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हरि प्रबोधिनी एकादशी आज ; योग निद्रा से जागे श्रीहरि, शालिग्राम और तुलसी विवाह का विधान

हरि प्रबोधिनी एकादशी योग निद्रा से जागे श्रीहरि सुख-सौभाग्य यश का वरदान क्षीर सागर में आषाढ़ शुक्ल एकादशी से योग निद्रारत श्रीहरि का कार्तिक शुक्ल एकादशी शुक्रवार को है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 07:27 PM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 11:44 AM (IST)
हरि प्रबोधिनी एकादशी आज ; योग निद्रा से जागे श्रीहरि, शालिग्राम और तुलसी विवाह का विधान
हरि प्रबोधिनी एकादशी आज ; योग निद्रा से जागे श्रीहरि, शालिग्राम और तुलसी विवाह का विधान

वाराणसी, जेएनएन। हरि प्रबोधिनी एकादशी, योग निद्रा से जागे श्रीहरि, सुख-सौभाग्य यश का वरदान

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क्षीर सागर में आषाढ़ शुक्ल एकादशी से योग निद्रारत श्रीहरि का कार्तिक शुक्ल एकादशी शुक्रवार को है। सनातन धर्म में आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चार मास चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। शुक्रवार को हरिप्रबोधिनी एकादशी के साथ समापन होगा जाएगा।

हरि प्रबोधिनी एकादशी पर प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर पालनहार भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत रख कर रात में शयनरत श्रीहरि को जगाने के लिए विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु कथा, पुराण आदि का श्रवण व भजन, गायन, वादन, घंटा, शंख, मृदंग, नगाड़ा व वीणा आदि बजा कर प्रभु श्रीहरि को जगाना चाहिए। रात में पंचोपचार व षोडशोपचार विधि से पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से श्रीहरि प्रसन्न होकर व्रतियों को सुख-सौभाग्य यश का वरदान देते हैं। इस दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है। कार्तिक शुक्ल एकादशी से पांच दिनी यानी कार्तिक पूर्णिमा तक विष्णु पंचक व्रत का विधान है। हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह कराए जाने का विधान है। इस वर्ष तुलसी विवाह शुक्रवार को है, इस दिन कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि है। इस दिन शुभ मुहूर्त में तुलसी और भगवान शालिग्राम का विधिपूर्वक विवाह होता है, इस विवाह की पृष्ठभूमि में एक पौराणिक कथा है, जिसे पढ़कर या सुनकर आप जान पाएंगे कि तुलसी कौन थीं और भगवान विष्णु को शालिग्राम स्वरूप कैसे प्राप्त हुआ। आइए जानते हैं तुलसी विवाह की क​था।

तुलसी विवाह क​था

नारद पुराण में बताया गया है कि एक समय प्राचीन काल में दैत्यराज जलंधर का तीनों लोक में अत्याचार बढ़ गया था। उसके अत्याचार से ऋषि-मुनि, देवता गण और मनुष्य बेहद परेशान और दुखी थे। जलंधर बड़ा ही वीर और पराक्रमी था, इसका सबसे बड़ा कारण था उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म। इस कारण से वह पराजित नहीं होता था।

गन्नों से पटा बाजार

कार्तिक मास की एकादशी पर आमजन गन्ने का प्रयोग करते है। इसलिए एकादशी की पूर्व संध्या पर बाजारों में भारी मात्रा में गन्ना बिकने के लिए दुकानदारों द्वारा लाया गया है। गुरुवार की शाम से ही दुकानदार यहां पर भारी मात्रा में गन्ने बिक्री के लिए लाए हैं।मालूम हो कि कार्तिक एकादशी में गन्ने का जुठान होता है।  गन्ने की पूजा भी होती है। तुलसी पूजा और विवाह में लोग गन्ना भी चढ़ाते हैं।


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