वाराणसी में अब 62 मीटर की ओर बढ़ने लगीं गंगा, कई नदियों का जलस्तर बढ़ा
वाराणसी में गंगा का जलस्तर अभी प्रति घंटे एक सेमी के रफ्तार से बढ़ रहा है। अगर यही स्थिति रही तो एक-दो दिन में ही जलस्तर 62 मीटर तक पहुंच जाएगा।
वाराणसी, जेएनएन। गंगा का जलस्तर अभी प्रति घंटे एक सेमी के रफ्तार से बढ़ रहा है। अगर यही स्थिति रही तो एक-दो दिन में ही जलस्तर 62 मीटर तक पहुंच जाएगा। ऊपर से बारिश भी हो ही जा रही है। मंगलवार को गंगा जहां प्रति दो घंटे में एक सेमी बढ़ रही थीं वहीं बुधवार को ही प्रति घंटे में ही एक सेमी की रफ्तार से बढऩे लगी थीं। इससे पहले सोमवार की शाम छह बजे वाराणसी में गंगा का जलस्तर जहां 60.83 मीटर ही था वहीं मंगलवार को यह आंकड़ा 61.11 मीटर पर पहुंच गया। इसके 26 घंटे के बाद बुधवार की रात आठ बजे जलस्तर 61.30 मीटर पर पहुंच गया। वहीं गुरुवार की सुबह जलस्तर जो 61.41 मीटर था वहीं शाम सात बजे तक बढ़कर 61.49 मीटर हो गया।
मौसम में बदलाव से फिर गिरा पारा
बुधवार को तेज धूप होने के बाद गुरुवार को फिर से मौसम में बदलाव आ गया। सुबह से ही आसमान में काले बादल ने डेरा डालना शुरू कर दिया। दोहपर में हल्की बारिश भी हुई। इसके कारण पारे में गिरावट हुई। अधिकतम तापमान घटकर 32.0 डिग्री सेल्सियस हो गया, जो एक दिन पहले 36.0 डिग्री पर पहुंच था। हालांकि न्यूनतम तापमान 27.0 डिग्री के साथ दो दिनों से स्थिर है। प्रसिद्ध मौसम विज्ञानी प्रो. एसएन पांडेय के अनुसार अभी दो-तीन दिनों तक पूर्वांचल में बारिश की संभावना बनी हुई है।
नदियों का जलस्तर बढ़ा, तटवर्ती इलाकों में लोग सहमे
भारी बारिश के कारण नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। इससे बलिया, वाराणसी, मीरजापुर और अन्य जिलों के तटवर्ती इलाकों के बाशिंदे सहम गए हैं। विभिन्न स्थानों पर सिंचाई विभाग की ओर से कराए जा रहे कटानरोधी कार्य अब बरसात के चलते कई स्थानों पर ठप हो गए हैं। तटवर्ती लोग बता रहे हैं कि बाढ़ खंड विभाग की जो मंशा थी वही हुआ। विभाग की ओर से हर साल यही खेल खेल कर सरकारी धन का बंदरबांट कर लिया जाता है। स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस दिशा में सही तरीके से निगरानी नहीं कर पाए। जयप्रकाशनगर, दुबे छपरा, गंगापुर, केहरपुर, नौरंगा आदि स्थानों पर एक तो काफी विलंब से कार्य शुरू हुआ था, उसमें समय से शुरू हुई बारिश ने विभाग की मंशा को को साकार कर दिया। अब गंगा और सूरयू दोनों पर पानी धीमी गति से ही सही, बढ़ते ही जा रहा है। बारिश भी हो रही है, ऐसे में कही भी कार्य में तेजी नहीं है। विभागीय अधिकारी बाढ़ आने का इंतजार कर रहे हैं। इसलिए कि कठानरोधी कार्यों के उनके सभी कारनामे बाढ़ में दफन हो जाए।