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हरितालिका तीज व्रत : तृतीया एक सितंबर सुबह 11.21 से दो सितंबर को सुबह 9.01 बजे तक Varanasi news

हरितालिका तीज व्रत पर्व इस बार दो सितंबर को मनाया जाएगा। तृतीया एक सितंबर को सुबह 11.21 बजे लगेगी जो दो सितंबर को सुबह 9.01 बजे तक रहेगी।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 01 Sep 2019 11:24 AM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 09:08 PM (IST)
हरितालिका तीज व्रत : तृतीया एक सितंबर सुबह 11.21 से दो सितंबर को सुबह 9.01 बजे तक Varanasi news
हरितालिका तीज व्रत : तृतीया एक सितंबर सुबह 11.21 से दो सितंबर को सुबह 9.01 बजे तक Varanasi news

वाराणसी, जेएनएन। हरितालिका तीज व्रत पर्व इस बार दो सितंबर को मनाया जाएगा। तृतीया एक सितंबर को सुबह 11.21 बजे लगेगी जो दो सितंबर को सुबह 9.01 बजे तक रहेगी। तीज व्रत पारन तीन सितंबर को किया जाएगा। भाद्रपद शुक्ल तृतीया को सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सौभाग्य रक्षार्थ और विवाह योग्य कन्याएं मनोवांछित पति की कामना से निर्जल व्रत करती हैं। इसे हरितालिका व्रत या तीज कहा जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि 'भाद्र शुक्ल तृतीयायाम् हरितालिका व्रतम्। तत्र मुहूर्त मात्रा ततोन्यूनाधिपरा ग्राह्या। यदा क्षयवसाद् परिदिने नास्ति द्वितीया युतापि ग्राह्य।।' अर्थात भाद्र शुक्ल तृतीया को हरितालिका व्रत होता है। इसमें मुहूर्त मात्र या उससे भी कम हो तो भी चतुर्थी विद्धा ग्रहण करना चाहिए। यदि तिथि का क्षय हो तो द्वितीया विद्धा भी ग्रहण करने योग्य है। 

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माता पार्वती व भगवान शिव की कथा : माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हजारों वर्षों तक कठिन तपस्या की। भाद्रपद शुक्ल तृतीया को ही उनकी मनोकामना पूरी हुई, तभी से इस तिथि पर सनातनी सौभाग्यवती महिलाएं सौभाग्य व अविवाहित बालिकाएं अनुकूल पति कामना से यह व्रत करती हैं।

कथा श्रवण, रात्रि जागरण से सौभाग्य रक्षा : धर्म पारायण स्त्रियों को तिथि विशेष पर प्रात: स्नानादि कर संकल्प व्रत संकल्प लेना चाहिए। इसके लिए हाथ में जल -अक्षत-पुष्पादि लेकर 'शिव-पार्वती की सायुज्य सिद्धि के लिए हरि तालिका व्रत करूंगी' वाक्य मन में दोहराना चाहिए। घर में भूमि पर मंडपादि सुशोभित कर कलश स्थापन, सुवर्णादि निर्मित शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित कर विधिवत पंचोपचार या षोडशोपचार पूर्वक पूजन करना चाहिए। अंत में भूल-चूक के लिए क्षमा प्रार्थना भी कर लेनी चाहिए। शिव-पार्वती की पार्थिव मूर्ति का पूजन तथा कथा श्रवण करते हुए रात्रि जागरण से सौभाग्य की रक्षा होती है। 


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