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हाई-प्रेशर कार्बनडाइ ऑक्साइड तकनीक से 35 सेकेंड में आइसक्रीम होती है तैयार

तकनीक आइसक्रीम बाजार में काफी बदलाव ला सकती है। यह बात विश्व दुग्ध दिवस पर बीएचयू के डेयरी विज्ञान और खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेबिनार की दूसरी कड़ी में अमेरिका स्थित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सैयद रिजवी ने कही।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 02 Jun 2021 05:09 PM (IST)Updated: Wed, 02 Jun 2021 05:12 PM (IST)
हाई-प्रेशर कार्बनडाइ ऑक्साइड तकनीक से 35 सेकेंड में आइसक्रीम होती है तैयार
तकनीक आइसक्रीम बाजार में काफी बदलाव ला सकती है।

वाराणसी, जेएनएन। हाई-प्रेशर कार्बनडाइ ऑक्साइड तकनीक से 35 सेकेंड में आइसक्रीम तैयार की जा सकती है। यह तकनीक आइसक्रीम बाजार में काफी बदलाव ला सकती है। यह बात विश्व दुग्ध दिवस पर बीएचयू के डेयरी विज्ञान और खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेबिनार की दूसरी कड़ी में अमेरिका स्थित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सैयद रिजवी ने कही।

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यह तकनीक उन्होंने ही विकसित की है और जल्द ही दुनिया इसका उपयोग कर पाएगी। उन्होंने बताया कि पुरानी अमोनिया तकनीक में डेढ़ से दो घंटे तक लग जाते हैं, मगर इस क्रीम मिक्सर पर हाई-प्रेशर कार्बन डाइऑक्साइड तकनीक समय के साथ ऊर्जा की भी बचत करेगी। इससे आइसक्रीम विक्रेता बाजार में मांग के अनुसार आइसक्रीम का उत्पादन कर सकेंगे। इस दौरान अमेरिका के ही जॉर्जिया यूनिवर्सिटी के राकेश सिंह ने डेयरी प्रसंस्करण में उभरती प्रौद्योगिकी विषय पर अपनी बात कही। बताया कि प्लाज्मा प्रौद्योगिकी, ताप प्रौद्योगिकी और रेडियो फ्रीक्वेंसी आदि जैसे उभरते प्रसंस्करण ट्रीटमेंट दुग्ध इंडस्ट्री के क्षेत्र में क्रांतिकारिक बदलाव लाएंगे।  

कोविड के बाद की स्थिति में हम ऐसे नवाचारों की उम्मीद कर सकते हैं जो डेयरी और संयंत्र-आधारित क्रांति, स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा, नवीन पैकेजिंग और यहां तक कि लैब-निर्मित डेयरी की संभावना पर केंद्रित होंगे। प्रोफेसर सिंह हाई इंपैक्ट फैक्टर इंटरनेशनल जर्नल के मुख्य संपादक भी हैं।

अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में दूध के कई आयामों पर दुनिया भर के दुग्ध विज्ञानियों से चर्चा करते हुए बीएचयू के डेयरी विज्ञान और खाद्य प्रौद्योगिकी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दिनेश चंद्र राय ने कहा कि भारतीय डेयरी उद्योग इस महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाने के लिए सक्षम है। हम अपने डेयरी क्षेत्र के बारे में भी उसी तरह आश्वस्त हैं, जो सभी परिस्थितिजन्य संकटों के बावजूद नुकसान की भरपाई करने में पर्याप्त है।

इस अवसर पर विभाग द्वारा एक त्रैमासिक पत्र भी जारी किया गया। दुग्ध विज्ञानी डॉ. अरविंद व सुनील मीणा ने सत्र का संचालन किया और प्रो. राज कुमार दुवारी ने वक्ताओं और प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। इस वेबिनार में दुनिया भर के हजार से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।


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