Lockdown के कारण इस बार हैंडपंपों का नहीं हो सका सर्वे, री-बोरिंग और नए स्थानों का चयन भी रूका
कोरोनावायरस महामारी और लॉकडाउन के चलते वाराणसी में इस बार गर्मी से पहले जिले में खराब हैंडपंपों का सर्वे नहीं हो सका और न ही नए स्थान चिह्नित हो पाए।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोनावायरस महामारी और लॉकडाउन के चलते इस बार गर्मी से पहले जिले में खराब हैंडपंपों का सर्वे नहीं हो सका और न ही नए स्थान चिह्नित हो पाए। जिन विभागों ने सर्वे शुरू किया उसे पूरा नहीं कर पाए। गर्मी बढऩे के साथ लोगों के सामने पेयजल संकट पैदा होने के साथ कंठ सूखना तय है। वहीं, गर्मी बढऩे के साथ पानी का जलस्तर भी गिरना शुरू हो गया है, ऐसे में जिला प्रशासन के साथ संबंधित विभाग के सामने लोगों तक पानी पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। जिले में करीब 32 हजार हैंडपंप लगे हैं जिसमें सात हजार से ज्यादा मरम्मत के अभाव में पानी नहीं उगल रहे हैं।
गर्मी से पहले जिला प्रशासन लेखपाल, पंचायतीराज विभाग सेक्रेटरी, जलनिगम और जलकल संस्थान अपने-अपने हिसाब से हैंडपंपों का सर्वे करता है। देखा जाता है कि कितने हैंडपंपों की मरम्मत और री-बोङ्क्षरग की जरूरत है। फरवरी तक सर्वे करने के साथ मार्च से विभाग हैंडपंपों की मरम्मत, री-बोङ्क्षरग तथा नए हैंडपंपों की बोरिंग शुरू कर देता है लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो सका है और न ही ठीकेदार तय हो पाएं हैं।
विभागों को नहीं आया बजट
मरम्मत, री-बोरिंग और नए हैंडपंप के लिए हर साल बजट आता है लेकिन अभी तक कई विभागों में बजट नहीं आया है। ऐसे वे शांत बैठे हैं। जलनिगम के एक अधिकारी का कहना है कि बजट मिलने के साथ विभाग मरम्मत, री-बोङ्क्षरग और नए हैंडपंप का काम शुरू करेगा। कोरोना वायरस महामारी खत्म होने के बाद इसकी प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
लॉकडाउन के बाद शुरू होगी प्रक्रिया
शहरी क्षेत्र में पांच हजार से अधिक हैंडपंप हैं। जलकल संस्थान सर्वे में 203 हैंडपंपों की मरम्मत और 254 री-बोरिंग सामने आए हैं। कोरोना वायरस महामारी व लॉकडाउन खत्म होने के बाद प्रक्रिया शुरू होगी।
-नीरज गौंड़, महाप्रबंधक जलकल।