गंगा दशहरा : पापों से मुक्त करेगी गंगा की डुबकी, पतित पावनी गंगा के अवतरण का दिवस
सनातन धर्म में ज्येष्ठ शुक्ल दशमी की मान्यता गंगा दशहरा के रूप में है। धर्म शास्त्रों के अनुसार मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण इसी तिथि में बुधवार को हस्तनक्षत्र में हुआ था।
वाराणसी,जेएनएन। सनातन धर्म में ज्येष्ठ शुक्ल दशमी की मान्यता गंगा दशहरा के रूप में है। धर्म शास्त्रों के अनुसार मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण इसी तिथि में बुधवार को हस्तनक्षत्र में हुआ था। दश पापों से मुक्ति का पर्व गंगा दशहरा इस बार 12 जून को मनाया जाएगा । ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि 11 जून की रात 9.09 बजे लग गई जो 12 जून को शाम 6.57 बजे तक रहेगी। हस्त नक्षत्र 12 जून को दोपहर 12.58 बजे तक होगा। पुण्य की कामना से पूर्वांचल में वाराणसी के दशाश्वमेधघाट, मीरजापुर के विंध्याचल, भदोही, चंदौली, गाजीपुर और बलिया में आस्थावानों ने सुबह से पुण्य की डुबकी लगाई।
ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार गंगा दशहरा पर काशी में दशाश्वमेध घाट पर गंगा स्नान करने का शास्त्रों में वर्णन है। स्नानोपरांत मां गंगा का पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन और गंगा सहस्त्रनाम, गंगा लहरी, गंगा गायत्री मंत्र आदि से मां गंगा की आराधना-वंदना करनी चाहिए। गरीबों-असहायों को दान व ब्राह्मïणों को भोजन कराने का विधान है।
महत्व-मान्यता
गंगा दशहरा पर गंगा स्नान व पूजन अनुष्ठान से 10 तरह के पापों का नाश के साथ ही धर्म-अर्थ, काम-मोक्ष की प्राप्ति के साथ अंत में वैकुंठ में स्थान प्राप्त होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि 'गंगे तव दर्शनात मुक्ति' अर्थात् माता गंगा के दर्शन से ही मुक्ति मिल जाती है। विशेष अगर गंगा अवतरण दिवस की बात हो तो मां गंगा में स्नान-सानिध्य प्राप्त हो तो मानव जीवन में कुछ भी दुर्लभ नहीं रह जाता है।
पौराणिक कथा
राजा सगर द्वारा अश्वमेध यज्ञ का संकल्प और परंपरानुसार अश्वमेध यज्ञ का प्रतीक घोड़ा छोड़ा गया। इंद्र ने घोड़े चुराकर कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिए। राजा सगर ने अपने 60 हजार पुत्रों को अश्व की खोज केलिए भेजा। मुनि के आश्रम में घोड़ा पाकर सगर पुत्र उन्हें तंग करने लगे। मुनि ने तपस्या भंग होने पर सगर के पुत्रों को श्राप देकर भस्म कर दिया। सगर की पांचवीं पीढ़ी में राजा भगीरथ ने ब्रह्म की तपस्या कर गंगा को प्रसन्न कर पृथ्वी पर ले आने का जतन किया। वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मा गंगा स्वर्ग से भगवान शिव शकर की जटाओं में पहुंचीं। यह दिन गंगा उत्पत्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान शिव के लट खोलने पर गंगा की दस धाराएं हो गईं। नौ धाराएं नौ गंगा केनाम से हिमालय में बहने लगीं जिनमें 15 कलाओं का समावेश था। दसवीं धारा महादेव ने विदसर सरोवर में डाला और यही धारा गोमुख से पहली बार धरती पर प्रकट हुई। इस धारा में शिवकृपा से 16 कलाओं का समावेश था और यह धारा भागीरथी कहलाई। गंगा की इस धारा से सगर के साठ हजार पुत्रों को उत्तरायण सूर्य मकर संक्रांति पर मुक्ति मिली थी। गंगा के धरती पर अवतरण का यह ज्येष्ठ शुक्ल दशमी गंगा दशहरा कहलाया।
काशी जताएगी गंगा से नेह का नाता
देवाधिदेव महादेव की नगरी के गले में चंद्रहार की तरह शोभायमान गंगा इस शहर की पहचान से जुड़ी हैं। बाबा की दुलारी से नेह का नाता काशी-विश्वनाथ-गंगे के तीन शब्दों को एकाकार कर जाता है। उनके अवतरण दिवस गंगा दशहरा पर बुधवार को काशीवासी पावन धारा में डुबकी लगा कर दश पापों से मुक्ति के जतन के साथ अगवानी के हर जतन भी करेंगे।
काशी में विविध आयोजन
दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति की ओर से शाम सात बजे गंगा महारानी को सिंहासनारूढ़ कराया जाएगा। गंगा पूजन के साथ 51 लीटर से दुग्धाभिषेक और 11 ब्राह्मण दल महाआरती करेंगे। गीतकार कन्हैया दुबे केडी के संयोजन में अमलेश शुक्ल समेत कलाकार मां गंगा का सुरों में बखान करेंगे। गंगा सेवा निधि की ओर से शाम छह बजे स्व'छ गंगा, स्व'छ काशी, स्व'छ भारत व पर्यावरण संरक्षण को संकल्पित आयोजन में मां गंगा का वैदिक रीति से पूजन और मय रिद्धि-सिद्धि 11 पुजारी महाआरती करेंगे। दीपमाला की लडिय़ां पिरोई जाएंगी और माता प्रसाद कथक में गंगा अवतरण के भाव सजाएंगे। इससे पहले सुबह पांच बजे डा. आरपी घाट पर काशी आनंद फाउंडेशन व सुबह- ए-बनारस की ओर से मां गंगा की दिव्य महाआरती की जाएगी। अस्सी घाट पर रामेश्वर मठ, स्वामी नारायण तीर्थ वेद विद्यालय व जागृति फाउंडेशन की ओर से सुबह छह बजे मां गंगा का दुग्धाभिषेक और आरपार की माला चढ़ाई जाएगी। अहिल्याबाई घाट पर शास्त्रार्थ महाविद्यालय के बटुक सुबह आठ बजे दुग्धाभिषेक करेंगे और बाबू महाराज को गंगा भूषण अलंकरण प्रदान करेंगे।
मां गंगा का दुग्धाभिषेक
रामेश्वर मठ, स्वामी नारायणनंद तीर्थ वेद विद्यालय व जागृति फाउंडेशन की ओर से गंगा दशहरा पर बुधवार को अस्सी घाट पर मां गंगा का वेद मंत्रों के बीच 21 लीटर दूध से अभिषेक किया गया। साथ ही मां गंगा को आर पार की माला भी चढ़ाई गई। शुभारंभ साधक स्वामी लखन स्वरूप ब्रह्मचारी व वरुणेश चंद दीक्षित ने किया। हर दौरान हर हर गंगे और हर हर महादेव के नारों से चारों दिशाएं गूंज उठीं।
मां गंगा का केसर जल और दूध से अभिषेक
गंगा दशहरा पर बुधवार को अहिल्याबाई घाट पर विप्र समाज के तत्वावधान में शास्त्रार्थ महाविद्यालय के बटुकों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां गंगा का पूजन एवं अर्चन किया। पंडित मनोज शास्त्री के आचार्यत्व में केसर जल एवं दूध से अभिषेक किया गया। ब्राह्मणों ने सस्वर मंगलाचरण किया। अभिषेक के पश्चात गंगासेवी एवं गंगोत्री सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष पंडित किशोरी रमण दुबे बाबू महाराज को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र भेंट कर उनका सम्मान किया गया। संयोजक पवन शुक्ला, विष्णुरत्न पांडेय, विशाल औढेंकर, राकेश तिवारी, नवीन कसेरा, शीतांशु शास्त्री, नरेंद्र बाजपेयी, किशोर बनारसी, राजेश गौतम, भोला, प्रमोद आदि थे ।
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