृहमंत्री अमित शाह, सीएम योगी आदित्यनाथ के आगमन से पूर्व बीएचयू के फिर अशांत होने को लेकर खुफिया तंत्र सक्रिय रहा। एक दिन पूर्व बुधवार को गृहमंत्री की फोटोयुक्त बैनर पर कालिख लगाए जाने की सूचना मिलते ही सुरक्षा-खुफिया तंत्र सकते में आ गया। आनन-फानन बीएचयू में केंद्रीय व प्रदेश की खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी पहुंचे। बीएचयू प्रशासन से वार्ता के बाद इसका पता लगाया जा रहा कि जब भी बीएचयू में कोई वीवीआइपी मूवमेंट होने वाला होता है उसी दौरान बवाल क्यों होता है।


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