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बलिया जिले में नदियां कर रहीं कटान, बढ़ी चिंता

बलिया में संभावित बाढ़ व कटान से लोगों को सुरक्षित करने की ठोस योजना नहीं बन पा रही।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 03:32 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 03:32 PM (IST)
बलिया जिले में नदियां कर रहीं कटान, बढ़ी चिंता
बलिया जिले में नदियां कर रहीं कटान, बढ़ी चिंता

बलिया (बैरिया) : संभावित बाढ़ व कटान से लोगों को सुरक्षित करने का कोई ठोस योजना सिंचाई विभाग के पास नहीं है। न ही इस बाबत उनकी कोई तैयारी है बल्कि उन्हें इंतजार है बाढ़ का। बल्कि जनता को परेशान से भी कोई लेना देना नहीं।

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जी हा, हम बात कर रहे हैं द्वाबा में गंगा के बाढ़ व कटान से प्रभावित रिकनी छपरा, तेलियाटोक, सुघर छपरा, केहरपुर, नरदरा, भुसौला, जगदीशपुर आदि गावों की। जहा के लोग कटान के चलते बिल्कुल गंगा के किनारे आ गए हैं। कुछ गावों का तो आधा हिस्सा गंगा में विलीन हो चुका है। ऐसे में जब भी बाढ़ आती है तो कटान तेज हो जाता है। जिससे गावों के सामने खतरे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और तब सिंचाई विभाग राहत व बचाव का कार्य शुरू करता है।

ठीक यही स्थिति घाघरा के कटान से प्रभावित अठगावा, चाद दियर, गोपाल नगर, देवपुर मठिया, तिलापुर आदि स्थानों की है। वहा भी अभी तक बाढ़ विभाग ने अपनी आखें बंद कर रखी है जबकि जिलाधिकारी बार-बार बाढ़ विभाग को निर्देशित करते रहे हैं कि 15 जून तक बाढ़ व कटान से निपटने के लिए सभी तैयारिया पूरी कर ली जाय किंतु उसका असर बाढ़ विभाग पर बिल्कुल नहीं पड़ा। कभी बाढ़ विभाग के अधिकारी बजट नहीं होने का रोना रोते हैं तो कभी अन्य समस्याओं की बात करते हैं।

लोगों का आरोप है कि विभाग के अधिकारी पूरे साल बरसात का इंतजार करते हैं किंतु बरसात में घाघरा व गंगा का पानी बढ़ता है, बाढ़ व कटान की स्थिति उत्पन्न होती है। तब राहत व बचाव के नाम पर ये लोग अपना जेब भरने का तरकीब ढूंढ निकालते हैं। स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी का ध्यान संभावित बाढ़ व कटान की ओर अपेक्षित करते हुए अपने स्तर से इस समस्या की मानीटरिंग करने का गुहार लगाई है। विभाग अपनी तैयारिया तत्काल पूरी करें

भाजपा सासद भरत सिंह ने विभाग को चेताया है कि एक पखवारे के भीतर बाढ़ व कटान की स्थिति में लोगों को सुरक्षित करने की पूरी तैयारी कर लें। अन्यथा का स्थिति में गंगा व घाघरा के किनारे बसे लोगों को असुविधा होती है तो उसका खामियाजा बाढ़ विभाग के अधिकारियों को भुगतना पड़ेगा। सासद ने स्पष्ट किया कि राहत कार्यो के लिए धन की कोई कमी नहीं है, जरूरत है बाढ़ विभाग के गतिविधियों पर स्थानीय लोगों द्वारा नजर रखने की। अन्यथा की स्थिति में यह क्या करेंगे हम सभी जानते हैं।


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