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Flood in Varanasi : डूबे गंगा घाट तो लगी कतार, गलियों में हो रहा अंतिम संस्कार Varanasi news

महादेव की नगरी काशी में गंगा उफान पर हैं। काशी के घाट गलियों से होते हुए नगर में प्रवेश करने को गंगा आतुर हैं।

By Edited By: Published: Tue, 20 Aug 2019 01:01 AM (IST)Updated: Tue, 20 Aug 2019 09:36 AM (IST)
Flood in Varanasi : डूबे गंगा घाट तो लगी कतार, गलियों में हो रहा अंतिम संस्कार Varanasi news
Flood in Varanasi : डूबे गंगा घाट तो लगी कतार, गलियों में हो रहा अंतिम संस्कार Varanasi news

वाराणसी, जेएनएन। महादेव की नगरी काशी में गंगा उफान पर हैं। काशी के घाट, गलियों से होते हुए नगर में प्रवेश करने को गंगा आतुर हैं। गंगा में उफान के चलते मोक्ष नगरी काशी में पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। मणिकर्णिका घाट की गलियों में शवों की कतार लगी है। गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ाव के चलते सोमवार को हरिश्चंद्र घाट पूरी तरह जलमग्न हो गया। घाट की पूरी सीढि़या गंगा की आगोश में समा गई। घाट व सीढि़यों के गंगा में डूबने से शवों का दाह संस्कार भी प्रभावित हुआ। घाट के ऊपर स्थित पीतांबरपुरा गली में अंतिम संस्कार हो रहा है।

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गंगा का जलस्तर इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि सुबह से लेकर शाम तक तीन सीढि़या पानी में डूब गईं। मशान बाबा का मंदिर जहा गंगा में समा गया है, वहीं शिवाला मंदिर (हरिश्चंद्र घाट ) तक पानी चढ़ गया है। पानी बढ़ने के कारण शवदाह पर असर पड़ रहा है। मनोज चौधरी ने बताया कि सामान्य दिनों में एक साथ 12 से 14 पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार होता था लेकिन इस समय स्थान की कमी के चलते एक बार में छह से सात शवों का ही अंतिम संस्कार हो रहा। लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है।

- मणिकर्णिका की गलियों में भी लगी कतार, हो रही दिक्कत मणिकर्णिका घाट पर वाराणसी के साथ ही आसपास के जिलों व बिहार से लोग शव लेकर आते हैं अंतिम संस्कार के लिए। गंगा का पानी मणिकर्णिका घाट की गलियों तक पहुंच गया है। घाट और सीढि़यां पूरी तरह से डूब गई हैं। एक बार में दस शवों का ही अंतिम संस्कार हो पा रहा है जबकि सामान्य दिनों में यहां एक बार में 50 से 60 चिताएं एक साथ जलती हैं। पार्थिव शरीर के साथ घाट पर आने वालों को गलियों में ही इंतजार करना पड़ रहा है। शव यात्रियों को बैठने के साथ ही खाने-पीने में भी दिक्कत हो रही है। चाय-पान की दुकानें बंद हो चुकी हैं।

चिता के सामान के दाम बढ़े

गंगा में उफान के बाद शवदाह के लिए दिक्कत होने के कारण लकड़ी समेत अन्य सामान के दाम बढ़ गए हैं। बीते दिनों तीन से साढ़े तीन सौ रुपये में एक मन लकड़ी उपलब्ध होती थी जो अब पांच से साढ़े पांच सौ रुपये प्रति मन हो गई है।

तकनीकी खराबी से बंद है प्राकृतिक गैस शवदाह गृह

हरिश्चंद्र घाट पर स्थित प्राकृतिक गैस शवदाह गृह के दो पैनलों में से एक तकनीकी खराबी के चलते एक माह से बंद है। दूसरा पैनल स्विच जल जाने के कारण रविवार से काम नहीं कर रहा है। शवदाह गृह के आपरेटर लल्लू चौधरी ने बताया कि पैनल खराब होने के कारण प्राकृतिक गैस के जरिए अंतिम संस्कार नहीं हो सकता। सोमवार को सात लोगों को लौटाना पड़ा। शवदाह गृह के नीचे स्थित चिमनी वाटर फिल्टर से महज दो फीट नीचे ही गंगा का जलस्तर है। अनुमान है कि अगले चौबीस घंटे में वाटर फिल्टर गंगा में डूब जाएगा।


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