बीएचयू की पूर्व सीनियर रेजिडेंट डा. संध्या और डा. सुनील यादव उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित
चिकित्सा व समाजसेवा के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट योगदान के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जन व इनफर्टिलिटी एक्सपर्ट डा. सुनील यादव व चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू की पूर्व सीनियर रेजिडेंट व प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. संध्या यादव को मानव संसाधन एवं महिला विकास संस्थान की ओर से सम्मनित किया।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। चिकित्सा व समाजसेवा के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट योगदान के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जन व इनफर्टिलिटी एक्सपर्ट डा. सुनील यादव व चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू की पूर्व सीनियर रेजिडेंट व प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. संध्या यादव को मानव संसाधन एवं महिला विकास संस्थान की ओर से सम्मनित किया। यह सम्मान उन्हें कैंटोमेंटर स्थित एक होटल में आयोजित अलंकरण समारोह में गांधी अध्यन पीठ (काशी विद्यापीठ) के निदेशक बंशीधर पांडेय ने प्रदान किया।
डा. सुनील यादव व डा. संध्या यादव ने समय-समय पर अपने सहयोगियों के साथ मिलकर गरीब बस्तियों में सेवा भाव के साथ निशुल्क चिकित्सा शिविर में महिलाओं को मुफ्त चिकतसीय परामर्श, जांच व दवाइयां उपल्ब्ध करवाई हैं। गौरतलब हो कि आप गांव गांव जाकर लोगों को रोगों से बचाने के साथ ही उनके स्वास्थ की देखभाल कर रहें हैं। महिला रोगों पर इनके आलेख पत्र पत्रिकओं में प्रकाशित होते रहते हैं। इसके साथ ही इनके महिला रोगों के रोकथाम व उसके उपचार पर कई राष्ट्रीय व अर्न्तराष्ट्रीय पत्र पत्रिकाएं में प्रकाशित होते रहते हैं। साथ ही डा. संख्या हर दिवस विशेष व अन्य मौकों पर समाज की सेवा करती रहती हैं। बताया कि रजोनिवृत्ति 45 से 55 साल के बीच की उम्र में होता है। रजोनिवृत्ति होने पर स्त्री के शरीर में शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के पविर्तन पाए जाते हैं। सामान्यतया ये परिवर्तन इतनी धीमी गति से तथा अल्प होते हैं कि स्त्री को कोई असुविधा नहीं होती, किंतु कुछ स्त्रियों को विशेष कष्ट होता है। रजोनिवृत्ति लक्षण हर महिला में अलग-अलग दिखाई देते हैं।
किसी में अचानक मासिक धर्म आना बंद हो जाता है तो किसी में यह प्रक्रिया 1-2 साल तक चलती है। कई मामलों में देखा गया है कि कुछ महिलाओं को 45 वर्ष के उम्र से पहले ही मेनोपॉज आ जाता है रजोनिवृत्ति के कई लक्षण हैं जैसे नींद न आना रात को बेचैनी और पसीना आना, शरीर के अलग अलग भागों में दर्द रहना, चिड़चिड़ापन और मन उदास रहना, चिंता, थकान, शारीरिक कमजोरी अधिक होना, पेट से संबंधित समस्या होना, पाचनशक्ति कमजोर हो जाना, जी मिचलाना और उल्टियां आना, लगातार कब्ज की समस्या होना,योनि में सूखापन और बालों का झड़ना आदि । हार्मोन में बदलाव और मूड स्विंग की वजह से सिरदर्द भी होने लगता है। रजोनिवृत्ति के बाद नियमित रूप से व्यायाम करें इससे स्वास्थ्य ठीक रहने के साथ साथ नींद भी अच्छी आएगी,अच्छा महसूस होगा और आप सेहतमंद रहेंगी। नियमित योग तथा प्राणायाम करें।
कुछ महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद हड्डियां भी कमजोर हो जाती हैं इसलिये आहार में दूध, दही, अंडे आदि शामिल करने चाहिये । रजोनिवृत्ति के दौरान डिप्रेशन, स्ट्रेस, अकेले रहने की आदत और अनिद्रा जैसी समस्याएं हो सकती हैं यह समस्या होने पर डॉक्टरी परामर्श अवश्य लें। चूंकि रजोनिवृत्ति उम्र का एक पड़ाव हैं इससे पूरी तरह से निजात पाना मुश्किल है अतः जीवनशैली में बदलाव लाने से कई महिलाएं राहत महसूस कर पाती हैं। रजोनिवृत्ति महिला के जीवन की स्वाभाविक प्रक्रिया है ऐसे में परिवारिक तथा सामाजिक सहयोग एवं सकारात्मक विचार से महिला इस प्रक्रिया को आसानी से पार कर सकती है।