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गाजीपुर जिले में गंगा में घटाव जारी, कम नहीं हो रहीं दुश्वारियां, एक सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से कम हो रहा पानी

गंगा के साथ अन्य सहायक नदियों के घटाव के बाद भी लोगों की दुश्वारियां कम नहीं हो रही हैं। रविवार को गंगा एक सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से घट रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 07 Oct 2019 01:12 PM (IST)Updated: Mon, 07 Oct 2019 05:30 PM (IST)
गाजीपुर जिले में गंगा में घटाव जारी, कम नहीं हो रहीं दुश्वारियां, एक सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से कम हो रहा पानी
गाजीपुर जिले में गंगा में घटाव जारी, कम नहीं हो रहीं दुश्वारियां, एक सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से कम हो रहा पानी

गाजीपुर, जेएनएन। गंगा के साथ अन्य सहायक नदियों के घटाव के बाद भी लोगों की दुश्वारियां कम नहीं हो रही हैं। रविवार को गंगा एक सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से घट रहा है। शाम पांच बजे गंगा का जलस्तर 62.300 मीटर रिकार्ड किया गया। वहीं सहायक नदियों के जलस्तर के घटने के बावजूद ग्रामीणों की समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं। बाढ़ के पानी के साथ बह कर आई गंदगी अब सडऩे लगी है। साथ ही बेसो व उदंती के तटवर्ती ग्रामीणों को आवागमन करने में काफी परेशानी हो रही है। उधर मगई नदी में बढ़ाव जारी होने से किसानों की फसलें डूब रही हैं। 

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मनिहारी : स्थानीय क्षेत्र के मरदानपुर लक्ष्मण गांव के चौहान बस्ती के चारों तरफ से मगई नदी के पानी से घिर जाने के कारण वहां के लोगों का आवागमन बंद हो था। चार दिन बीतने के बाद नाव एवं राशन नहीं मिलने पर पूर्व जिला पंचायत सदस्य रमेश यादव ने जिलाधिकारी के. बाला जी से गांव के लोगों को निकलने के लिए नाव एवं खाने के लिए राशन की मांग की। जिलाधिकारी ने इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल नाव एवं राशन उपलब्ध  करवाने के लिए उपजिलाधिकारी जखनियां अभय कुमार मिश्रा को आदेश दिया। सुबह नाव एवं राशन लेकर पहुंचे पूर्व जिला पंचायत सदस्य रमेश यादव एवं समाजसेवी रामाश्रय चौहान ने ग्रामीणों को अपने तरफ से चना, बिस्किट, लाई, आटा तथा शासन की ओर से मिले खाद्यान्नों चावल, आटा, आलू, चीनी आदि समाग्री का वितरण किया गया। इस अवसर पर संगीता चौहान, चम्पा देवी, वकील चौहान, देवनरायन चौहान, साहब चौहान, रामसकल चौहान आदि थे। 

लौवाडीह गांव के नजदीक पहुंचा मगई का पानी 

लौवाडीह : मंगई नदी में बढ़ाव अभी भी जारी है। नदी का पानी गांव के काफी निकट सड़क के पास आ गया है। अगर एक दो दिनों तक पानी बढ़ा तो गांव में प्रवेश कर जाएगा। पहले से ही दक्षिण स्थित ताल का पानी गांव में पहुंच रहा है। हालत यह है कि अधिकांश किसानों के धान की फसल डूब कर चौपट हो गयी है। सबसे बड़ी परेशानी है कि अन्य गांव में बाढ़ का पानी पुन: नदी में चला जाता है लेकिन इस गांव की भौगोलिक स्थिति और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के रुकावट के कारण पानी सूखकर ही खत्म होगा। ऐसे में रबी की फसल की खेती में ही नहीं बल्कि एक बड़े रकबे में बोआई ही नहीं हो पाएगी। ऐसे में किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ेगी। कई बार ऐसा हुआ है लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही से किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाता है। 2016 में आयी बाढ़ में ऐसा ही हुआ था। इस गांव के अतिरिक्त जोगामुसाहिब, रेड़मार, पारो, मुर्तजीपुर, राजापुर, परसा, खेमपुर, सिलाइच, देवरिया, करीमुद्दीनपुर, मसौनी सहित कई गांव की फसल बर्बाद हो रही है और रबी की बोआई में काफी विलंब होगा। इस संबंध में उपजिलाधिकारी मुहम्मदाबाद राजेश गुप्ता ने कहा कि टीम को निरीक्षण के लिए भेजा जाएगा।  


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