आजमगढ़ में लाल निशान छूने को बेताब तमसा, 2005 में आई बाढ़ की आशंका देख जिला प्रशासन अलर्ट
शहर को तीन तरफ से घेर कर बहने वाली तमसा नदी की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। 24 घंटे में 30 सेमी की वृद्धि दर्ज की गई।
आजमगढ़, जेएनएन। शहर को तीन तरफ से घेर कर बहने वाली तमसा नदी की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। 24 घंटे में 30 सेमी की वृद्धि दर्ज की गई। खतरा निशान 74.800 मीटर से मात्र 1.33 मीटर ही नीचे नदी बह रही हैं। बारिश थमने के बाद जिस तरह नदी का जलस्तर बढ़ रहा है, उससे तो लगता है कि 14 साल पुराने 2005 में आई बाढ़ के रिकार्ड तक पहुंच जाएगी। संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन भी अलर्ट हो गया है। निचले इलाकों में पानी ही पानी दिख रहा है। हर कोई ठांव तलाश रहा है।
बाढ़ का पाने से हजारों की आबादी घिर गई है। आवागमन पूरी तरह प्रभावित गया है। नदी का फैलाव लगातार बढऩे से काफी संख्या में घर प्रभावित होते जा रहे हैं। कई मोहल्लों की तरफ नाव चल रही है। निचले इलाकों में रैदोपुर, एलवल, भोलाघाट, सिधारी,सराय मंदराज (मुनरा सराय), हड़हा बाबा का स्थान, बागेश्वर नगर (बवाली मोड़) के समीप कठवा पुल बाढ़ में डूब गया है। सराय मंंदराज गांव प्राथमिक विद्यालय और सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान, कोलघाट गांव के सामने गायत्री मंदिर पूरी तरह डूब गऐ हैं।
तमसा नदी का जलस्तर
(खतरा बिंदु--- 74.800 मीटर।)
-27 सितंबर.......67.990 मीटर।
-28 सितंबर.......70.160 मीटर।
-29 सितंबर.......72.130 मीटर।
-30 सितंबर.......72.830 मीटर।
-01 अक्टूबर......73.220 मीटर।
-02 अक्टूबर......73.440 मीटर।
-03 अक्टूबर.....73.470 मीटर।
एसडीएम व राजस्व कर्मियों को मिली जिम्मेदारी
जिलाधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि बारिश रुकने के बाद भी तमसा नदी के जलस्तर में वृद्धि हो रही है।हालांकि 2005 में आई बाढ़ जैसे हालत अभी नहीं है। बावजूद इसके एसडीएम व राजस्व कर्मियों को बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे करने का निर्देश दिया जा चुका है। किसी भी स्थिति से निबटने के लिए बाढख़ंड, पीडब्ल्यूडी, जिलापूर्ति, एसडीएम व पुलिस विभाग सहित अन्य संबंधित विभागों के साथ बैठक बुलाई गई है। अधिकारियों के साथ बात कर पूरी रणनीति बनाई जाएगी।
बाढ़ से डूबा श्मशान घाट, चिता में आग लगाने को जगह नहीं
तमसा नदी के बाढ़ के पानी से शहर का राजघाट (श्मशान घाट) डूब गया है। जिससे शवदाह के लिए आसपास कोई जगह नही बचा है। राजघाट के आस-पास जहां जगह है वहां लोग शवदाह करने का विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों के विरोध के चलते चिता जलाने के लिए लोग शवों को लेकर इधर उधर भटकने को विवश हैं।
बारिश के चलते लगातार तमसा नदी के बढ़ाव से नदी के तलहटी क्षेत्रों में बसे कॉलोनियां व मोहल्ले बाढ़ के पानी से डूब गए है। वहीं शहर का एक मात्र श्मशान घाट राजघाट भी बाढ़ के पानी से डूबा हुआ है। शहर के अलावा आसपास क्षेत्रों के लोग राजघाट पर ही शव को जलाने के लिए आते हैं। यह श्मशान घाट चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ है। जिसके चलते चिता जलाने के लिए कहीं जगह नहीं बची है। राजघाट के पास ही मंदिर है। मंदिर के रास्ते पर लोग चिता जलाने लगे तो लोग विरोध करना शुरू कर दिए।
इसके बाद लोग बाग लखराव पुल के पास शव जलाने लगे। सड़क व पुल के किनारे चिता जलाने से उसका धुआं आस-पास के घरों में पहुंच रहा है। जिससे लोगों के समक्ष समस्या उत्पन्न हो गई। गुरुवार को आस-पास गांव के ग्रामीण बाग लखराव के पास चिता जलाने का विरोध करने लगे। जिससे शवदाह के लिए आए लोगों से नोकझोंक भी होने लगी। मामला बढऩे पर पुलिस भी मौके पर पहुंच गयी। पुलिस ने जब विरोध कर रहे ग्रामीणों को समझाना चाहा तो ग्रामीण मार्ग अवरूद्ध कर प्रदर्शन करने लगे। ग्रामीणों के प्रतिरोध के चलते शव लेकर दाह संस्कार के लिए आए लोग इधर उधर भटकने को विवश हैं। वहीं ग्रामीणों शव जलाने से रोकने के लिए कूड़ा लेकर डंपिंग ग्राउंड जा रही नपा के वाहनों को रोक कूड़ा गिरवाना शुरू कर दिए हैं ताकि लोग शव न जला सके। जाफरपुर गांव निवासी व छात्रनेता अरुण यादव का कहना है कि जब वे अपने भाई के शव को लेकर दाह संस्कार के लिए पहुंचे तो ग्रामीण शव को जलाने नहीं दिए। लाचार होकर भदुली घाट पर ले जाकर दाह संस्कार किया गया।
बोले अधिकारी : यह दैवीय आपदा है, बारिश के कारण लोगों को परेशानी हो रही है। राजघाट का श्मशान घाट बाढ़ के पानी में डूब गया है। ऐसे में शव के अंतिम संस्कार के लिए यदि कोई परिजन अन्यत्र स्थान की तलाश करते हैं तो वह स्थाई नहीं है, ऐसे में संबंधित क्षेत्र के लोगों को मानवीय संवेदना दिखाते हुए साथ देना चाहिए, क्योंकि ऐसी परिस्थिति किसी पर आ सकती है। फिर भी यदि कोई विरोध कर रहा है तो उनसे बात कर समस्या का समाधान कराया जाएगा। -नागेंद्र प्रसाद सिंह, जिलाधिकारी, आजमगढ़।