Move to Jagran APP

यहां कोरोना वायरस से नहीं, फ्लोरोसिस से तोड़ रहे दम, सात सौ से अधिक की हो चुकी है मौत

सोनभद्र में कई गांव ऐसे हैं जहां कोरोना से नहीं बल्कि फ्लोरोसिस से लोग दम तोड़ रहे हैं। पिछले पांच वर्षों में सात सौ से अधिक की मौत हो चुकी है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 01:50 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 04:37 PM (IST)
यहां कोरोना वायरस से नहीं, फ्लोरोसिस से तोड़ रहे दम, सात सौ से अधिक की हो चुकी है मौत
यहां कोरोना वायरस से नहीं, फ्लोरोसिस से तोड़ रहे दम, सात सौ से अधिक की हो चुकी है मौत

सोनभद्र, जेएनएन। जिले में कोरोना संक्रमितों की तादाद दिनों दिन बढ़ तो जरूर रही लेकिन यहां सबसे बड़ी समस्या फ्लोरोसिस है। जनपद में अभी तक कोरोना से किसी की मौत नहीं हुई है, लेकिन फ्लोरोसिस से मरने वाली का क्रम जारी है। पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने से चोपन, दुद्धी व म्योरपुर ब्लाक के कई गांवों में लोग फ्लोरोसिस की बीमारी से पीडि़त है। किसी का हाथ तो किसी का पैर टेढ़ा हो गया है। किसी का दांत बदरंग होकर गिर रहा है। शासन-प्रशासन द्वारा इस बीमारी से निजात दिलाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। गौरतलब बात यह है कि प्रशासन तो फ्लोरोसिस से मरने वालों को भी झुठला देता है।

prime article banner

296 गांव में फ्लोरोसिस से लगभग दस हजार लोग पीडि़त

जनपद के कई ब्लाकों में फ्लोरोसिस घातक बीमारी के रूप में उभर कर सामने आई है। चोपन, दूद्धी, म्योरपुर व बभनी ब्लॉक के 296 गांव में फ्लोरोसिस से लगभग दस हजार लोग पीडि़त हैं। फ्लोरोसिस बीमारी से घिरे गांव के लोगों के हाथ-पैर ठेड़े होने लगे तो हड़कंप मच गया लेकिन बचाव के नाम पर महज आश्वासन ही मिला। हालत यह हुई कि इस बीमारी से लोग दम तोडऩे लगे लेकिन जिला प्रशासन मानने को तैयार नहीं हुआ कि यह फ्लोरोसिस बीमारी से दम तोड़ रहा है। चोपन ब्लाक के नई बस्ती झिरगाडंडी, पिपरहवा, कचनरवा, कुड़वा, दुद्धी ब्लॉक के मझौली, उतर टोला मनबसा, कटौली, म्योरपुर ब्लॉक के कुसम्हा, गोविंदपुर, गंभीरपुर, खैराही, किरवानी, रनतोला, रासपहरी, गडिय़ा व पडऱी में मौतों का सिलसिला शुरू हुआ तो प्रशासनिक अधिकारियों में कुछ सक्रियता बढ़ा लेकिन मौत के मामले में भी जिला प्रशासन चुप्पी साधे रहा।

पांच वर्षों में सात सौ से अधिक मौतें फ्लोरोसिस की वजह से हुई

बभनी ब्लाक के संवरा, बिचियारी, पोखरा, चपकी व भंवर में फ्लोरोसिस से किसी की मौत तो नहीं हुई लेकिन पीडि़तों की तादात बढ़ती गई। प्रशासनिक अधिकारियों की चुप्पी व मौतों को झुठलाने से हालत यह हो गई कि जिले में पांच वर्षों में सात सौ से अधिक मौतें फ्लोरोसिस पीडि़तों की हो गई। फ्लोरोसीस से चोपन ब्लाक की नई बस्ती में 23, झिरगाडंडी व पिपरहवा गांव में 18, कुड़वा में तीन साल में 105, कुशम्हा में पांच से अधिक, रासपहरी में तीन समेत कुल सात सौ से अधिक मौतों को गंभीरता से लेने के बावजूद जिला प्रशासन उसे झुठलाने में लगा रहा।

जांच में हो चुका है पर्दाफाश

वर्ष 2019 अगस्त 14 से 19 के बीच स्वस्थ्य महानिदेशालय लखनऊ की टीम संबंधित गांव के पानी और पीडि़तों के यूरिन की जांच की। मानक एक लीटर में एक मिली ग्राम से अधिक फ्लोराइड पाया गया। पेयजल के रूप में उपयोग होने वाले जल व लोगों के यूरिन में आठ से 14 गुना ज्यादा फ्लोराइड मिला। इसकी रिपोर्ट में केंद्र व प्रदेश सरकार को दी गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा देहरादून की रिसर्च संस्था (पीएसआई) ने भी सर्वे कर इस बात का खुलासा किया कि जनपद के कई गांव में पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने से लोग फ्लोरोसिस की बीमारी से पीडि़त है और दम तोड़ रहे हैं। 

यूरिन में मिल चुका है 26 गुना अधिक फ्लोराइड

जनवरी 2020 में गाडिय़ा, गोङ्क्षवदपुर, कुशुम्हा, खैराही व मनसा में लोगों के यूरिन की दांच हुई थी। जांच रिपोर्ट चौकाने वाली थी। यूरिन में चार से 26 गुना ज्यादा फ्लोराइएड की मात्रा पाई गई थी। फ्लोरोसिस बीमारी का दर्द इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदूषण के खिलाफ अंतर राष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाने वाले पर्यावरण कार्यकर्ता जगतनरायन विश्वकर्मा भी फ्लोरोसिस से पीडि़त हैं। पिछले एक वर्ष से चलने में परेशानी का उपचार हो रहा है। उनके यूरिन में मानक से छह गुना ज्यादा फ्लोराइएड की पुष्टि हुई है।

बोले सीएमओ, मौत का मामला दर्ज नहीं

मुख्य चिकित्साधिकारी डी. एसके उपाध्याय का कहना है कि जिले में फ्लोरोसिस से किसी की मौत होने का मामला दर्ज नहीं है। लेकिन इस बात से इन्‍कार भी नहीं किया जा सकता है कि फ्लोरोसिस बीमारी से पीडि़तों की संख्या कम है। फ्लोरोसिस बीमारी से लोगों को निजात दिलाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.