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लोगों की जान नहीं लेगा 'काला घी-तेल' सरकार खरीदकर इससे तैयार करेगी बायोडीजल

ठेले-खोमचों से लेकर हलवाई की दुकान व बड़े-बड़े खाद्य प्रतिष्ठानों में इस्तेमाल किए जा चुके घी-तेल को सरकार खुद खरीदेगी।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 09 Jun 2019 09:32 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jun 2019 12:57 PM (IST)
लोगों की जान नहीं लेगा 'काला घी-तेल' सरकार खरीदकर इससे तैयार करेगी बायोडीजल
लोगों की जान नहीं लेगा 'काला घी-तेल' सरकार खरीदकर इससे तैयार करेगी बायोडीजल

जौनपुर [अमरदीप श्रीवास्तव]। ठेले-खोमचों से लेकर हलवाई की दुकान व बड़े-बड़े खाद्य प्रतिष्ठानों में इस्तेमाल किए जा चुके घी-तेल को सरकार खुद खरीदेगी। इसे इकटठा कर बायोडीजल बनाया जाएगा। इस पूरी योजना के पीछे सरकार की मंशा लोगों को इस्तेमाल हो चुके घी-तेल से बचाना है। अधिकतम तीन बार तक इस्तेमाल हो चुका तेल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, लेकिन मुनाफे के चक्कर में दुकानदार इस तेल को फेंकने की बजाय कई बार इस्तेमाल करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। तेल को खरीदने के लिए प्रत्येक जिले में सेंटर खोला जाएगा। बायोडीजल के इस्तेमाल से जहां पर्यावरण सुरक्षित होगा, वहीं आम लोगों की सेहत भी दुरुस्त हो सकेगी।

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घी-तेल का कई बार इस्तेमाल होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा व मिठाई की दुकानों पर पर होता है। दो-से तीन बार इस्तेमाल के बाद तेल का रंग काला पड़ जाता है, जिसके इस्तेमाल से बीमारियां बढ़ रही हैं। इसके लगातार सेवन से मौत तक हो सकती है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट के बाद सरकार खुद प्रयोग में आ चुके तेल को खरीदने की दिशा में काम कर रही है। इसके लिए 25 से 50 लीटर या इससे अधिक तेल की खपत करने वाले दुकानदारों का डाटा जुटाया जा रहा है। इस पहल से दो मकसद हल होंगे। पहला पैसा मिलने से व्यवसायी स्वयं खराब हो चुके तेल को बेचने के लिए आगे आएंगे, वहीं आम लोगों के सेहत के साथ हो रहा खिलवाड़ भी रुकेगा। योजना को प्रभावी बनाने के लिए प्रत्येक जिले में सेंटर खोले जा सकते हैं।

शरीर के लिए खतरनाक हैं ऐसे तेल : हृदय रोग विशेषज्ञ डा. हरेंद्र देव सिंह कहते हैं कि किसी भी खाद्य तेल में विटामिन्स व मिनरल होते हैं, लेकिन अधिक ताप पर गर्म करने अथवा बार-बार गर्म करने पर यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाते हैं। डा. सिंह कहते हैं कि लगातार ऐसे खाद्य तेलों के इस्तेमाल से शुगर, हाई ब्लडप्रेशर, मेटोबोलिक सिंड्रोम समेत कैंसर होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।   

क्या है बायोडीजल : बायोडीजल परम्परागत इंधनों का एक स्वच्छ विकल्प है। इसे भविष्य का ईंधन भी माना जा रहा है। बायोडीजल में पेट्रोलियम नहीं होता, लेकिन इसे सम्यक अनुपात में पेट्रोलियम में मिलाकर विभिन्न प्रकार की गाडिय़ों में प्रयोग किया जा सकता है। बायोडीजल विषैला नहीं होता, यह बायोडिग्रेडेबल भी है। बायोडीजल प्रयोग में सर्वाधिक आसान इंधनों में से एक और सबसे अच्छी बात यह है कि खेती में काम आने वाले उपकरणों को चलाने के लिये सबसे उपयुक्त है। भारत का पहला बायोडीजल संयंत्र आस्ट्रेलिया के सहयोग से काकीनाड़ा सेज  में स्थापित किया गया है।

बाेले अधिकारी : आम लोगों की सेहत व पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से उठाया गया यह क्रांतिकारी कदम है। कानपुर की एक कंपनी इस्तेमाल हो चुके खाद्य तेल को खरीद रही है। इस तरह की अन्य कंपनियों को तलाशा जा रहा है। यह प्रक्रिया शुरूआती चरण में है जो आने वाले दिनों में कई बदलाव लेकर आएगी। इस्तेमाल हो चुके तेल को खरीदने को प्रत्येक जिले में सेंटर स्थापित करने की योजना है। दुकानदारों का डाटा जुटाया जा रहा है। साथ ही इसके खरीद मूल्य पर भी मंथन चल रहा है। -अनिल कुमार राय, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी, जौनपुर।

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