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दुबेछपरा रिंग बंधे पर कटानरोधी कार्य ठप, अपने हाथों खुद का आशियाना उजाड़ने की विवशता Ballia news

दुबेछपरा रिंग बंधे पर एक बार फिर कटानरोधी कार्य पूरी तरफ ठप पड़ गया है। इससे बंधे के अंदर बसे गांवों के लोगों में आक्रोश है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 03:21 PM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 05:32 PM (IST)
दुबेछपरा रिंग बंधे पर कटानरोधी कार्य ठप, अपने हाथों खुद का आशियाना उजाड़ने की विवशता Ballia news
दुबेछपरा रिंग बंधे पर कटानरोधी कार्य ठप, अपने हाथों खुद का आशियाना उजाड़ने की विवशता Ballia news

बलिया, जेएनएन। दुबेछपरा रिंग बंधे पर एक बार फिर कटानरोधी कार्य पूरी तरफ ठप पड़ गया है। इससे बंधे के अंदर बसे गांवों के लोगों में आक्रोश है। यह आलम तब है जब हल्के उफान में होने के बाद ही गंगा की लहरें इसी महीने बंधे पर दो बार प्रहार कर ग्रामीणों के साथ ही विभागीय अधिकारियों को भी सकते में ला चुकी हैं। विभागीय अधिकारियों की इस संवेदनहीनता की शिकायत ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से की है। 

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गंगा का वेग थमने के साथ ही एक बार फिर दुबेछपरा रिंग बंधे पर बचाव कार्य ठप पड़ गया है। इससे प्रभावित गांवों के लोगों मे आक्रोश है। गोपालपुर निवासी संदीप तिवारी, पंकज तिवारी, चंद्रकात तिवारी उदई छपरा के रामपरसन सिंह, पशुपति सिंह आदि ने बताया कि गंगा का वेग कम होने की सूचना के बाद ही बचाव कार्य पूरी तरह शिथिल पड़ गया। मौके से जेनरेटर आदि को भी हटा लिया गया जबकि दुबेछपरा रिंग बंधे के उक्त स्थान के पास गंगा की लहरें जमकर कहर बरपाया था। तब इसकी शिकायत बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता वीरेंद्र सिंह से की गई।

लोगों का आरोप है कि शिकायत के बाद अभियंता ने ग्रामीणों को खरी खरी सुनाते हुए कहा कि संसाधन की आवश्यकता जहां होगी वहां जाएगा, जरूरी नहीं कि एक ही स्थान पर पड़ी रहे। ग्रामीणों ने विभागीय अधिकारी की इस संवेदनहीनता की शिकायत जिलाधिकारी से भी की है। आक्रोशित ग्रामीणों का कहना है कि आपदा के वक्त पीड़ितों को भारी जान माल की क्षति होती है। वहीं विभागीय अधिकारी धनउगाही के कार्य में लिप्त होते है। यही कारण है कि गंगा के आक्रामक रुख अख्तियार कर लेने के बाद ही कटानरोधी कार्य आरंभ किया जाता है और कटान कम होने के बाद सब कुछ शांत हो जाता है।

आशियाना उजाड़ने में लगे लोग

केहरपुर गांव के सामने गंगा का कटान तेज होने के कारण 100 मीटर की लंबाई में 40 मीटर भीतर तक कटान आ जाने से अवशेष केहरपुर के अस्तित्व को संकट उत्पन्न हो गया है। पानी टंकी, ब्रह्मचारी जी का आश्रम सहित कई इमारत व कई लोगों का मकान बिल्कुल गंगा के किनारे आ गया है। कटान की जद में होने के कारण ये कभी भी गंगा में विलीन हो सकते हैं। फलस्वरूप पूरे गांव में अफरा-तफरी का माहौल है। लोग अपना आशियाना उजाड़कर अन्यत्र जाने की तैयारी में हैं। वहीं गंगा एक सेमी प्रति चार घंटे की रफ्तार से बढ़ाव पर है।


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