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काशी एक-रूप अनेक के अयोजन में देख बनारसी 'करघे' की कहानी 'अतिथियों' को भी हुई हैरानी

करघे के खटर-पटर की मद्धिम आवाज ताने-बाने के बीच ढरकी का एक झटके से गुजरना और नरी में लिपटी जरी का तानी के बीच से होकर बेल-बूटे की शक्ल अख्तियार करना।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 01:07 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 01:07 PM (IST)
काशी एक-रूप अनेक के अयोजन में देख बनारसी 'करघे' की कहानी 'अतिथियों' को भी हुई हैरानी
काशी एक-रूप अनेक के अयोजन में देख बनारसी 'करघे' की कहानी 'अतिथियों' को भी हुई हैरानी

वाराणसी [मुहम्मद रईस]। करघे के खटर-पटर की मद्धिम आवाज। ताने-बाने के बीच ढरकी का एक झटके से गुजरना और नरी में लिपटी जरी का तानी के बीच से होकर बेल-बूटे की शक्ल अख्तियार करना। साधारण गृहस्थी और असाधारण हुनर को सहेजना। यह बनारस के लिए तो आम है, लेकिन सात समंदर पार के कद्रदानों के लिए किसी अचरज से कम नहीं था। जी हां..., कुछ ऐसा ही दृश्य मंगलवार को बजरडीहा क्षेत्र में देखने को मिला। 'काशी एक-रूप अनेक' कार्यक्रम के तहत पहुंचे अमेरिका व इटली के बायर्स न सिर्फ कला के मुरीद हुए, बल्कि व्यापार जल्द करने को लेकर उत्सुक भी दिखे।

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उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन की अध्यक्ष क्षिप्रा शुक्ला के संयोजन में बायर्स सुबह करीब 11 बजे हाजी खलील अंसारी के घर पहुंचे। यहां उन्हें हथकरघा पर बनारसी साड़ी तैयार करते हुए दिखाया गया। ताना-बाना, ढरकी, नरी, जरी के माध्यम से कुशल कारीगारी का नमूना दिखाया गया। यहां सभी का स्वागत परंपरागत बनारसी स्टोल से किया गया। अमेरिका व इटली से आए बायर्स उत्सुकतावश अन्य बुनकरों के घरों में भी गए। यहां उनके रहन-सहन और दिनचर्या को देखा। कारखानों में काम कर रहे बुनकर, हाथ बटाते बच्चों व महिलाओं के लिए विदेशी मेहमनों का उनके बीच होना सपने जैसा रहा। सभी ने बड़ी तन्मयता के साथ अपने हुनर को दिखाया और समझाया। बायर्स ने भी उनके काम को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने के प्रति प्रतिबद्धता जताई। समयाभाव के चलते कश्मीरीगंज क्लस्टर जाना स्थगित रहा। बायर्स दोपहर बाद सीधे गायघाट पहुंचे, जहां राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिल्पी कुंज बिहारी सिंह व राज्य पुरस्कार से सम्मानित बलराम दास ने गुलाबी मीनाकारी कला की बारीकियों से सभी को परिचित कराया। छोटे-छोटे नमूने दिखाए और निर्माण प्रक्रिया को समझाया। 

ज्ञात हो कि दीनदयाल हस्तकला संकुल में पीएम मोदी ने 16 फरवरी को 'काशी एक-रूप अनेक' कार्यक्रम का शुभारंभ किया था। आयोजन में जहां अमेरिका-इटली के विशेषज्ञों ने बुनकरों-शिल्पियों को मार्केटिंग, ब्रांडिंग सहित सोशल मीडिया से जुडऩे का तरीका बताया, वहीं उन्हें अपने उद्योग एवं उत्पाद को और भी परिष्कृत करने का सलीका सिखाया था। दल में अमेरिका के नेशनल डिजाइन संस्थान की पैट्रीसिया जॉनसन, जीपीए संस्थान-अमेरिका की मारिटा एकोनेन सहित 25 सदस्य शामिल थे। इस अवसर पर उपायुक्त उद्योग गौरव मिश्रा व सहायक आयुक्त उद्योग विनोद वर्मा भी थे। 


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