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स्वामी नित्यानन्द के विदेशी शिष्यों ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण पर इस वजह से जताया विरोध

स्वामी नित्यानन्द के विदेशी शिष्यों ने वाराणसी के श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण पर इस वजह से जताया विरोध।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 08 Jun 2020 10:48 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jun 2020 10:48 AM (IST)
स्वामी नित्यानन्द के विदेशी शिष्यों ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण पर इस वजह से जताया विरोध
स्वामी नित्यानन्द के विदेशी शिष्यों ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण पर इस वजह से जताया विरोध

वाराणसी, जेएनएन। श्रीकैलाश नामक विदेश में एक अलग ही देश बसाने वाले चर्चित स्वामी नित्यानन्द के विदेशी शिष्यों ने सोशल मीडिया पर बनारस को लेकर मुहिम छेड़ रखी है। रविवार को कई विदेशी शिष्यों ने काशी विश्वनाथ विस्तारीकरण को लेकर खुद से जुड़े एक मंदिर के अधिग्रहण को लेकर मुहिम छेड़ दी। इसमें शासन प्रशासन पर भी मंदिर परिसर को कब्जा करने का आरोप लगाया गया है।

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भारत से गुपचुप विदेश जा बसे स्वामी नित्यानन्द के श्रीकैलाशा नाम के देश के प्रचार वाली सोशल मीडिया प्रोफाइल के जरिये विदेसी भक्त काशी में उनके आश्रम को लेकर सोशल मीडिया पर मुहिम चलाये पड़े हैं। बताया जाता है कि नित्यानन्द से जुड़ा एक आश्रम बनारस में था जिसे प्रशासन ने मंदिर विस्तारीकरण के दौरान कब्जे में ले लिया गया है। नित्यानन्द के विदेशी शिष्य ऑनलाइन मुहिम चलाते हुए अदालत के आदेशों की अवहेलना का आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया में पोस्टर भी जारी कर रहे हैं। भड़के हुए शिष्यों ने ऑनलाइन पिटीशन दायर करने के लिए एक लिंक भी जारी करते हुए नित्यानन्द से जुड़े आश्रम पर पोस्टर जारी किया है।

जारी पोस्टर के अनुसार पूरा मामला मणिकर्णिका घाट स्थित काशी सर्वजनपीठ नामक आश्रम से जुड़ा हुआ है। निको अघोर, विमला, मां चंचल आदि विदेशी महिला शिष्यों की ओर से सोशल मीडिया पर जारी पोस्ट से आश्रम को वाराणसी जिला प्रशासन द्वारा नियम विपरीत कब्जे में लेने का आरोप लगाया जा रहा है। प्रोफाइल के जरिये आश्रम में तीन साधुओं की पिटाई किये जाने का भी आरोप लगाया गया है।

सोशल मीडिया पर वाराणसी को हैश टैग करते हुए  नित्यानन्द के श्रीकैलाश देश के पोस्टर वाली करीब तीन विदेशी शिष्यों की प्रोफाइल से यह सन्देश पोस्ट किए गए हैं। हालांकि स्थानीय लोगों के अनुसार इस आश्रम में नित्यानन्द का आना जाना नही होता था मगर मन्दिर प्रबंधन से जुड़े लोग इसे उनसे सम्बंधित बताते रहे हैं। 


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