काशी में दिन में हुई गंगा आरती, जानें 26 साल में दूसरी बार क्यों तोड़नी पड़ी परंपरा
दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्वविख्यात नैत्यिक सांध्य गंगा आरती शुक्रवार को चंद्रग्रहण के कारण दिन में ही आयोजित की गई।
वाराणसी (जेएनएन)। दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्वविख्यात नैत्यिक सांध्य गंगा आरती शुक्रवार को चंद्रग्रहण के कारण दिन में ही आयोजित की गई। घाट पर गंगा सेवा निधि व गंगोत्री सेवा समिति की ओर से नियमित आरती की जाती है। दिन में 2.54 बजे सूतक काल शुरू होने के कारण इसे एक बजे ही शुरू करने का निर्णय लिया गया था। हालांकि दाेपहर में गंगा आरती होने की वजह से श्रद्धालुआें की संख्या भी काफी कम रही। दशाश्वमेध घाट पर ऐसा पिछली बार सूर्य ग्रहण पर भी किया जा चुका है। इसके अलावा श्रीकाशी विश्वनाथ बाबा दरबार मंदिर में चंद्रग्रहण के कारण शनिवार भोर वाली मंगला आरती भी एक घंटे प्रभावित रहेगी।
28 जुलाई की भोर मंगला आरती चार बजे से संपन्न होगी और भक्तों काे बाबा विश्वनाथ का दर्शन सुबह पांच बजे से हो सकेगा। वहीं संकट मोचन मंदिर के पट दोपहर 12 बजे भोग आरती के बाद बंद हो जाएंगे और शनिवार भोर 4.30 बजे पट खुलेंगे। अन्नपूर्णा मंदिर के पट रात 10.30 बजे और कालभैरव मंदिर के पट दस बजे बंद होंगे। वहीं गुरु पूर्णिमा भी धूमधाम से मनाया जा रहा है शास्त्रों में गुरु महिमा का बखान देवों से भी ऊपर बताया गया है।
गुरु पूर्णिमा पर महर्षि वेद व्यास की स्मृति में उनके पूजन के साथ ही सभी सनातनी अपने दीक्षा गुरु का विधि विधान से पूजन कर आशीष लेते हैं। गुरु पूर्णिमा तिथि 26 जुलाई की रात 10.32 बजे ही लग गई जो 27-28 जुलाई की रात 12.33 बजे तक रहेगी। इस दिन चंद्रग्रहण लगने के कारण सूतक काल शुरू होने से पहले तक ही गुरु दर्शन की परंपरा का निर्वहन हुआ। हालांकि संत मत अनुयायी आश्रम में शाम तक गुरु दर्शन चलता रहा।