प्रतिबंधित चाइनीज मांझा की बिक्री पर हाईकोर्ट का प्रदेश सरकार से जवाब तलब
हाईकोर्ट इलाहाबाद के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने चाइनीज मांझा की बिक्री व उपभोग पर आदेश के बावजूद प्रतिबंध न लगने पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।
जौनपुर [सतीश सिंह]। हाईकोर्ट इलाहाबाद के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने चाइनीज मांझा की बिक्री व उपभोग पर आदेश के बावजूद प्रतिबंध न लगने पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने आदेश में लिखा कि तीन वर्ष पूर्व प्रमुख सचिव गृह को चाइनीज मांझा के प्रदेश भर में इस्तेमाल न होने के लिए सभी जिलों के कलेक्टर को आदेशित करने का निर्देश दिया गया था लेकिन उसका अनुपालन नहीं हुआ। अब हाईकोर्ट ने इसे पुन: गंभीरता से लिया है।
दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता हिमांशु श्रीवास्तव व सिपाह निवासी स्कूल संचालक अरुण कुमार यादव ने जनहित याचिका दायर किया कि हाईकोर्ट द्वारा प्रतिबंधित चाइनीज मांझा की बिक्री व उपभोग पर रोक लगाई गई। इसके बावजूद यह मांझा धड़ल्ले से बिकता रहा। वर्ष 2018 में कई अधिवक्ता व 20 से अधिक राहगीर चाइनीज मांझा से गंभीर रूप से घायल हो गए। नगर के उमरपुर निवासी उत्तम दुबे की चाइनीज मांझे की चपेट में आने से मौत भी हो गई थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता एसपी प्रसाद ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट व राज्य सरकार द्वारा रोक लगाने के बावजूद यदि ऐसा खतरनाक मांझा बिक रहा है जो जीवन के लिए संकट उत्पन्न कर रहा है तो निश्चित रूप से प्रशासन उत्तरदायी है। याचिका के समर्थन में विभिन्न अखबारों की कटिंग्स व फोटोग्राफ्स दाखिल किए गए। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने अपने आदेश में 19 नवंबर 2015 को हुए आदेश का हवाला देते हुए कहा कि पतंग उड़ने पर तो रोक नहीं लगाई जा सकती लेकिन चाइनीज मांझा मानव जीवन व पक्षियों के जीवन को गंभीर संकट उत्पन्न कर रहा है, उसके उपभोग व बिक्री पर रोक लगनी चाहिए।
प्रमुख सचिव गृह को आदेश दिया गया था कि प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टर से चाइनीज मंझे के उपभोग व बिक्री पर रोक लगाने के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराएं और चाइनीज मांझा के निर्माण, उपभोग व बिक्री पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार उचित कदम उठाए। राज्य सरकार की ओर से हाजिर स्टैंडिंग काउंसिल को निर्देशित किया गया की जनहित में 19 नवंबर 2015 को हुए आदेश के अनुपालन के संबंध में क्या कदम उठाए गए, यह 8 फरवरी तक स्पष्ट करें।