वाराणसी मंडल का कमाल : स्वास्थ्य विभाग ने शासन को लगा दिया आंकड़ों का 'टीका'
वाराणसी मंडल के चार जिलों में 64343 बच्चे पैदा हुए मगर 114343 बच्चों को टीका लगाकर पूर्ण रूप से प्रतिरक्षित कर दिया गया।
वाराणसी [प्रमोद यादव]। वाराणसी मंडल के चार जिलों में 64343 बच्चे पैदा हुए, मगर 1,14,343 बच्चों को टीका लगाकर पूर्ण रूप से प्रतिरक्षित कर दिया गया। यह कमाल स्वास्थ्य विभाग ने चार महीनों यानी अप्रैल से जुलाई के बीच कर दिया। इसे बड़े शान से आंकड़े में दर्ज करते हुए प्रशासन से शासन तक हर बार की तरह भेज भी दिया। इस तरह संस्थागत की आड़ में किए गए कार्यो की रिपोर्ट देने की खानापूर्ति की जा रही। मंडलीय समीक्षा के दौरान आंकड़ों के इस घालमेल पर जब मंडलायुक्त का माथा चकराया तो अफसरों ने आनन-फानन रिपोर्ट में दर्ज 'संस्थागत' शब्द की आड़ ले ली।
हालांकि,ये सच्चाई सामने आ ही गई कि आंकड़े रखने के लिए तैनात अधिकारियों-कर्मचारियों की भारी-भरकम फौज के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के पास मंडल में 50 हजार बच्चों के जन्म का हिसाब ही नहीं है। उन्हें सिर्फ सरकारी और निजी चिकित्सा इकाइयों (संस्थागत) में चार माह के दौरान 64343 बच्चों के जन्म की ही जानकारी है।
आधी-अधूरी जानकारी पर कार्रवाई नहीं नियमानुसार गांव से शहर तक कहीं भी प्रसव की सूचना रखने का प्रावधान है। इसकी जिम्मेदारी निचले स्तर पर आशा व एएनएम की है और निजी अस्पतालों द्वारा इसकी जानकारी न देने पर पंजीयन निरस्त करने का मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को अधिकार है। इसके बाद भी सिर्फ सरकारी और कुछ निजी अस्पतालों से मिली सूचना रिपोर्ट में दर्ज कर शासन को भेजी जा रही। इसके आधार पर समीक्षा भी हो रही है।
सरकारी सुस्ती से चल रही झोलाछापों की दुकान गर्भधारण के साथ ही संबंधित महिला का पंजीकरण होना चाहिए। निजी अस्पतालों को भी इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग में दर्ज करानी चाहिए। मॉनीट¨रग नहीं होने से तमाम अस्पताल अपने यहां कराए प्रसव की सूचना तो छिपा ही रहे अवैधानिक रूप से झोलाछाप भी गांव-मोहल्लों में प्रसव करा रहे हैं। बीएचएमएस या बीएएमएस खुद को स्त्री रोग विशेषज्ञ लिख कर खेल कर रहे तो स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत्त कर्मचारी भी प्रसव की दुकान चला रही हैं।