बलिया से राज्यपाल आनंदी बेन पटेल हरी झंडी दिखाकर गंगा यात्रा को करेंगी रवाना, गंगा पूजन व आरती का आयोजन
जिलाधिकारी हरि प्रताप शाही ने बताया कि 27 जनवरी से शुरू हो रही गंगा यात्रा के पूरे शेड्यूल को लगभग फाइनल टच दे दिया गया है।
बलिया, जेएनएन। जिलाधिकारी हरि प्रताप शाही ने बताया कि 27 जनवरी से शुरू हो रही गंगा यात्रा के पूरे शेड्यूल को लगभग फाइनल टच दे दिया गया है। इस यात्रा को हरी झंडी दिखाने के लिए राज्यपाल आनंदी बेन पटेल 27 जनवरी को सुबह 9.30 बजे दूबेछपरा के पास घाट पर हेलीकॉप्टर से आएंगी। इसके बाद 9.30 से 9,50 बजे तक गंगा पूजन, 9.50 से 10.20 बजे तक गंगा आरती होगी। नौकायन प्रतियोगिता को 10.20 बजे हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगी।
इसी स्थान पर 10.20 से 11.20 बजे तक जनसभा होगी। 11.25 बजे गंगापुर तक जलमार्ग से जाने वाली गंगा यात्रा को राज्यपाल हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगी। इसके बाद 11.30 बजे लखनऊ के लिए प्रस्थान कर जाएंगी। जिलाधिकारी ने कहा कि गंगापुर तक जल मार्ग से आने के बाद यह यात्रा दोपहर 12.05 बजे सड़क मार्ग से आगे बढ़ेगी। इसी समय गंगापुर में ही नौकायन प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा। यात्रा बलिया जिला मुख्यालय से आगे बढ़ेगी तो नागाजी विद्यालय माल्देपुर में 12.45 से 1 बजे तक स्वागत सभा होगी। दोपहर एक बजे से दो बजे तक मध्यान्ह भोजन व विश्राम होगा। दो बजे से फेफना, नरहीं होते हुए 3 बजे भरौली तिराहे पर पहुंचेगी और वहां 3.30 बजे तक स्वागत सभा होगी। दोपहर बाद 3.45 बजे कोटवा नारायनपुर होते हुए गाजीपुर की सीमा में प्रवेश कर जाएगी।
गंगा यात्रा से रूकेगा प्रदूषण एवं पारिस्थितिकी का असंतुलन
बलिया एवं बिजनौर से 27 जनवरी को एक साथ निकलने वाली गंगा यात्रा कोई साधारण यात्रा नहीं होगी, बल्कि यह एक ऐतिहासिक यात्रा होगी। इससे न केवल गंगाघाटी क्षेत्र में बल्कि पूरे देश में एक ऐसी जनजागरुकता पैदा होगी। इसके प्रभाव से न केवल गंगाजल के प्रदूषण को रोकने में सहायता मिलेगी, बल्कि गंगा घाटी क्षेत्र के पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी असंतुलन को रोकने में भी कारगर सिद्ध होगा।
इस गंगा यात्रा में गंगा घाटी क्षेत्र का जनमानस भाग लेने जा रहा है। यह गंगा यात्रा केवल प्रशासनिक यात्रा नहीं है और जिस आंदोलन या जागरुकता में जनमानस लग जाए तो उसकी सफलता पर कोई प्रश्न चिह्न लगता ही नहीं है। इस गंगा यात्रा के माध्यम से जागरुकता में भाग ले रहे आम जनता को न केवल मां गंगा के धार्मिक-आध्यात्मिक पहलुओं की ही जानकारी मिलेगी। बल्कि विभिन्न गोष्ठियों, नुक्कड नाटकों, जन सभाओं, पोस्टर, निबन्ध, रैली एवं मीडिया के माध्यम से गंगा से जुड़े विभिन्न वैज्ञानिक पहलुओं की भी जानकारी प्राप्त होगी।