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गरमा रही गांव की Politics : ... साहब थोड़ा सा देख लीजिए प्रधानी का चुनाव लड़ना है

साहब प्रधानी का चुनाव लडऩा है कुछ ऐसा कर दें कि सबको लगे कि हमारे कहने पर ही मामला निपटाया गया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2020 06:50 AM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2020 02:58 PM (IST)
गरमा रही गांव की Politics : ... साहब थोड़ा सा देख लीजिए प्रधानी का चुनाव लड़ना है
गरमा रही गांव की Politics : ... साहब थोड़ा सा देख लीजिए प्रधानी का चुनाव लड़ना है

बलिया, जेएनएन। साहब प्रधानी का चुनाव लडऩा है, कुछ ऐसा कर दें कि सबको लगे कि हमारे कहने पर ही मामला निपटाया गया है। ये कोई जुमला नहीं बल्कि आज की हकीकत है, जो गांव के गलियारों से निकलकर थाने तक पहुंच गई है।

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शुक्रवार को क्षेत्र के एक गांव से हल्की मारपीट के बाद थाने बैठाए गए दो पक्षों की पैरवी में पहुंचे भावी प्रधान प्रत्याशी ने जब दारोगा से यह बात कहा तो साहब भी असमंजस में पड़ गए कि आखिरकार अब क्या करें लेकिन कुछ पल सोचने के बाद दरोगा जी ने डपटकर कहा कि मैं यहां किसी को चुनाव लड़ाने में मदद करने के लिए नहीं बैठा हूं। यह तो महज बानगी भर है, ऐसे मामले रोजाना थाने में आ रहें है। जिनमें कथित प्रधान पद के प्रत्याशी अपने वोट बैंक को दुरुस्त करने के लिए थाने पहुंच रहे हैं और पैरवी के दौरान उनकी चाहत सिर्फ इतनी है कि अंत मे साहब उनके पक्ष के लोगों से जाते-जाते यह जरूर कह दें कि श्रीमान के कहने पर ही तुम्हें छोड़ रहा हूं, अन्यथा मुकदमा लिखकर जेल भेज देता।

बस इसके साथ ही प्रधान बनने की आस लगाए पैरवीकार का प्रयोजन सिद्ध हो जा रहा है। जहां एक तरफ भावी प्रत्याशी जी जान से लगे हुए हैं वहीं वर्तमान प्रधान भी आगामी चुनाव में इसे सफलता की गारंटी मानकर इसी पद्धति पर चल निकले हैं। एक ऐसे ही मारपीट के मामले में दो पक्षों की पैरवी में पहुंचे प्रधान ने जब यह देख की पुलिस दोनों पक्षों को शांति भंग में चालान कर रही है तो उन्होंने थानाध्यक्ष से कहा कि साहब सुबह से हम आकर बैठे हैं, यदि आप चालान कर देंगे तो हमारे आने से क्या फायदा हुआ। ऐसा कीजिए कि उन्हें डाट डपट कर आगे से ऐसा न करने की हिदायत देकर छोड़ दीजिए । जिससे मेरे आने का उन्हें कुछ फायदा नजर आए।

थानेदार ने उनकी बात नहीं मानी और कहा कि पुलिस तो अपनी कार्रवाई करेगी ही। ऐसे ही हाल में पंचायत चुनाव की तैयारी में जुटे भावी उम्मीदवार काफी दमखम से थाने में पैरवी करने में जुटे हुए है और लोगों को भी यही लग रहा है कि आखिरकार प्रधानजी हमारे किए तीन घंटे थाने में बैठे रहे। पैरवी की इस नई श्रृंखला से पुलिस भी परेशान है। फिलहाल पैरवी की इस नई दास्तां ने जहां गांव में काफी गुटबाजी को जन्म देना शुरू कर दिया है, वहीं ग्रामीण भी अब दो कदम आगे आकर अपने वर्षों से दबे मामलों को उठाकर इसे पूरी तरह निपटाने के मूड में तैयार बैठे हैं। धीरे-धीरे यह प्रक्रिया बढ़ती चली जा रही है।


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