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प्रति घंटा दो सेमी रफ्तार से बढ़ाव पर हैं गंगा, तटवर्ती लोगों को सताने लगी है बाढ़ की चिंता

लगातार बरसात और नेपाल से घाघरा नदी में पानी छोड़े जाने के बाद उपजे पानी के दबाव के कारण सोमवार को धीमी गति से बढ़ रही गंगा में मंगलवार को वेग आ गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 12:58 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 12:58 PM (IST)
प्रति घंटा दो सेमी रफ्तार से बढ़ाव पर हैं गंगा, तटवर्ती लोगों को सताने लगी है बाढ़ की चिंता
प्रति घंटा दो सेमी रफ्तार से बढ़ाव पर हैं गंगा, तटवर्ती लोगों को सताने लगी है बाढ़ की चिंता

वाराणसी, जेएनएन। पहाड़ों पर हो रही लगातार बरसात और नेपाल से घाघरा नदी में पानी छोड़े जाने के बाद उपजे पानी के दबाव के कारण सोमवार को धीमी गति से बढ़ रही गंगा में मंगलवार को वेग आ गया। केंद्रीय जल आयोग गायघाट केंद्र पर गंगा का जलस्तर प्रात: आठ बजे 53.54 मीटर रिकार्ड दर्ज किया गया। गंगा प्रति घंटा दो सेमी रफ्तार से बढ़ाव पर हैं। हालांकि गंगा गायघाट में चेतावनी बिंदु 56.615 से 3.075 मीटर नीचे बह रही हैं। अगर गंगा के जलस्तर में इसी तरह वृद्धि रही तो जल्‍द ही गंगा में उफान आने की संभावना तय है।

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गंगा पूर्वांचल में प्रयागराज के बाद भदाेही, मीरजापुर, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर और बलिया आदि जिलों को प्रभावित करती हैं। वहीं बलिया के केहरपुर, सुघरछपरा, अवशेष चौबेछपरा, रामगढ के सोनारटोला, गुप्ता टोला में हो रहे बचाव कार्यों के प्रति ग्रामीण रिंकू गुप्ता, वृजकुमार ओझा, बबन ओझा, जयप्रकाश ओझा, जवाहर सोनी आदि का कहना है कि इस बालू भरी बोरियों से गंगा में बढ़ाव के समय हो रहे कटानरोधी कार्य हमारे अस्तित्व की कितनी रक्षा करेंगे, यह पिछले वर्ष का अनुभव ही बता रहा है।

पिछले वर्ष इस स्थानों पर बनाए गए कटर बिना बेस के ही बनाए गए थे जो पलक झपकते ही गंगा के बैकरोल धारा की भेंट चढ़ गए। अगर यही बचाव कार्य गर्मी के दिनों में किया गया होता तो हमें पिछले वर्ष में जीओ बैग विधि से लाभ मिलता। वहीं दुबेछपरा, उदईछपरा, गोपालपुर के ग्रामीणों को इस वर्ष हो रहे कटानरोधी कार्यों को देखकर उनमें दहशत व्याप्त हो गई है कि कहीं पिछले वर्ष की पुनरावृत्ति न हो जाय। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष बाढ़ व कटान के समय बैंकरोल धारा के दबाव बनने से उक्त स्थल पर हो रहे कटानरोधी कार्य यथा रिंग बांध व स्पर क्षतिग्रस्त हो गए थे, जिसे बचाने के लिए विभाग व पूरे प्रशासन को नाको चने चबाना पड़ा था। तह किसी तरह रिंग बंधा बच पाया था। 


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