Coronavirus अलर्ट की वजह से घाटों पर निभाई गई गंगा आरती की रस्म, सुबह-ए-बनारस स्थगित
शीतला घाट पर गंगोत्री सेवा समिति तत्वावधान में होने वाली गंगा आरती सात की जगह सिर्फ एक अर्चक ने की। इस दौरान वहां एक विदेशी महिला कोरोना से बचाव को प्रार्थना करतीं नजर आई।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना के कारण भीड़ जुटान के आदेश से बुधवार को नैत्यिक सांध्य गंगा आरती भी प्रभावित हो गई। दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि व गंगोत्री सेवा समिति की ओर से एक-एक बटुक ने प्रतीकात्मक रूप से आरती की। अस्सी घाट पर सुर राग में पगे नैत्यिक आध्यात्मिक अनुष्ठान में भी सिर्फ एक बटुक से सिर्फ आरती का निर्णय ले लिया गया। इससे 1936 दिन से निरंतर चल रही सांगीतिक कड़ी टूटने जा रही है। कोरोना के मद्देनजर प्रशासन की ओर से जारी निर्देश के दशाश्वमेधघाट पर होने वाली दोनों आरतियों के आयोजकों ने सिर्फ परंपरा का निर्वहन किया।
सात ब्राह्मणों के स्थान पर सिर्फ एक से सांध्य आरती कराई गई। भजन-आरती का संगीतमय गायन बंद रहा तो गिने-चुने श्रद्धालु ही नजर आए। इस दौरान गंगा सेवा निधि के मंच पर अर्चक मास्क लगाए नजर आए तो कोरोना को लेकर जागरूकता का संकल्प भी जताया गया। डीएम ओर से सामूहिक आयोजन और जुटान पर रोक के आदेशानुसार अमला दोपहर बाद सक्रिय हो उठा। दशाश्वमेध, अस्सी व भैंसासुर घाट की ओर जाने वाले रास्तों पर बैरिकेडिंग कर दी गई। चितरंजन पार्क के पास सायंकाल लोहे की अस्थाई बैरिकेडिंग करते हुए गंगा आरती स्थगित का बोर्ड टाग दिया गया। इससे लोग सकते में आ गए लेकिन कुछ ही देर बाद प्रशासन ने स्थिति स्पष्ट की और सांकेतिक रूप से आरती जारी रखने और जुटान न होने देने का सूचना प्रसारित की गई।
पुलिस ने घाटों से लोगों को हटाने के साथ ही जुटान न करने की हिदायत दी। भव्यता के लिए ख्यात दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती पहली इस तरह सीमित करनी पड़ी है। इसके अलावा 24 नवंबर 2014 से चल रहा सुबह-ए-बनारस का आयोजन स्थगित करना पड़ा है। देर रात आयोजकों ने सिर्फ एक बटुक से आरती का निर्णय लिया और योग-संगीत रद कर दिया गया। हालांकि यज्ञ के विधान पाणिनी कन्या महाविद्यालय में निभाए जाते रहेंगे। घाट संध्या पाच दिन पहले ही स्थगित की जा चुकी है। इस घाट पर ही जाह्नवी सेवा समिति की सांध्य आरती 45 मिनट के बजाय 10 मिनट में एक आरती की गई।
बाबा दरबार में श्रद्धालु घटे मंगला आरती भी खाली : कोरोना को लेकर सतर्कता के क्रम में बाबा दरबार में भी भीड़ कम हो गई। नित्य जहां 10 हजार श्रद्धालु आते थे, बुधवार को पांच हजार तक लोग पहुंचे। मंगला आरती में श्रद्धालुओं की संख्या सौ का आंकड़ा भी नहीं छू सकी। संकट मोचन, कालभैरव, दुर्गाकुंड समेत अन्य मंदिरों में लगभग यही हाल रहा। मंदिर में गर्भृगृह प्रवेश दो दिन पहले ही बंद किया जा चुका है तो सारनाथ के कई बौद्ध मंदिरों में प्रवेश निषेध किया जा चुका है।