वाराणसी में खिलाडिय़ों की तहजीबों वाली होली, स्टेडियम में मुस्लिम खिलाड़ी संभालते हैं प्रबंधन
वाराणसी में विगत दो वर्ष से होली की पूर्व संध्या पर विशेष कार्यक्रम आयोजित कर ये खिलाड़ी तहजीब व सौहार्द की ताजगी को रवानी दे रहे हैं।
वाराणसी [मुहम्मद रईस]। दुनिया की प्राचीनतम जीवंत नगरी काशी जहां अपने दामन में अनगिनत परंपराओं व संस्कृतियों को समेटे हुए हैं। वहीं यहां नित नई परंपरा का सृजन भी होता है, जो समूचे विश्व को राह दिखाता है। इसकी ताजी मिसाल डा. संपूर्णानंद स्पोटर्स स्टेडियम में अभ्यास करने वाले खिलाडिय़ों ने पेश की है। विगत दो वर्ष से होली की पूर्व संध्या पर विशेष कार्यक्रम आयोजित कर ये खिलाड़ी तहजीब व सौहार्द की ताजगी को रवानी दे रहे हैं।
सिगरा स्टेडियम में होली के इस विशेष आयोजन में न मजहब की दीवार है, न जात-पात का पहरा और न ही उम्र की बंदिश। आयोजन का सारा बंदोबस्त करने के साथ ही मुस्लिम खिलाड़ी अबीर-गुलाल उड़ाकर सौहार्द्र के रंग को और भी गाढ़ा कर देते हैं। काशी में जब होली की बात होती है तो इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है क्योंकि यह हमारी संस्कृति का एक ऐसा प्राचीन स्तंभ है जहां विभिन्न संस्कृतियों का विकास और संवद्र्धन हुआ। यहां शिव भी होली मानते है और उनके भक्त भी। यहां लोग रंगो से भी होली खेलते है और चिता भस्म से भी। ये सभी एक ऐसी संस्कृति को जीवंत बनाते है जो हमारे विविधता में एकता को मजबूती देता है।
दो वर्ष पहले हुई शुरुआत
बनारस में होली को लेकर शायद अपनी तरह का यह इकलौता आयोजन है, जिसका सारा प्रबंधन मुस्लिम खिलाड़ी मार्निंग वॉक पर आने वालों के सहयोग से करते हैं। पूर्व रणजी क्रिकेटर नासिर अली के मुताबिक कौन-कौन से कार्यक्रम होंगे और कौन सा पकवान चखने को मिलेगा, इसकी जानकारी चुनिंदा लोगों को ही रहती है, ताकि सभी के मन में रोमांच व जिज्ञासा बनी रहे।
अबीर-गुलाल संग पहुंचते हैं मुस्लिम
इस बार यह आयोजन नौ मार्च को सुबह सात से दस बजे तक सिगरा स्टेडियम में साजिद अली खान के संयोजन में होगा। मुख्य ग्राउंड के बाहर 780 मीटर पाथ-वे पर विविध आयोजन होंगे। नासिर अली के मुताबिक खिलाड़ी न सिर्फ तरह-तरह का स्वांग बना कर पहुंचते हैं, बल्कि अबीर-गुलाल के रूप में सौहाद्र्र व भाईचारे की रंगत भी साथ लेकर आते हैं।