Flood Report of Poorvanchal : पूर्वांचल की नदियों के जलस्तर में दोबारा बढोतरी, तटवर्ती इलाकों में बढ़ी चिंता
पूर्वांचल की नदियों के जलस्तर में दोबारा बढोतरी होने से तटवर्ती इलाकों में चिंता बढ़ गई है।
वाराणसी, जेएनएन। कई दिनों के लगातार जलस्तर घटने और स्थिर होने के दौर के बाद एक बार फिर से नदियों और बांधों का जलस्तर बढ़ने लगा है। गुरुवार से शुक्रवार के बीच सबसे अधिक सरसू नदी में लगभग दस सेंटीमीटर का जलस्तर बढ़ा है। केंद्रीय जल आयोग की ओर से शुक्रवार की सुबह आठ बजे जारी रिपोर्ट के अनुसार बलिया के तुर्तीपार में सरयू का जलस्तर 64.2 मीटर है। सुबह जलस्तर बढ़ा देखकर तटवर्ती इलाकों में चिंता होने लगी है कि अब सरयू का पानी बढ़ा तो कटान के साथ बाढ़ का भी खतरा बढ़ जाएगा। इस समय बलिया जिले में सरयू नदी खतरा बिंदु से करीब बीस सेंटीमीटर ऊपर बह रही है।
इसके साथ ही सोनभद्र की पहाड़ी नदियों और रिहंद डैम के जलस्तर में भी बढ़ाव दर्ज किया गया है। वहीं पूर्वांचल के कई जिलों में बूंदाबांदी होने के साथ ही पहाड़ों पर बारिश की वजह से भी अब नदियों का जलस्तर मामूली तौर पर बढ़ने लगा है। उम्मीद है कि पखवारे भर में ही नदियों का जलस्तर और बढ़ेगा साथ ही गंगा में भी उफान की स्थिति बनेगी।
बलिया में बढ़ी चिंता
सरयू के जलस्तर में पिछले चार दिनों से जारी नरमी के बाद नदी ने फिर से रौद्र रुप ले लिया और नदी के जलस्तर में दो सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ाव तेज हो गया। महज आठ घंटे में नदी में 14 सेंटीमीटर का बढ़ाव दर्ज किया। शुक्रवार दोपहर 11 बजे से नदी में बढ़ाव 2 सेंटीमीटर प्रति घंटा हो गया। तुर्तीपार जल आयोग के अधिकारियों के अनुसार नदी का जलस्तर शुक्रवार दोपहर 11 बजे तक 64.250 मी. दर्ज किया गया। जो खतरा निशान 64.01 मीटर से 24 सेंटीमीटर ऊपर है।
विभाग की माने तो नदी के जलस्तर में अब कुछ दिन तक बढ़ाव होना तय है। जिससे तटवर्ती इलाकाेें में दहशत बढ़ गया है। नदी इस बार बिल्थरारोड के तटवर्ती इलाकों में सबसे ज्यादा नुकसान मुजौना, तुर्तीपार की मल्लाह, यादव बस्ती में कर रही है। काली चौरा के आसपास का इलाका तो पूरी तरह से नदी से घिर गया है। यहां राजभर बस्ती को जोड़ने वाली एक पुलिया भी नदी में जलसमाधि ले चुकी है। जिससे लोगों को निजी नाव से आना -जाना मजबूरी हो गया है। यहां की करीब 300 की आबादी हर वर्ष बरसात और बाढ़ के दिनों में करीब तीन महीने तक मुख्य मार्ग से पूरी तरह से कट जाती है। वहीं नदी के जलस्तर में हुए बेतहाशा वृद्धि के कारण इस बार मुजौना, तुर्तीपार, अटवां, मुबारकपुर समेत आसपास के करीब आधा दर्जन गांव के सैकड़ों एकड़ उपजऊ भूमि पूरी तरह से नदी मे समा गई है।