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बुजुर्गों पर शासन मेहरबान, अब घर बैठे होगा वृद्धावस्था पेंशन का आवेदन

वृद्धावस्था पेंशन के लिए बुजुर्गों पर शासन पूरी तरह से मेहरबान हैं। अब इन्हें विभिन्न कार्यालयों की भाग-दौड़ नहीं करनी पड़ेगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 06:57 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jul 2019 03:45 PM (IST)
बुजुर्गों पर शासन मेहरबान, अब घर बैठे होगा वृद्धावस्था पेंशन का आवेदन
बुजुर्गों पर शासन मेहरबान, अब घर बैठे होगा वृद्धावस्था पेंशन का आवेदन

आजमगढ़, जेएनएन। वृद्धावस्था पेंशन के लिए बुजुर्गों पर शासन पूरी तरह से मेहरबान हैं। अब इन्हें विभिन्न कार्यालयों की भाग-दौड़ नहीं करनी पड़ेगी। घर बैठे ही अपने आवेदक किसी भी साइबर कैफे से अपना आवेदन ऑनलाइन करेंगे। इसके बाद इनको हार्डकापी जमा करने के लिए संबंधित कार्यालय में जाना नहीं पड़ेगा बल्कि विभाग खुद अपनी लॉगिंग पर चेक कर सत्यापन करेगा। इसके बाद एक सप्ताह के अंदर ही पात्रता व अपात्रता का निर्धारण करना होगा। इसमें ग्रामीण क्षेत्र के वृद्धावस्था पेंशनरों के आवेदन का सत्यापन खंड विकास अधिकारी व नगरीय क्षेत्र के आवेदकों का सत्यापन संबंधित क्षेत्र के एसडीएम करेंगे। सत्यापन करने के बाद जिला समाज कल्याण अधिकारी के पोर्टल पर फारवर्ड करेगें। इसके बाद आवेदन की हार्डकॉपी भी अपनी स्पष्ट संस्तुति के साथ जिला समाज कल्याण अधिकारी को अग्रसारित करेंगे।इससे बुजुर्गों को काफी सुविधा होगी ज्‍यादा दौड़ भाग नहीं करनी होगी।

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आवेदन के साथ यह भी होगा अपलोड : आवेदन ऑनलाइन करते समय आय प्रमाण पत्र, आयु प्रमाण पत्र, फोटो, पहचान पत्र, पासबुक की फोटो कापी के साथ ही आधार कार्ड भी अपलोड करना होगा। यानी अगर कंप्यूटर से ऑनलाइन किया जा रहा है तो उसको स्कैन कराकर किया जाना है। अगर कोई मोबाइल से करता है तो संबंधित फोटोकापी का फोटो खींचकर ऑनलाइन करेगा। इसके लिए गूगल पर जाकर एसएसपीवाई डाट यूपी डाट जीओवी डाट इन पर सर्च करना होगा। इसके बाद वृद्धावस्था पेंशन की साइट अपने आप खुल जाएगी और आवेदन आसानी से हो जाएगा।

बुजुर्गाें को लगाना पड़ता था एसडीए व बीडीओ का दरबार: पहले बुजुर्गों को ऑनलाइन आवेदन करने के बाद निर्धारित 30 दिन के अंदर आवेदन की प्रति डाउनलोड करके उस पर हस्ताार करके आवश्यक संलग्नकों के साथ आवेदन की हार्ड कापी जमा करनी पड़ती थी। इसे बाद कार्यालय में जमा कर कम्प्यूटर जनरेटेड प्राप्ति रसीद लेनी पड़ती थी। इसके बाद आवेदन का डाटा का मिलान किया जाता था। फिर सही मिलने पर सत्यापन कर उसे जिला समाज कल्याण अधिकारी के पोर्टल पर फारवर्ड किया जाता था। इससे पेंशनधारियों को कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ता था।


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