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वाराणसी के गुरुजन स्कूलों में ढूंढेंगे ‘ईशान’, डिस्लेक्सिया से पीडित बच्चों की तलाश में बढ़े कदम

जिला दिव्यांगजन कल्याण विभाग ने कदम बढ़ा दिया है। जिला दिव्यांजन सशक्तीकरण अधिकारी राजेश कुमार मिश्र ने बताया कि जिले में डिस्लेक्सिया व अटेंशन डिफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसआर्डर से प्रभावित बच्चों की पहचान के लिए मास्टर ट्रेनर्स तैयार किए जाएंगे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 21 Nov 2021 09:10 AM (IST)Updated: Sun, 21 Nov 2021 09:10 AM (IST)
वाराणसी के गुरुजन स्कूलों में ढूंढेंगे ‘ईशान’, डिस्लेक्सिया से पीडित बच्चों की तलाश में बढ़े कदम
डिस्लेक्सिया से पीडित बच्चों की तलाश में बढ़े कदम

जागरण संवाददाता, वाराणसी। फिल्म अभिनेता आमिर खान की फिल्म तारे जमीन पर... बहुतों को याद होगी। इस फिल्म में ईशान (बाल कलाकार दर्शिल सफारी) नामक आठ वर्षीय बच्चे को डिस्लेक्सिया से पीडि़त दिखाया गया है। इस बच्चे को पढऩे लिखने में मन नहीं लगता है। अभिभावक इसे लेकर खासा परेशान हैं। इस बच्चे की परेशानी व रोग की पहचान शिक्षक राम शंकर निकुम्भ करते हैं। शिक्षक की भूमिका में स्वयं अभिनेता आमिर खान है। सामान्य से अलग इस बच्चे की प्रतिभा के इर्द गिर्द रची गई रोचक कहानी समाज को संदेश देने में सफल रही। इस तरह के बच्चे देश के कोने कोने में मिल जाएंगे।

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इसी तरह की बच्चों की खोजबीन के साथ जिंदगी संवारने की दिशा में जिला दिव्यांगजन कल्याण विभाग ने कदम बढ़ा दिया है। जिला दिव्यांजन सशक्तीकरण अधिकारी राजेश कुमार मिश्र ने बताया कि जिले में डिस्लेक्सिया व अटेंशन डिफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसआर्डर से प्रभावित बच्चों की पहचान के लिए मास्टर ट्रेनर्स तैयार किए जाएंगे। चार दिवसीय ट्रेनिंग राजकीय बहुउद्देशीय दिव्यांग विकास संस्थान खुशीपुर के परिसर में सुबह दस से शाम चार बजे तक आयोजित होगा। जिले में लगभग पचास मास्टर ट्रेनर्स तैयार होंगे। विशेषज्ञ इन्हें प्रशिक्षित करेंगे। इसके बाद यह स्कूलों में जाकर अन्य शिक्षकों को दक्ष करेंगे। साथ ही जागरूक भी। इसका मुख्य उद्देश्य ऐसे बच्चों की तलाश कर जिंदगी संवारना व सामान्य बच्चों की पंक्ति में खड़ा करना है।

पिछले साल दस बच्चे मिले

जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी ने बताया कि पिछले साल ऐसे बच्चों की खोजबीन के लिए सर्वे किया गया था। लगभग दस बच्चे मिले थे लेकिन अभियान व्यापकता नहीं ले सका। इस बार जिले के सभी स्कूलों में कैंप कर ऐसे बच्चों की तलाश होगी।


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