श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर महंत आवास में गौना की तैयारी, निभाई गई पहली रस्म
देवाधिदेव महादेव बाबा भोले शंकर रंगभरी एकादशी पर यानी 17 मार्च को एक बार फिर दूल्हा बनेंगे और राजशाही अंदाज में पालकी पर सवार होकर गौरा का गौना कराने जाएंगे।
वाराणसी, जेएनएन। देवाधिदेव महादेव बाबा भोले शंकर रंगभरी एकादशी पर यानी 17 मार्च को एक बार फिर दूल्हा बनेंगे और राजशाही अंदाज में पालकी पर सवार होकर गौरा का गौना कराने जाएंगे। फाल्गुन शुक्ल पंचमी तद्नुसार सोमवार को श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर महंत आवास में हल्दी-तेल की रस्म के साथ इसकी तैयारियां शुरू हो गईं। महिलाओं ने मंगल गीतों के बीच गौरा प्यारी को हल्दी लगाई और न्यारी रंगत निखर आई। भक्तों ने माता पार्वती की रजत प्रतिमा की श्रंगारित भव्य झांकी को हल्दी-तेल अर्पित कर अखंड सौभाग्य का वर भी मांगा।
महंत डा. कुलपति तिवारी के निर्देशन में रस्म के तहत दोपहर में अनुष्ठान शुरू किए गए। वैदिक ब्राह्मणों ने सस्वर मंत्रों के बीच पंचगव्य, पंचद्रव्य, दूध, गंगा जल से स्नान कराया और देवी विग्रह को रजत सिंहासन पर विराजमान कराया गया। वस्त्र -आभूषण व फूलों से श्रंगार कर झांकी सजाई गई और सिंहासन पर विराजमान कराया गया। शाम के साथ हल्दी-तेल की रस्म के साथ ठंडई, पंचमेवा व मिष्ठान का भोग अर्पित कर महंत डा. कुलपति तिवारी ने महाआरती की। कहा शिव-शक्ति के मिलन के निमित्त वसंत पंचमी पर बाबा का तिलक चढ़ाया गया। महाशिवरात्रि पर विवाह तो रंगभरी एकादशी पर बाबा गौरा को गौना करा कर कैलाश पर ले गए।
प्रथम रस्म के साथ ही गौरा के मायके के रूप में माना जाने वाला महंत आवास भजनों से गूंज उठा। षोडशोपचार पूजन के बाद ख्यात गीतकार कन्हैया दुबे केडी केसंयोजन में सुर गंगा बही। ख्यात गायक डा. अमलेश शुक्ल अमन ने 'सोने के कटोरिया मे हल्दी लियावा हो...', 'नमो स्तुते मां गौरा नमोस्तुते...' आदि भजनों में माता पार्वती की आराधना की। शुभम मिश्रा ने 'हर हर महादेव काशी विश्वनाथ गंगे...', रवि रंजन ने 'ए री सखी मंगल गाओ री...' सहित शगुन के गीतों को स्वर दिए। ढोलक पर भोला, हारमोनियम पर रवि रंजन और मजीरे पर जुगनू ने साथ दिया।