सौ वर्ष का हुआ बीएचयू का भौमिकी विभाग, तीन दिवसीय शताब्दी समारोह का हुआ शुभारंभ Varanasi news
बीएचयू स्थित शताब्दी कृषि प्रेक्षागृह में भौमिकी विभाग की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय शताब्दी समारोह का शुभारंभ शनिवार को हुआ।
वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू स्थित शताब्दी कृषि प्रेक्षागृह में भौमिकी विभाग की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय शताब्दी समारोह का शुभारंभ शनिवार को हुआ। इसी के साथ 'रीसेंट ट्रेंड्स इन अर्थ साइंस रिसर्च' विषयक संगोष्ठी की भी शुरूआत हुई। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने कहा कि बीएचयू का भौमिकी विभाग देश के उन प्रमुख संस्थानों में से एक है, जो भू-विज्ञान के महत्वपूर्ण विषयों पर अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
विभाग को कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों का भी श्रेय जाता है। कहा देश को तमाम ख्यात भू-विज्ञानी भी विभाग से मिले हैं, जिनके योगदान को न सिर्फ राष्ट्रीय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहचान मिली है। वहीं मुख्य अतिथि ओएनजीसी के निदेशक (एक्सप्लोरेशन) आरके श्रीवास्तव ने कहा कि भौमिकी विभाग, बीएचयू की गिनती देश के चुनिंदा उत्कृष्ट संस्थानों में होती है। उन्होंने उद्योग और शैक्षणिक समुदाय के बीच वृहद सहयोग और साझेदारी पर बल दिया। कहा इससे न केवल उद्योग जगत को बेहतर नतीजे हासिल होंगे, बल्कि नई प्रौद्योगिकी के संदर्भ में छात्रों के कौशल का भी विकास होगा।
यदि विभाग की ओर से उनके पास ऐसा कोई प्रस्ताव आता है, तो उस पर जरूर विचार किया जाएगा। विज्ञान संकाय के अध्यक्ष प्रो. एम जोशी ने कहा कि भौमिकी विभाग अपने समकक्ष विभागों में सबसे अधिक प्रतिष्ठित माना जाता है, क्योंकि विभाग से जुड़े अनेक लोगों ने अपने समर्पण और परिश्रम से विभाग को सफलता और उत्कृष्टता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। इससे पूर्व प्रो. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने विगत सौ वर्ष की विकास यात्रा और उपलब्धियों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया।
संगोष्ठी स्मारिका व प्रो. आरएस शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक 'नो योर अर्थ' का विमोचन किया गया। स्वागत विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एके त्रिपाठी व धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव प्रो. एनवी चेलापति राव ने किया। इस अवसर पर पूर्व छात्र प्रो. ओपी वर्मा (95 वर्ष) सहित 1950-60 के दशक में विभाग के छात्र रहे डा. केएन सिंह, प्रो. आरएस. शर्मा, प्रो. एमएस श्रीनिवासन, प्रो. वीके गैरोला, प्रो. एएम पटवर्द्धन, प्रो. एके पचैरी, प्रो. जोखन राम, डा. एएन सिंह आदि थे।