ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर : सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी दाखिल की याचिका, सुनवाई 28 सितंबर को
ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर मामले में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से भी जिला जज उमेशचंद्र शर्मा की अदालत में शुक्रवार को निगरानी याचिका दाखिल की गई।
वाराणसी, जेएनएन। ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर मामले में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से भी जिला जज उमेशचंद्र शर्मा की अदालत में शुक्रवार को निगरानी याचिका दाखिल की गई। वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने भी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के बाद सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) के फैसले के खिलाफ जिला जज की अदालत में पुनरीक्षण याचिका दायर किया। जिला जज ने इस याचिका पर पक्षकार (वादी/प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ) तथा वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी को आपत्ति दाखिल करने का अवसर देते हुए सुनवाई के लिए 28 सितंबर की तिथि मुकर्रर की है।
अदालत में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से अधिवक्ता तौहिद खान उपस्थित हुए। उनकी ओर से याचिका दाखिल करते हुए दलील दी गई कि लॉकडाउन के चलते सिविल जज के निर्णय के खिलाफ निर्धारित समयावधि (90 दिन) के अंदर पुनरीक्षण याचिका दाखिल नहीं हो सकी। उन्होंने लॉकडाउन को लेकर उच्च न्यायालय द्वारा जारी गाइडलाइन का हवाला देते हुए याचिका स्वीकार करने की अपील अदालत से की। ज्ञात हो कि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने मुकदमे की सुनवाई करने के सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी थी। सिविल जज ने दोनों पक्षों की बहस सुनने तथा नजीरों के अवलोकन के पश्चात् 25 फरवरी 2020 को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था। इस निर्णय के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने जिला जज की अदालत में पुनरीक्षण याचिका दाखिल कर रखा है, जिस पर आज सुनवाई होनी थी।
बता दें कि प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से हरिहर पांडेय तथा अन्य पक्षकारों ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने आदि को लेकर वर्ष 1991 में मुकदमा दायर किया था। इस मामले में वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने ज्ञानवापी परिसर स्थित तथाकथित विवादित स्थल का भौतिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय सर्वेक्षण विभाग से राडार तकनीक सर्वेक्षण कराने की सिविल जज (सीनियर डिवीजन-फास्टट्रैक) की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया है। जिसका निस्तारण होना है।