गंगा मित्र नापेंगे जाह्नवी का प्रदूषण, देश में पहली बार ईको-स्किल्ड ट्रेनिंग की शुरुआत
वाराणसी में गंगा किनारे के सभी बड़े शहरों में अब गंगा मित्र की तैनाती होगी। इनका काम गंगा में बढ़ रहे प्रदूषण की जांच करना और समाधान की राह तलाशना होगा।
वाराणसी [मुहम्मद रईस] । गंगा किनारे के सभी बड़े शहरों में अब गंगा मित्र की तैनाती होगी। इनका काम गंगा में पल-पल बढ़ रहे प्रदूषक तत्वों की मात्रा की जानकारी जुटाने के साथ इनके स्थाई समाधान की राह तलाशना होगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत बनारस से होने जा रही है। केंद्र सरकार के 'राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन' नमामि गंगे के तहत बीएचयू ईको-स्किल्ड (पारिस्थितिकी तंत्र कुशल) गंगा मित्र तैयार करेगा। बीएचयू स्थित महामना मालवीय गंगा शोध केंद्र में प्रोजेक्ट के तहत प्रथम चरण में 200 युवाओं को तीन माह का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इसमें युवाओं को गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक गंगा के बारे में तकनीकी व व्यावहारिक जानकारी दी जाएगी। दिसंबर से शुरू होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए अब तक कुल 600 आवेदन प्राप्त हुए हैं। बेसिक मेरिट के आधार पर 19 व 22 नवंबर को अभ्यर्थियों का साक्षात्कार होगा। बेसिक मेरिट व साक्षात्कार के आधार पर ही फाइनल मेरिट तैयार होगी।
गंगोत्री से गंगा सागर तक लक्ष्य : केंद्र के चेयरमैन व पर्यावरण वैज्ञानिक प्रो. बीडी त्रिपाठी प्रोजेक्ट के इंचार्ज हैं। उन्होंने बताया कि हमारा लक्ष्य गंगोत्री से लेकर गंगा सागर के बीच बड़े शहरों में गंगा मित्र तैनात करना है। ये गंगा मित्र गंगाजल से जुड़ी हर जानकारी का संकलन करेंगे। गंगा में पल-पल बढ़ते प्रदूषक तत्वों की सटीक मात्रा की जानकारी के बाद सरकार प्रभावी कदम उठाने में सक्षम होगी। वहीं प्रशिक्षण के बाद युवा गंगा नदी संरक्षण से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों में दैनिक वेतनभोगी के रूप में सहभागी बनेंगे।
बढ़ेगा ईको-टूरिज्म : गंगा संरक्षण एवं स्वच्छता कार्यक्रम के तहत ईको-टूरिज्म के साथ ही गंगा पर आश्रित लोगों की आय में वृद्धि की संभावनाएं बढ़ाई जाएंगी। जन जागरूकता, बाढ़ आपदा प्रबंधन, कुंभ व गंगा स्नान आदि मौकों पर ईको-स्किल्ड गंगा मित्रों को सुरक्षा प्रहरी के रूप में भी तैयार किया जाएगा।
प्रदूषक तत्वों पर रहेगी निगाह : प्रशिक्षण के दौरान गंगा की पारिस्थितिकी, गंगाजल व कारखानों से निकले जहरीले रसायनों के गुणधर्म की जांच आदि का तरीका सिखाया जाएगा। आत्मनिर्भरता के साथ युवाओं को गंगाजल का वैज्ञानिक, सामाजिक, आर्थिक व धार्मिक महत्व बताया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद गंगामित्र अलग-अलग स्थानों पर गंगाजल में बीओडी, पीएच, आमोनिया, क्लोराइड, फ्लोराइड, नाइट्रेट, पोटैशियम, लेड, सीओडी, डीओ, ईसी, वाटर लेवल आदि के स्तर की नियमित जांच करेंगे।