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वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका पर सुनवाई जारी, अगली तिथि छह मार्च को

ज्ञानवापी मामले में पक्षकार बनाये जाने की स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के नजीरों का हवाला देते हुए कहा कि इस वाद में भी अतिरिक्त वादमित्र नियुक्त हो सकता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 07:09 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 07:09 PM (IST)
वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका पर सुनवाई जारी, अगली तिथि छह मार्च को
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर छह मार्च की तिथि मुकर्रर कर दी।

वाराणसी, जेएनएन। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) आशुतोष तिवारी की अदालत में ज्ञानवापी मामले में पक्षकार बनाये जाने की स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई जारी है। बहस पूरी नहीं होने पर अदालत ने इसे जारी रखते हुए छह मार्च की तिथि मुकर्रर कर दी। गुरुवार को सुनवाई के दौरान स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से अधिवक्ताद्वय चंद्रशेखर सेठ व जीत नारायण सिंह द्वारा दलील दी कि प्रतिनिधित्व वाद में कोई भी पक्षकार बन सकता है। प्रतिनिधित्व वाद में सबका हित होता है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के नजीरों का हवाला देते हुए कहा कि इस वाद में भी अतिरिक्त वादमित्र नियुक्त हो सकता है। वादी (देवता) पक्ष का बेहतर प्रतिनिधित्व और भक्तों को जल्द से जल्द पूजा-पाठ का अधिकार मिले इस निमित्त ही वादमित्र के तौर पर पक्षकार बनाने के लिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से प्रार्थना पत्र अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। स्वामी जी को लोकप्रियता की आवश्यकता नहीं है। काफी संख्या में उनके अनुयायी हैं। रामजन्मभूमि मुकदमा में भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पक्षकार थे।

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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका पर वादी प्राचीन मूर्ति स्वयंभू देवता ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेवरनाथ की ओर से पैरवी कर रहे वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने आपत्ति जताई। उनकी ओर से दलील दी गई कि वर्तमान वाद की कार्यवाही को अनावश्यक रुप से विलंबित करने और लोकप्रियता हासिल करने के लिए यह प्रार्थना पत्र दिया गया है। रामजन्म भूमि मुकदमा में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पक्षकार नहीं थे। उक्त मुकदमे में प्रतिवादी के गवाह थे। वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने रामजन्म भूमि के मुकदमे में पक्षकारों के नामों की जानकारी अदालत में प्रस्तुत किया। कहा कि न्यायालय के आदेश पर 11 अक्टूबर 2019 में उन्हें वादी संख्या-एक (प्राचीन मूर्ति देवता स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर) का वादमित्र नियुक्त किया गया है। एक के रहते दूसरा वादमित्र नहीं हो सकता है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अपने प्रार्थना पत्र में यह जिक्र भी नहीं किया है कि उन्हें किसका वादमित्र बनाया जाए। ज्योर्तिलिंग विश्वेश्वरनाथ (विश्वनाथ) के प्रति विश्व के सभी शिवभक्तों एवं हिंदू सनातनधर्मियों की अगाध श्रद्धा व विश्वास कायम है। परंतु इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि सभी को वादमित्र बना दिया जाए। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मुकदमे से संबंधित अपना साक्ष्य और महत्त्वपूर्ण दस्तावेजी साक्ष्य देकर उनकी मदद कर सकते हैं। इसके लिए उनको वादमित्र अथवा पक्षकार बनना आवश्यक नहीं है। उनको पक्षकार बनाये बिना ही मुकदमे का निस्तारण सुचारु रुप से हो सकता है।

उधर काशी विश्वेश्वरनाथ मंदिर व ज्ञानवापी मस्जिद विवाद की पोषणीयता को लेकर लंबित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है। अगली सुनवाई के लिए दस मार्च की तिथि मुकर्रर है।

बता दें कि ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओ को पूजा पाठ करने का अधिकार आदि को लेकर वर्ष 1991 में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से पक्षकार पं.सोमनाथ व्यास,हरिहर पाण्डेय  आदि ने मुकदमा दायर किया था। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) की अदालत में उक्त मुकदमे की सुनवाई चल रही है।


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