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चुनार किले के दीदार को शाही राजमहल से पहुंचे विदेशी मेहमान, दर्शनीय स्थलों का किया भ्रमण

बुधवार को शाही सुविधाओं से लैस गंगा पर तैरता पांच सितारा राजमहल 17 सदस्यीय विदेशी सैलानियों को लेकर चुनार पहुंचा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 05:51 PM (IST)Updated: Thu, 22 Aug 2019 07:19 PM (IST)
चुनार किले के दीदार को शाही राजमहल से पहुंचे विदेशी मेहमान, दर्शनीय स्थलों का किया भ्रमण
चुनार किले के दीदार को शाही राजमहल से पहुंचे विदेशी मेहमान, दर्शनीय स्थलों का किया भ्रमण

मीरजापुर, जेएनएन। केंद्र सरकार द्वारा गंगा में जल पर्यटन की संभावनाओं को विस्तार देने व विदेशी सैलानियों में चुनार क्षेत्र के पर्यटन के प्रति रुचि विकसित करने के क्रम में बुधवार को शाही सुविधाओं से लैस गंगा पर तैरता पांच सितारा राजमहल 17 सदस्यीय विदेशी सैलानियों को लेकर चुनार पहुंचा। राजमहल जलपोत से विदेशी मेहमानों ने चुनार में बाबू देवकीनंदन खत्री की तिलिस्मी दुनिया को जाना-समझा। वहीं  पुरातन आंग्ल कब्रिस्तान, इफ्तखार खां का रौजा देख उनके ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के बारे में अपनी जिज्ञासा शांत की। वहीं चुनार के प्रसिद्ध पाटरी उद्योग व कालीन बुनाई का काम भी उन्हें उनके गाइड द्वारा दिखाया गया।

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दोपहर करीब 12 बजे जल मार्ग से चुनार स्थित रामघाट पहुंचे राजमल में अमेरिका, इंग्लैड, हांगकांग, आस्ट्रेलिया देशों के 17 सदस्य थे।

सबसे पहले चुनार दुर्ग पहुंचे पर्यटकों ने किले की प्राचीर से लगातार बढ़ रही गंगा के विकराल रूप को देखा। उसके बाद जब इन्हें इनके गाइड अखिलेश कुमार सोनवा मंडप ले गए तो उसकी प्रस्तर कला देख करीब करीब सभी के चेहरों पर आश्चर्य मिश्रित सुखद अनुभूति दिखाई। महिला सैलानियों ने सोनवा मंडप की नक्काशी को हाथ से छूकर भी देखा। सोनवा मंडप के पत्थरों पर उकेरी गई कलाओं को अपने कैमरों में कैद कर रहे इन विदेशी मेहमानों के हावभाव स्वत: बता रहे थे कि यह उन्हें कितना पसंद आया। वहीं बगल में स्थित योगिराज भर्तृहरि की समाधि के दर्शन करने और दुभाषिए द्वारा उसके बारे में जानकारी दिए जाने और उसे समझने के बाद इनके चेहरे स्वत: बयां कर रहे थे कि वे इस समाधि को देखने के बाद खुद को धन्य समझ रहे हैं।

दल में ब्रिटेन से आए दंपत्ति एलेन और एलीन ने यहां पर फोटोग्राफी की और साथ चल रहे गाइड से अपनी जिज्ञासाआें को शांत किया। इसके पश्चात यह दल ने विशाल बावली को निहारते हुए उसकी विशालता के बारे में आपस में चर्चा की। डाक बंगला देखने और वहां से गंगा का नजारा लेने के बाद किले के दक्षिणी ओर स्थित अंग्रेजों के कब्रिस्तान को भी देखा। जहां अपने कब्रों पर लिखे कोटेशन को पढ़ कर सभी भावुक हो गए। यहां से हीरा पाटरी सेंटर जाकर यहां बनने वाले चीनी मिट्टी के बर्तनों की जानकारी ली और स्मृति के लिए सामान भी खरीदे।


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