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महाश्‍मशान मणिकर्णिका में गाय के गोबर से निर्मित कंडे से मोक्ष की कामना Varanasi news

कंडे की लकड़ी श्मशान में पार्थिव शरीर को पंचतत्व में विलीन करेगी साथ ही पर्यावरण को संजीवनी भी देगी।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 10 Aug 2019 01:10 PM (IST)Updated: Sat, 10 Aug 2019 07:50 PM (IST)
महाश्‍मशान मणिकर्णिका में गाय के गोबर से निर्मित कंडे से मोक्ष की कामना Varanasi news
महाश्‍मशान मणिकर्णिका में गाय के गोबर से निर्मित कंडे से मोक्ष की कामना Varanasi news

वराणसी [कष्‍ण बहादुर रावत]। कंडे की लकड़ी श्मशान में पार्थिव शरीर को पंचतत्व में विलीन करेगी साथ ही पर्यावरण को संजीवनी भी देगी। अब एक ऐसा यंत्र आ चुका है जिसके जरिए गोबर लकड़ी के रूप में तब्दील हो जाएगा। लखनऊ की बीएके कंपनी शीघ्र ही बनारस में वह यंत्र स्थापित करने जा रही है। बहुत कम लोग जानते हैं कि एक चिता को जलाने के लिए औसतन ग्यारह मन लकड़ी की जरूरत होती है।

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महाश्मशान मणिकर्णिका में तो एक दिन में लगभग 500 चिता जलाई जाती है। अब ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां प्रतिदिन करीब 20 लाख किलो लकड़ी राख में तब्दील हो जाती है। अब इस यंत्र के जरिए लकड़ी को बचाने का जतन किया जाएगा। इस मशीन को स्थापित कर लेने के बाद पशुपालक भी लाभान्वित होंगे पेड़ों की कटाई से मुक्ति मिल जाएगी। 

15 सेकेंड में तैयार होगी एक किलो लकड़ी

लखनऊ की बीएके कंपनी के अधिकारी के मुताबिक यंत्र से गाय के गोबर से महज 15 सेकेंड में एक किलोग्राम भार की लकड़ी तैयार हो जाती है। इसमें करीब तीन किलोग्राम गोबर का इस्तेमाल होगा। इस लकड़ी का प्रयोग अंत्येष्टि के अलावा हवन-यज्ञ में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। 

तीन कान्हा उपवन में 500 गाय

बनारस में तीन कान्हा उपवन हैं। इसमें 500 के करीब गाय हैं। इनके गोबर का इस्तेमाल अभी तक खाद बनाने के लिए होता है। अब इसका प्रयोग ऐसे कंडे बनाने में होगा जिसका इस्तेमाल मनुष्य के अंतिम संस्कार के रूप में होगा। इससे काफी पैसा बचेगा और प्रदूषण भी नहीं होगा। 

अब नहीं होगी पेड़ों की कटान 

पर्यावरण क्षेत्र में कई वर्षो से कार्य कर रहे डा. एसएन शुक्ला का कहना है कि जिस तरह से पेड़ों की कटान हो रही है उससे वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहे है। विकास के नाम पर जितने पेड़ काटे जा रहे हैं उसके मुकाबले बहुत कम पेड़ लगाए जा रहे हैं, वहीं अंंतिम संस्कार के लिए भी काफी पेड़ काटे जा रहे हैं। उससे भी बचाव होगा। 

नहीं होगा धार्मिक संस्कार का उल्लंघन 

राजकीय आयर्वुेद चिकित्सालय वाराणसी के डा. प्रकाश राज सिंह का कहना है कि लोगों को अधिक से अधिक कंडे का प्रयोग करना चाहिए। गौ मूत्र से बने लकड़ी पर अंतिम संस्कार करने से किसी तरह का नुकसान नहीं होता है न ही किसी धार्मिक संस्कार का उल्लंघन होता है।

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