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मणिकर्णिका घाट पर पांच घंटे तक नहीं जलीं चिताएं

वाराणसी मोक्ष नगरी काशी के महाश्मशान पर पहली बार ऐसा हुआ जब पांच घंटे तक न सिर्फ शव का अंतिम संस्कार नहीं हुआ।

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 Oct 2019 02:12 AM (IST)Updated: Tue, 29 Oct 2019 06:27 AM (IST)
मणिकर्णिका घाट पर पांच घंटे तक नहीं जलीं चिताएं
मणिकर्णिका घाट पर पांच घंटे तक नहीं जलीं चिताएं

वाराणसी : मोक्ष नगरी काशी के महाश्मशान पर पहली बार ऐसा हुआ जब पांच घंटे तक न सिर्फ शवदाह रुका रहा बल्कि चिता सजाने के लिए लकड़ियां तक नहीं दी गई। यहां तक कि घाट पर सजी चिताओं को आग भी नहीं दी गई। मजबूरन लोगों को शव लेकर हरिश्चंद्र घाट पर जाना पड़ा। इस बड़े घटनाक्रम की वजह बना लकड़ी के दुकानदारों का विरोध-प्रदर्शन। नगर निगम की टीम मणिकर्णिका घाट पर नजूल की भूमि पर कब्जा हटाने पहुंची थी लेकिन दुकानदारों के विरोध और शवदाह ठप हो जाने से टीम को कार्रवाई रोककर लौटना पड़ा।

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दोपहर करीब दो बजे तहसीलदार विनय कुमार राय के नेतृत्व में नगर निगम की टीम पहुंची जहां लकड़ी के एक दुकानदार विभूति नारायण सिंह उर्फ बबलू ने कब्जा किया हुआ है। दुकानदार नजूल की भूमि पर कब्जा कर एक हिस्से में मकान बनवाने के साथ ही एक हिस्से में लकड़ी का कारोबार कर रहा है।

नगर निगम ने नजूल की जमीन खाली करने के लिए बबलू को पूर्व में ही नोटिस भी दी थी। साथ ही जिलाधिकारी के आदेश पर एक बोर्ड भी मौके पर लगाया गया था कि यह जमीन नजूल की है। इसके बावजूद कब्जा नहीं हटाया गया तो शनिवार को निगम प्रशासन बुल्डोजर व अतिक्रमण विरोधी दस्ते के साथ पहुंचा।

नगर निगम की टीम ने मौके पर लकड़ियों को कब्जे में लेने के बाद अवैध निर्माण को हटाने के लिए बुल्डोजर जैसे ही आगे बढ़ा, बबलू सहित अन्य दुकानदारों ने विरोध करना शुरू कर दिया। देखते ही देखते घाट पर चिताओं की लकड़ी का कारोबार करने वाले सभी दुकानदार लामबंद हो गए।

इस दौरान करीब घाट पर एक दर्जन चिताओं का शवदाह शुरू था। इसके बाद जो भी शव पहुंचे उनके परिजनों को चिता सजाने के लिए लकड़ियां देने से इन्कार कर दिया गया। इतना ही नहीं, पहले से सजी चिताओं को मुखाग्नि के लिए आग देने का क्रम भी रोक दिया गया। विरोध-प्रदर्शन और शासन-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू हो गई। शुरुआती एक-डेढ़ घंटे तक शवों को लेकर पहुंचे लोग हालात सामान्य होने का इंतजार करते रहे। इस बीच विरोध का उग्र तेवर देख मौके पर बड़ी संख्या में फोर्स तैनात कर दी गई। हंगामा बढ़ता देख देर से इंतजार कर रहे लोग शव लेकर दूसरे श्मशान हरिश्चंद्र घाट चले गए।

विरोध-प्रदर्शन और शवदाह रुकने का क्रम जब पांच घंटे तक होने को आया तो निगम प्रशासन ने कार्रवाई रोककर अपनी टीम मौके से हटा ली। इसके बाद महाश्मशान पर हालात सामान्य हुआ।


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