भूगर्भ जल की एनओसी के लिए उद्यमियों की राह आसान, कल से सरकार शुरू करने जा रही है पोर्टल
औद्योगिक इकाइयों को अब भूगर्भ जल अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के लिए केंद्रीय भू जल प्राधिकरण के चक्कर नहीं लगाने होंगे। उद्यमी अब आनलाइन ही प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकेंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार 10 अक्टूबर से पोर्टल शुरू करने जा रही है।
वाराणसी, जेएनएन। औद्योगिक इकाइयों को अब भूगर्भ जल अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के लिए केंद्रीय भू जल प्राधिकरण के चक्कर नहीं लगाने होंगे। उद्यमी अब आनलाइन ही प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकेंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार 10 अक्टूबर से पोर्टल शुरू करने जा रही है। इससे उद्यमियों को अनावश्यक परेशान नहीं होना पड़ेगा। सरकार की इस पहल से उद्यमियों में खुशी है। इस संबंध में शुक्रवार को आनलाइन बैठक में लघु उद्योग भारती काशी प्रांत के अध्यक्ष राजेश ङ्क्षसह ने बताया कि फिलहाल बिना एनओसी के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड औद्योगिक इकाइयों को भूगर्भ जल इस्तेमाल की अनुमति नहीं देता है। हालांकि छोटे उद्यमियों को छूट है।
राजेश ङ्क्षसह ने बताया कि भू जल के लिए अभी सरकार स्थायी एनओसी नहीं दे रही है। एक-एक साल के लिए समय बढ़ा रही है, लेकिन आनलाइन व्यवस्था हो जाने के बाद यह समस्या समाप्त हो जाएगी। उद्यमी आनलाइन आवेदन कर अनापत्ति प्रमाण पत्र ले सकेंगे। पहले उद्यमियों के लिए यह प्रक्रिया बहुत जटिल थी। भूगर्भ जल की एनओसी लेने में डेढ़ से दो माह का समय लग जाता था। आवेदन के बाद जांच कर इकाइयों से प्रोजेक्ट रिपोर्ट ली जाती थी। लखनऊ के बाद फाइल केंद्रीय भूजल प्राधिकरण दिल्ली पहुंचती थी। कई बार मानक पूरे न होने पर आपत्ति लगा दी जाती थी। उद्यमियों को दिल्ली जा कर आपत्ति निवारण के लिए प्रपत्र जमा करने पड़ते थे। इससे फैक्ट्री का काम प्रभावित होता था। हालांकि अब उद्यमियों को एनओसी के लिए उप्र भूजल बोर्ड के पोर्टल पर आवेदन करना होगा।
प्रसिद्ध कालीन निर्माता व लघु उद्योग भारती के प्रदेश उपाध्यक्ष दीनानाथ बरनवाल ने कहा कि उद्यमियों को अब एनओसी के लिए भाग दौड़ नहीं करनी होगी पहले लखनऊ एवं दिल्ली आने जाने में ही महीनों निकल जाता था। यह संघटन की ही मांग थी। करखियाव औद्योगिक क्षेत्र के पशु चारा निर्माता व लघु उद्योग भारती के सचिव आनंद जायसवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार की व्यवस्था का लाभ एमएसएमई की उन सभी इकाइयों को मिलेगा जिनके उद्योग में भू जल कम खर्च होता है। पहले इसके लिए समय और पैसा दोनों बर्बाद करना पड़ता था। करखियाव औद्योगिक क्षेत्र के मिठाई व नमकीन के निर्माता व लघु उद्योग भारती के उपाध्यक्ष मनोज मधेशिया का कहना कई उद्यमी भूगर्भ जल का इस्तेमाल नहीं करते है या बहुत कम मात्रा में इस्तेमाल करते है। अब इस पोर्टल के द्वारा वह आनलाइन अंडरटेङ्क्षकग दे सकेंगे जिससे स्थिति स्पष्ट हो ने पर उन पर कोई चार्ज नहीं लगेगा।