सात समंदर पार अमेरिका से हो रही हिंदी की पढ़ाई, अमेरिका-भारत में कोरोना वायरस पर होती है चर्चा
सात समंदर पार अमेरिकी लोग भारत से सम्पर्क में रहकर लैपटॉप की स्क्रीन पर अपने एकांतवास का सदुपयोग कर रहे हैं और वह भी हिंदी की पढ़ाई में।
वाराणसी [राजेश त्रिपाठी]। विश्व आज कोरोना वायरस से जूझ रहा है। इस संघर्ष की एक महत्वपूर्ण कड़ी में विश्व के अनेक देश लॉकडाउन जैसे उपाय में गुजर रहे हैं। लोग घरों में अपना समय बिता रहे हैं। अमेरिका, भारत, इटली, फ्रांस, जापान, चीन, उत्तरी कोरिया, इटली ईरान सभी जगह लोग घरों में हैं। इस वैश्विक एकांतवास में यह आश्चर्यजनक नहीं कि सात समंदर पार अमेरिकी लोग भारत से सम्पर्क में रहकर लैपटॉप की स्क्रीन पर अपने एकांतवास का सदुपयोग कर रहे हैं और वह भी हिंदी की पढ़ाई में।
जी हां, यह वाकया वर्तमान में चल रहा है। हुआ यूं है कि सीईटी स्टडी एब्राड यू डब्ल्यू मेडिसन विश्वविद्यालय अमेरिका के विद्यार्थी जेसन वसूरी, लियाना, बेन, एला, रोन, जे. मतीयो, जेसन, इलियट, डेविड वीसुरी व फबीयोला, जनवरी माह में काशी आये थे। इन्हेंं पांच महीने तक यहां रहकर हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति का अध्ययन करना था। कुछ दिनों कैवल्य धाम स्थित विश्वविद्यालय की शाखा में अध्ययन भी किया लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण अमेरिकी सरकार ने उन्हेंं 16 से 20 मार्च के बीच वहां बुला लिया। इस समय ये सभी छात्र अमेरिका के विभिन्न प्रान्तों कैलिफोर्निया, वाशिंगटन, डीसी, बोस्टन और मेडिसन में रहकर अपनी शिक्षिका निरुपमा त्रिपाठी से हिंदी भाषा व भारतीय संस्कृति की शिक्षा ले रहे हैं। शिक्षिका निरुपमा त्रिपाठी अपने नगवां स्थित आवास से ही स्काइप वीडियो कॉल के माध्यम से लैपटॉप पर शिक्षण प्रदान कर रही हैं।
निरुपमा त्रिपाठी के अनुसार इस समय प्रतिदिन दो से तीन घण्टे कक्षा चलती है। भारतीय समय के अनुसार कभी शाम साढ़े पांच बजे तो कभी आठ बजे तो कभी 11 बजे रात को कक्षाएं चलाई जाती हैं। ये सभी छात्र वीडियो कॉलिंग के माध्यम से पढ़ाई करते हैं। शिक्षिका निरुपमा के अनुसार भाषा की पढ़ाई का मुख्य आधार दैनिक जागरण अखबार होता है। वे अखबार का ई मेल संस्करण निकाल लेते हैं और उसमें आये समाचारों को पढ़ते हैं और शब्दों का अर्थ भी समझते हैं। क्योंकि अखबार के माध्यम से तत्संबंधी भाषा का ज्ञान बड़ी ही आसानी से किया जा सकता है। न्यूज के हिसाब से भी बात होती है। 25 अप्रैल की कक्षा में प्रथम पृष्ठ की लीड खबर पढ़ाई का माध्यम बनी। अमेरिका से छात्रों ने समाचार पत्र में आये कुछ शब्दों के अर्थ की जानकारी के साथ ही भारत में कोरोना की स्थिति के बारे में भी जानकारी ली। उन्होंने भारत में किये गए संक्रमण से बचाव के लिए लॉक डाउन -2 जैसे उपायों की सराहना की। साथ ही अमेरिका में भी किये गए कार्यों पर बातचीत की। कहा कि पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। इस हालचाल के बाद आजकल हरिशंकर परसाई की हिंदी कहानी भोलाराम का जीव को भी भाषाई शिक्षा का आधार बनाकर हिंदी के शब्दों व व्याकरण की चर्चा अमेरिकी छात्रों के अध्ययन का विषय बना हुआ है।