डीएम-एसएसपी ने दिखाया संयम, 15 सीओ, 50 इंस्पेक्टर संग 1200 जवान मोर्चे पर
मंगलवार को दोपहर में जब बीएचयू प्रशासन ने छात्रों को हास्टल खाली करने का फरमान सुनाया तो वे उग्र हो गए, मगर जिला व पुलिस प्रशासन ने ठंडे दिमाग से काम लिया।
वाराणसी [विजय उपाध्याय] : महामना की बगिया एक बार फिर जलने से बच गया। इस बार रक्षार्थ के लिए स्वयं डीएम व एसएसपी मौके पर मौजूद रहे। मंगलवार को दोपहर में जब बीएचयू प्रशासन ने छात्रों को हास्टल खाली करने का फरमान सुनाया तो वे उग्र हो गए। शाम होते-होते धरना पर बैठ गए। स्थिति एक बार फिर से अनियंत्रित होने लगीं। इसके बाद डीएम सुरेंद्र सिंह व एसएसपी आनंद कुलकर्णी ने मोर्चा संभाल लिया। पुलिस फोर्स बढ़ाई जाने लगी।
सभी एडीएम, एसीएम, तीन सीओ संग करीब 800 जवानों को मौके पर बुलाकर लाठीचार्ज की रणनीति बनने लगी। लक्ष्मण दास अतिथि गृह से बाहर निकलने के बाद आला अफसर तीन बार छात्रों की ओर बढ़े मगर चौथी बार निहत्थे छात्रों को देख उनके कदम ठिठक गए। फौरन एसपी सिटी दिनेश कुमार सिंह आए आए और छात्रों से अपील की कि डीएम व एसएसपी बात करेंगे। इसके बाद छात्रों को मनाने का दौर शुरू हुआ। डीएम व एसएसपी के प्रयास से मंगलवार को रात्रि में करीब एक से डेढ़ बजे के बीच छात्रों को मना लिया गया।
देर रात्रि में ही तय हुआ कि बुधवार को सुबह में हास्टलों को पूरी तरह खाली करा लिया जाएगा। रणनीति के तहत इतनी ज्यादा फोर्स मंगाई गई कि 10 हजार से ज्यादा छात्र भी यदि विरोध में आ जाते तब भी फोर्स ही भारी पड़ती। पुलिस अफसरों के मुताबिक बनारस के अलावा गाजीपुर, जौनपुर व चंदौली के 15 सीओ, 50 इंस्पेक्टर, 100 एसआई व करीब 1200 जवानों को तैनात किया गया। छावनी बनी बीएचयू को देख छात्र इस कदर सहम उठे कि लाठी फटकारनी तक नहीं पड़ी। एक-एक कर छात्र हास्टल छोड़ बाहर निकल गए।
छात्रों की भी सुनें कुलपति
उधर, बीएचयू के छात्रों का कहना था कि वे कई बार शिकायतें लेकर कुलपति के पास जाते हैं लेकिन उनकी एक नहीं सुनी जाती। बाहरी छात्रों को हास्टल में आने से न रोकने पर वे वार्डेन की शिकायत भी कर चुके हैं लेकिन कोई कार्रवाई न होने से उनमें रोष है।