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बीएचयू बवाल की बरसी पर फिर छात्र-छात्राओं में नोकझोंक और मारपीट

बीएचयू बवाल की बरसी पर फिर बवाल हो गया। छात्र-छात्राओं में नोकझोंक और मारपीट हो गई। हालांकि अधिकारियों के मौके पर पहुंच कर शाम तक सब कुछ शांत करा दिया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 05:56 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 11:51 PM (IST)
बीएचयू बवाल की बरसी पर फिर छात्र-छात्राओं में नोकझोंक और मारपीट
बीएचयू बवाल की बरसी पर फिर छात्र-छात्राओं में नोकझोंक और मारपीट

वाराणसी (जेएनएन) । पिछले साल 23 सितंबर को बीएचयू में छात्राओं पर हुए लाठी चार्ज के खिलाफ प्रदर्शन कर रही छात्राओं एवं अन्य छात्रों में रविवार की शाम को एमएमवी गेट पर नोकझोंक हो गई। इससे पहले छात्राएं कैंपस स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर पर नुक्कड़-नाटक करने पहुंची थी। वहां पर भी इनका विरोध हुआ। इसके बाद छात्राएं एमएमवी गेट पर आकर प्रदर्शन करने लगी। हालांकि विवि के अधिकारियों के मौके पर पहुंच कर समझाने का असर हुआ और करीब सात बजे तक प्रदर्शन खत्म हो गया और छात्राएं हास्टल वापस लौट गईं। 

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फ‍िर से दो छात्र गुट आमने सामने

महामना की बगिया ब‍ीएचयू रविवार को एक बार फिर सुलग उठी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में सुबह से शाम तक धरना-प्रदर्शन व बवाल चलता रहा। शाम को चार बजे एमएमवी पर शुरू हुआ हंगामा करीब छह बजे तक नोकझोंक व मारपीट में बदल गया। वहीं बीएचयू प्रशासन इसको रोकने में पूरी तरह एक बार फ‍िर से विफल साबित हुअा। प्राक्टोरियल बोर्ड को छोड़कर कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। बस बंद कमरों में बैठक पर बैठक होती रही। वहीं दूसरी ओर छात्र-छात्राओं का दो गुट आपस में भिड़ता रहा। हालांकि देर शाम अधिक‍ारियों की सक्रियता हुई तो विवाद भी सात बजे तक थम गया।

बाते वर्ष छात्राओं पर लाठी चार्ज

पिछले साल 21 सितंबर को दृश्य कला संकाय की एक छात्रा के साथ छेड़खानी के विरोध में छात्राओं ने उसी रात त्रिवेणी संकुल के बाहर प्रदर्शन किया। इसके बाद 22 सितंबर को सुबह छह बजे ही सिंहद्वार पर धरने पर सैकड़ों छात्राएं धरने पर बैठ गई। उनकी मांग थी कि विश्वविद्यालय के मुखिया व कुलपति आकर उनकी सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करें। तमाम मांगों के बावजूद भी कथित सलाहकारों के कारण कुलपति धरने पर बैठी छात्राओं के बीच नहीं पहुंचे। इसके बाद धरना बढ़ते गया और धीरे-धीरे राजनीतिक रूप भी धारण कर लिया था। हालांकि 23 की रात को धरना समाप्त हो गया और छात्राएं महिला महिला महाविद्यालय गेट पर आकर प्रदर्शन करने लगी।

बीते वर्ष से कार्रवाई का इंतजार

यहां पर छात्राओं पर लाठीचार्ज भी किया गया। यही नहीं कुलपति आवास के बाहर भी गार्डों ने लाठियां भाजी थी। इसके बाद तो बीएचयू जल उठा था। पूरे कैंपस में अराजक तत्वों ने तोडफ़ोड़, आगजनी, मारपीट, बमबारी की। कैंपस के बाहर भी लंका पर कई बाइक को आग के हवाला कर दिया गया था। इन तमाम मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण कुछ छात्राएं वीटी पर नुक्कड़-नाटक कर प्रदर्शन करने लगी।

राजनीतिक दलों का दखल

यहां पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय के माहौल को खराब करने का आरोप लगाते हुए विरोध करना शुरू कर दिया। इसके बाद छात्राएं एमएमवी गेट पर आकर प्रदर्शन करने लगी। यहां पर महिला-पुरुष भेदभाव का आरोप लगाते हुए आजादी की मांग करने लगी। वहीं यहां पर एबीवीपी के कार्यकर्ता वामपंथ के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। इसको लेकर दोनों छात्र गुटों में कई राउंड नोकझोंक भी हुई। मामले को बढ़ते देख भारी संख्या में पुलिस बल एवं सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए गए। विश्वविद्यालय के अधिकारी छात्र-छात्राओं को समझाने में लगे थे। 

बीएचयू में बवाल दो गुटों के वर्चस्व का नतीजा

कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने कहा कि पिछले साल का बवाल खत्म हो चुका है। इसके बाद भी अगर कोई शांति भंग करता है तो गलत है। कुलपति ने सलाह दी कि अगर बातों को रखनी भी है तो उसके भी सभ्य तरीके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रविवार को हुई यह लड़ाई दो विचारधाराओं के वर्चस्व की है। दोनों गुट अपने-अपने विचार का प्रभाव दिखाना चाह रहे थे। इसको लेकर बवाल करने की क्या जरूरत थी। कुलपति ने यह भी स्पष्ट किया कि बवाल करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। चाहे वह किसी भी गुट का हो। 


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