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Ganga Waterway : जलपोत के रास्ते में गंगा में 14 किलोमीटर पत्थर बना बाधक, जल्द कराया जाएगा ड्रेजिंग

बनारस से हल्दिया तक जलपोत को रफ्तार भरने में गाजीपुर से जमनिया तक गंगा में पडऩे वाले पत्थर बाधक बन रहे हैं। 1390 किलोमीटर लंबे जलमार्ग को हल्दिया से फरक्का फरक्का से बाढ़ और बाढ़ से रामनगर तीन भागों में बांटकर ड्रेजिंग किया जाएगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 01 Jan 2021 09:10 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jan 2021 09:10 AM (IST)
Ganga Waterway : जलपोत के रास्ते में गंगा में 14 किलोमीटर पत्थर बना बाधक, जल्द कराया जाएगा ड्रेजिंग
गाजीपुर से जमनिया तक गंगा में पडऩे वाले पत्थर बाधक बन रहे हैं।

वाराणसी [जेपी पांडेय]। बनारस से हल्दिया तक जलपोत को रफ्तार भरने में गाजीपुर से जमनिया तक गंगा में पडऩे वाले पत्थर बाधक बन रहे हैं। गंगा में करीब 14 किलोमीटर पत्थर को तोडऩे के लिए भारतीय अंतर्देेशीय जल मार्ग प्राधिकरण टेंडर करने के साथ वाराणसी से हल्दिया तक रास्ते का जल्द ही ड्रेजिंग पानी होने के चलते जोलपोत को आने-जाने में कोई परेशानी नहीं हो रही है लेकिन पानी कम होते ही जल परिवहन सेवा में दिक्कत आएगी।

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बनारस से हल्दिया तक गंगा में जल परिवहन में तेजी लाने के लिए 1390 किलोमीटर लंबे जलमार्ग को हल्दिया से फरक्का, फरक्का से बाढ़ और बाढ़ से रामनगर तीन भागों में बांटकर ड्रेजिंग किया जाएगा। हालांकि वर्ष 2018 से 2019 तक पटना से लेकर कैथी तक कई बार ड्रेजिंग कराई गई लेकिन उसमें बार-बार बालू भर जाता है। रामनगर क्षेत्र के राल्हूपुर में माडल टर्मिनल तैयार होने पर अब ड्रेजिंग को लेकर तैयारी शुरू हो गई है।

कोरोना संक्रमण के चलते रुका काम

गंगा में ड्रेजिंग कराने को लेकर तैयारी काफी पहले थी लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते टेंडर प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी थी। अब स्थिति सामान्य होने पर भारतीय अंतर्देेशीय जल मार्ग प्राधिकरण ने फिर तैयारी शुरू कर दी है।

दोबारा ड्रेजिंग करने में होगी आसानी

गंगा में चैनल बनने से जलपोत को चलने में कोई परेशानी नहीं होगी। गंगा में पानी कम होने पर भी जलपोत आसानी से निकल जाएगा। एक बार चैनल बनने पर उसमें दोबारा बालू भरने पर भी ड्रेजिंग करनेे में आसानी होगी। सबसे बड़ी समस्या गाजीपुर से जमनिया तक गंगा के रास्ते में पडऩे वाले पत्थर से है।

बाढ़ में हर साल आती है 54 मिलियन टन सिल्ट

विभागीय सर्वे के अनुसार बाढ़ में हर साल गंगा में 54 मिलियन टन सिल्ट आती है। इसमें 70 से 80 फीसद सिल्ट सागर में चली जाती है। वहीं, 20-30 फीसद सिल्ट गंगा के तलहटी में जमी रहती है। इसका सीधा असर गंगा की गहराई पर पड़ता है।

गाजीपुर से जमनिया तक गंगा में करीब 14 किलोमीटर पत्थर है

गाजीपुर से जमनिया तक गंगा में करीब 14 किलोमीटर पत्थर है जिससे जलपोत को चलने में परेशानी है। गंगा में ड्रेजिंग कर चैनल बनाने की तैयारी है। ट्रेंडर प्रक्रिया चल रही है।

-राकेश कुमार, वरिष्ठ जलीय सर्वेक्षण-भारतीय अंतर्देेशीय जल मार्ग प्राधिकरण


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